Wednesday 6 February 2019

पूजा शकुन की गिरफ्तारी और मोदी की इस्लामपरस्त सरकार

गांधी के पुतले पर गोली चलाने वाली पूजा शकुन ने नकली पिस्तौल से गोली चलाई जो सिर्फ गोड्से के कार्य का नाट्य रूपांतरण था... और इस तरह के किसी दिवस को प्रदर्शित करने के लिए कहीं भी किया जाता रहा है... लेकिन इसके बाद जिस तरह से हिन्दू विरोधी शक्तियों के दवाब में मोदी सरकार झुकी वो सचमुच कायरता की पराकाष्ठा है

और ये पहला मामला नहीं है... 2014 में एक बड़े हिंदूवादी नेता धनन्जय देसाई की गिरफ्तारी से लेकर आज 2019 में पूजा शकुन तक एक लंबी फेहरिस्त है जब मोदी ने हिंदुत्व के विरोध में कार्रवाई की है...

पुतले को गोली मारना अपराध है ? नकली पिस्तौल से गोली चलाना अपराध है ? हम गांधी को नायक की जगह खलनायक मानें ... क्या ये अपराध है ? यहां तो लोग बगदादी को खुलेआम नायक tv डिबेट में बताते हैं और घर को चले जाते हैं.... isis का झंडा लेकर खुलेआम उसका कार्यकर्ता बताते हैं और कुछ नहीं होता है ? खुलेआम भारत माता का अपमान करके, देशद्रोही नारे लगाकर भी आराम से हैं... आराम से ही नहीं है बल्कि सिर्फ देशद्रोही हरकतों को अंजाम देकर आज एक राजनीतिक वजूद बना लिया है...

अब कोई मूर्ख कह सकता है कि ना तो बगदादी को मानने वाले अच्छे हैं और ना गोडसे को... तो मैं बता दूं कि मैंने ये उदाहरण सिर्फ ये बताने के लिए दिया है कि बगदादी सचमुच का प्रमाणित दुष्ट है ... ना कि गोडसे.....
गोडसे ने वो कार्य किया जिसके लिए उसकी इबादत होनी चाहिए थी...

मैं ये भी कहता हूं कि हो सकता है कि गांधी ने स्वतंत्रता की जो लड़ाई लड़ी उसकी तारीफ की जाए लेकिन स्वतंत्रता के बाद जिस नियत समय काल मे उन्होंने लाखों हिंदुओं को मरवाने का कार्य किया उसकी सजा फिर क्या थी ? ?  या फिर चूंकि गांधी स्वतंत्रता की लड़ाई भी लड़ी थी इसलिए उनको लाखों हिंदुओं का खून बहाना माफ था ? गोडसे ने सिर्फ इस नियत काल के नरसंहार की सजा गांधी को दी...
मान लो आपने खूब समाज सेवा की हो और कई सम्मान मिले हों, नाम हुआ हो.. लेकिन बाद में एक दिन आप किसी इच्छा की पूर्ति के लिए गलत कार्य मे शामिल हो गए तो क्या आपके समाजसेवा के बैकग्राउंड को ध्यान में रखते हुए आपको गलत कार्य की आजादी मिल जानी चाहिए ?

तो इस देश मे अपराध सिर्फ ये है कि आप गांधी की भक्ति क्यों नहीं करते ?

5 साल के शासन समाप्त होते होते मोदी की इस्लाम परस्त सरकार ने एक और हिंदूवादी को गिरफ्तार करके बता दिया कि ये सिर्फ देशविरोधियों के इशारों पर नाचने वाली कायर लोगों की जमात है।

Thursday 31 January 2019

"खान" सरनेम मुस्लिम नहीं तो क्या है ?

सभी लोग जानना चाहते थे कि "खान" सरनेम मुस्लिम नहीं है तो चंगेज खान कौन था और इस विषय पर ये जानकारी ...
कि चंगेज खान का  वैसे असली नाम तेमुजिन था... 1162 में जन्म हुआ था। 12 वर्ष की आयु में बोरते नाम की लड़की पत्नी बनी जिसका अपहरण हो गया था... और उसी को छुड़ाने के लिए इसने पहली बार युद्ध के मैदान में पांव रखा.. और पत्नी को छुड़ाया भी।

खान शब्द का मुस्लिम होना तो छोड़िए.. ये आदमी मुस्लिम का इतना बड़ा शत्रु रहा... कि एक समय पूरे विश्व से इस्लाम को पूर्ण सफाए के कगार पर ला खड़ा किया.. मस्जिदों में घुसकर नरसंहार करता और कुरान को सबके सामने घोड़े से रौंदवाता और जलाता था, इसलिए जो भी लोग आज खान सरनेम लगाते हैं उन्हें शर्म से डूब मरना चाहिए।

2003 में एक सामूहिक डीएनए टेस्ट में पता चला कि पूरे यूरेशिया में लोगों का डीएनए पैटर्न चंगेज खान से मेल खाता है।।

दरअसल हुआ ये कि इस्लाम के शासक जिस भी जगह हमले करते और कब्ज़ा करते थे तो सबसे पहले उस देश की स्त्रियों के साथ रेप करते, बीवी बनाते थे.. विश्व मे युद्ध के बाद ऐसी घिनौनी शुरुआत मुस्लिम शासकों ने ही की, इसके जवाब में चंगेज खान ने भी "जैसे को तैसा" करने का सोचा और जिस भी इस्लामिक देशों पर हमले किये और जीते तो उनकी स्त्रियों के साथ रेप किया, बच्चे पैदा किये और छोड़ गए... डीएनए संरचना जन्मजात होती है और उसमें बाद में कोई बड़ा परिवर्तन नहीं किया जा सकता।

अजीब बात ये है कि आप सोचेंगे कि फिर चंगेज खान भी मुस्लिम शासकों जैसा ही था पर उनके जीवन के अध्ययन करने से ये बात सामने आती है कि वो यौनकुंठित शासक नहीं था, यह काम उसने सिर्फ इस्लामिक देशों के ऊपर आक्रमण के समय ही किया।

मुसलमानों में तो यह मान्यता हो गयी थी कि चंगेज खान ही अल्लाह का कहर है।

एक दिलचस्प बात यह है कि उसके रक्तपात ने वातावरण से 70 करोड़ टन कार्बन हटाने में मदद की। विश्व की बड़ी आबादी मिट गई और वहां जंगल पैदा हो गयी।। उसके हमलों से खेती वाली जमीन जंगलों में तब्दील हो गई जिसके पेड़ों ने तकरीबन 70 करोड़ टन कार्बन वातावरण से सोख लिया।

वैसे "खान" शब्द ये मंगोल इस्लाम के उदय से पहले ही लगाते रहे हैं जिसका अर्थ है नेता।
सिर्फ इस्लामिक देशों की स्त्रियों के साथ बलात्कार की वजह से अकेले चंगेज खान ही हज़ारों मुस्लिम बच्चों का बाप था, और उसके सैनिकों का लाखों में.. शायद यही कारण है कि आज मुस्लिमों के बच्चों में खान नाम प्रचलित हुआ।।

Thursday 29 November 2018

साला शब्द गाली नहीं था बल्कि एक पवित्र नाम था

"साला" शब्द को हमलोग गाली के रूप में लेते हैं... लेकिन वास्तव में साला उस पवित्र शंख का एक और नाम था जो पहली बार समुद्र मंथन में निकला था....
चूंकि उससे पहले मंथन में लक्ष्मी जी के रूप में अपार सोने (गोल्ड) का आगमन हुआ था... तो उसे लक्ष्मीजी के नाम से पुकारा गया...

सबने कहा लक्ष्मी जी मंथन से निकली हैं पर वास्तव में वो गोल्ड था जो लक्ष्मी का सूचक था...

इसके बाद जब साला शंख निकला तो उसे लक्ष्मी जी का भाई कहा गया... कि देखो लक्ष्मी (गोल्ड) का भाई साला (शंख) आया है...

यहीं से ये प्रचलन में आया कि नवविवाहित बहु (मतलब घर की लक्ष्मी) जब आती है तो साथ मे आने वाले भाई को बहुत ही पवित्र नाम साला कहा गया... पुकारा गया...

असल मे ये शब्द बदनाम हुआ... क्योंकि मराठी भाषा मे साला एक गाली का शब्द है...
और दूसरे ये बदनाम हुआ साला याने पत्नी के भाइयों ने जो कारनामे किये...

खैर अच्छी बात ये है कि साला शंख का नाम है और माता लक्ष्मी का भाई है।।

Tuesday 13 November 2018

राम मंदिर के इस नरसंहार को पढ़कर खून के आंसूं आएंगे

अगर आपने इसे पूरा पढ़ लिया तो आंखों में आंसू आ जाएंगे... "खून के आंसूं"।।
1527-28 में जब अयोध्या का राममंदिर तोड़ा जा रहा था तब जन्मभूमि मंदिर पर सिद्ध महात्मा श्यामनंदजी महाराज का अधिकार था। उस समय भीटी के राजा महताब सिंह बद्रीनारायण ने मंदिर को बचाने के लिए बाबर की सेना से युद्ध लड़ा। कई दिनों तक युद्ध चला और अंत में लखनऊ गजेटियर' के 66वें अंक के पृष्ठ 3 पर इतिहासकार कनिंघम लिखता है कि 1,74,000 हिन्दुओं की लाशें गिर जाने के पश्चात मीर बकी अपने मंदिर ध्वस्त करने के अभियान में सफल हुआ।

उस समय अयोध्या से 6 मील की दूरी पर सनेथू नाम के एक गांव के पं. देवीदीन पाण्डेय ने वहां के आसपास के गांवों सराय, सिसिंडा, राजेपुर आदि के सूर्यवंशीय क्षत्रियों को एकत्रित किया और फिर से युद्ध हुआ। पं. देवीदीन पाण्डेय सहित हजारों हिन्दू शहीद हो गए और बाबर की सेना जीत गई।

पाण्डेयजी की मृत्यु के 15 दिन बाद हंसवर के महाराज रणविजय सिंह ने सिर्फ हजारों सैनिकों के साथ मीरबाकी की विशाल और शस्त्रों से सुसज्जित सेना से रामलला को मुक्त कराने के लिए आक्रमण किया लेकिन महाराज सहित जन्मभूमि के रक्षार्थ सभी वीरगति को प्राप्त हो गए।

स्व. महाराज रणविजय सिंह की पत्नी रानी जयराज कुमारी हंसवर ने अपने पति की वीरगति के बाद खुद जन्मभूमि की रक्षा के कार्य को आगे बढ़ाने का बीड़ा उठाया और 3,000 नारियों की सेना लेकर उन्होंने जन्मभूमि पर हमला बोल दिया और हुमायूं के समय तक उन्होंने छापामार युद्ध जारी रखा।

स्वामी महेश्वरानंदजी ने संन्यासियों की सेना बनाई। रानी जयराज कुमारी हंसवर के नेतृत्व में यह युद्ध चलता रहा। लेकिन हुमायूं की शाही सेना से इस युद्ध में स्वामी महेश्वरानंद और रानी जयराज कुमारी लड़ते हुए अपनी बची हुई सेना के साथ शहीद हो गई और जन्मभूमि पर पुन: मुगलों का अधिकार हो गया।

मुगल शासक अकबर के काल में शाही सेना हर दिन के इन युद्धों से कमजोर हो रही थी अत: अकबर ने बीरबल और टोडरमल के कहने पर खस की टाट से उस चबूतरे पर 3 फीट का एक छोटा-सा मंदिर बनवा दिया। अकबर की इस कूटनीति से कुछ दिनों के लिए जन्मभूमि में रक्त नहीं बहा। यही क्रम शाहजहां के समय भी चलता रहा।

फिर औरंगजेब के काल में भयंकर दमनचक्र चलाकर उत्तर भारत से हिन्दुओं के संपूर्ण सफाए का संकल्प लिया गया। उसने लगभग 10 बार अयोध्या में मंदिरों को तोड़ने का अभियान चलाकर यहां के सभी प्रमुख मंदिरों और उनकी मूर्तियों को तोड़ डाला। औरंगजेब के समय में समर्थ गुरु श्रीरामदासजी महाराज के शिष्य श्रीवैष्णवदासजी ने जन्मभूमि को मुक्त कराने के लिए 30 बार आक्रमण किए।

नासिरुद्दीन हैदर के समय में मकरही के राजा के नेतृत्व में जन्मभूमि को पुन: अपने रूप में लाने के लिए हिन्दुओं के 3 आक्रमण हुए जिसमें बड़ी संख्या में हिन्दू मारे गए। इस संग्राम में भीती, हंसवर, मकरही, खजूरहट, दीयरा, अमेठी के राजा गुरुदत्त सिंह आदि सम्मिलित थे। हारती हुई हिन्दू सेना के साथ वीर चिमटाधारी साधुओं की सेना आ मिली और इस युद्ध में शाही सेना को हारना पड़ा और जन्मभूमि पर पुन: हिन्दुओं का कब्जा हो गया। लेकिन कुछ दिनों के बाद विशाल शाही सेना ने पुन: जन्मभूमि पर अधिकार कर लिया और हजारों रामभक्तों का कत्ल कर दिया गया।

नवाब वाजिद अली शाह के समय के समय में पुन: हिन्दुओं ने जन्मभूमि के उद्धारार्थ आक्रमण किया गया। 'फैजाबाद गजेटियर' में कनिंघम ने लिखा- 'इस संग्राम में बहुत ही भयंकर खून-खराबा हुआ। 2 दिन और रात होने वाले इस भयंकर युद्ध में सैकड़ों हिन्दुओं के मारे जाने के बावजूद हिन्दुओं ने श्रीराम जन्मभूमि पर कब्जा कर लिया। इतिहासकार कनिंघम लिखता है कि ये अयोध्या का सबसे बड़ा हिन्दू-मुस्लिम बलवा था। हिन्दुओं ने अपना सपना पूरा किया और औरंगजेब द्वारा विध्वंस किए गए चबूतरे को फिर वापस बनाया। चबूतरे पर 3 फीट ऊंचे खस के टाट से एक छोटा-सा मंदिर बनवा लिया जिसमें पुन: रामलला की स्थापना की गई। लेकिन बाद के मुगल राजाओं ने इस पर पुन: अधिकार कर लिया।

30 अक्टूबर 1990 को हजारों रामभक्तों ने मुख्यमंत्री मुलायमसिंह यादव द्वारा खड़ी की गईं अनेक बाधाओं को पार कर अयोध्या में प्रवेश किया और विवादित ढांचे के ऊपर भगवा ध्वज फहरा दिया। लेकिन 2 नवंबर 1990 को मुलायम सिंह यादव ने कारसेवकों पर गोली चलाने का आदेश दिया जिसमें सैकड़ों रामभक्तों ने अपने जीवन की आहुतियां दीं। सरयू तट रामभक्तों की लाशों से पट गया था।

ये संक्षिप्त इतिहास है जिसे पढ़कर समझ आ जायेगा कि राम मंदिर के लिए कैसे लाखों करोड़ों हिंदुओं ने जान दी है... और मुस्लिमों ने भी कैसे इस मंदिर को ढहाने के लिए सैकड़ों लड़ाइयां लड़ीं.. क्योंकि उनका पता था कि श्रीराम का ये मंदिर क्या महत्व रखता है... वरना क्या जरूरत थी कि मुस्लिम शासक इसे ही गिराने के पीछे पीढ़ी दर पीढ़ी लगे रहे... कुछ तो बात रही होगी...

लेकिन हिन्दू भी पीढ़ी दर पीढ़ी टक्कर देते रहे.. पूरे अयोध्या की धरती को अपने खून से सींच डाला... और  बारंबार मन्दिर को वापिस खड़ा किया।। आज उस लड़ाई की बागडोर हमारे हाथों में है... जिसे पूरा करना ही बलिदान हुए पूर्वजों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।।

Thursday 25 October 2018

हिंदुओं ने भाजपा को खून से सींचा .. मगर ..

जिस पार्टी को हिंदुओं ने अपने खून से सींच कर विशाल वटवृक्ष बनाया.. उसकी छांव में सिर्फ मुस्लिम बैठे हैं.... किसी को क्या पता था कि भाजपा इस तरह से हिंदुत्व की दुश्मन बन जाएगी..
किसे पता था कि जिस मोदी को हिंदुत्व की रक्षा के लिए सबसे उत्तम उत्तराधिकारी मान बैठे है वो जयचंद निकलेगा ?

आज जिस तरह से हरेक tv पर राम मंदिर का मुद्दा गरमाया हुआ है... वो भाजपा के चुनावी षड्यंत्र का अहम हिस्सा है... लेकिन इस बार मेरे जैसे करोड़ों हिन्दू हैं जिन्हें इस डिबेट और भाषणों से चिढ़ हो रही है... क्रोध आ रहा है...
ये वैसा ही है कि आपको पता है कि आपका कोई नजदीकी रिश्तेदार आपको बर्बाद करने पर तुला है लेकिन जब भी आपके सामने आता है तो मीठी मीठी बातें करता है और आप मन मसोस कर उल्टा चाय पानी पिलाते हैं....

इस बार भाजपा के लिए अगर कोई हिन्दू वोट देता है तो विकास के ही नाम पर देगा, राम मंदिर की सोचकर तो नहीं देगा...
और जो हिन्दू सिर्फ धर्म के नाम पर ही वोट करने वाले हैं , उनके सामने विकट समस्या रहेगी...
#भाजपा #राम_मन्दिर #श्रीराम #डिबेट #मोदी

Wednesday 10 October 2018

मोदी की गंदी राजनीति का पहली बार पर्दाफाश

मोदी की कूटनीति की गंदगी क्या है ?

पहले चरण में इसके तहत हरेक गलत काम होने दिया जाता है..

दूसरे चरण में उस गलत काम को न्यूज़ में चलवाया जाता है.. और डिबेट में प्रवक्ता भाजपा की सार्थक छवि बनाने की कोशिश करते हैं..

तीसरे चरण में मामले को बद से बदतर होने तक का इन्तेजार किया जाता है...

चौथे चरण में ये कहा जाता है कि.. आज से पहले कौन जानता था कि... ऐसे लोग हमारे देश मे हैं... कौन जानता था कि ऐसा हमारे देश मे होता है... ये सब भाजपा के आने से ही उजागर हो रहा है...

पांचवे चरण में भाजपा सोचती है कि अब वो कार्रवाई करेंगे... लेकिन इस कूटनीति के तहत चार चरण को खेलने की वजह से दुश्मन को इतना मौका मिल चुका होता है कि वो अपनी सुरक्षा के इंतजाम कर लेते हैं.. और अंत मे पांचवां चरण भाजपा कभी पुरा नहीं कर पाती...
नतीजा... भाजपा की कूटनीति उसी के लिए जानलेवा बन जाती है। आइए अब दो उदाहरण देखते हैं...

जेएनयू प्रकरण में भाजपा ने सोचा अभी गिरफ्तार नहीं करेंगे... इनके सहारे अपनी देशभक्त की छवि को मजबूत करेंगे...

नतीजा भाजपा ने देर कर दी और दुश्मन ने मौके का फायदा उठा पूरे भारत मे भाजपा को रौंद दिया... हालात ये हुए कि भाजपा को अपना पांचवां चरण जैसे तैसे नेगेटिव छवि के साथ पूरा करना पड़ा.. और उनको कोर्ट से निकलना पड़ा।।।

ताजा उदाहरण देख लेते हैं.. गुजरात मे अप्रवासी हिंदीभाषी पर हमले शुरू हुए.. भाजपा ने पहले चरण के मुताबिक इसे होने दिया... याने इनको पिटने दो.. इससे हिंदीभाषियों की सहानुभूति भाजपा से जुड़नी तय थी...

दूसरे चरण मे प्रवक्ताओं को tv पर भेज गया ताकि वो पिट रहे लोगों के कंधे पर बंदूक रख कांग्रेस को टारगेट करें.. ध्यान दीजिए.. अबतक भाजपा ने कुछ नहीं किया था।। ये हिन्दू सिर्फ एक मोहरे की तरह पिटवाये जा रहे थे..

तीसरे चरण में मामले को बद से बदतर होने दिया गया ताकि माहौल को पूरा गर्मा कर तीन राज्यों के अपने वोटर को ये समझाया जा सके कि मैं ही हूँ तुम्हारा रखवाला और कोई नहीं..

चौथे चरण में हुआ कि कौन दोषी है, क्या चाहता है.. अंधभक्तों ने भी तबतक सोशल मीडिया चोंग्रेस के अल्पेश ठाकोर से रंग दिया... इस समय तक हिंदुओं को पिटने दिया गया.. ट्रेनों में भर भर कर जाने दिया गया.. क्योंकि इस तरह के कुछ दृश्यों की जरूरत थी..

पांचवें चरण में फिर बारी आई कार्रवाई करने की तो तबतक अल्पेश ठाकोर और चोंग्रेस आदि सबने अपनी सुरक्षा के इंतजाम कर लिए थे..उसने खुद ही दावा ठोंक दिया कि अगर ऐसा है तो सबूत लाओ... नतीजा कुछ सामान्य कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी कर भाजपा ने टाइमपास कर लिया.. और वैसे भी भाजपा का काम पूरा हो चुका था.. तीन राज्यों के वोटरों में  मेसेज भेज दिया कि मैं ही हूँ रखवाला..

सवाल ये है कि भाजपा शुरू में ही हिंदुओं को बचा क्यों नहीं लेती ? देश के दुश्मनों को तुरंत गिरफ्तार करके नेस्तनाबूत क्यों नहीं करती ? डिबेट, प्रचार सब बाद में भी तो हो सकता है ? अपने छवि को बनाने के लिए हिंदुओं को बलि का बकरा क्यों बनाती है ?

Saturday 15 September 2018

मोदीजी आपने हमेशा शौचालय मुद्दे पर देश का अपमान किया

मैं आज भी कहता हूं, लाल किले की प्राचीर से ... जबकि उस वक़्त पूरी दुनिया मोदी के भाषण को सुनने के लिए tv पर आंखें गड़ाए हुए थी... उस समय शौचालय जैसी बात नहीं करनी चाहिए थी.. इससे देश अपमानित हुआ.. सवा सौ करोड़ जनता का अपमान हुआ...

एक तरफ आप कहते थे कि दुनिया मे हमारी इमेज सांप सपेरों वाली है जो कि खराब है तो दूसरी तरफ उससे भी ज्यादा अपमानित करने वाली वजह .. आपने दुनिया को बताई.. आपने इसका जिक्र बारंबार किया.. यहां तक कि विदेशों में NRI के द्वारा आयोजित विशाल जनसमूह में भी इस बात का जिक्र किया... विदेशों में भारतीयों की क्या इज्जत रही ? ? वहां के अखबारों ने भारतीय महिलाओं में बारे में ये सब छापा.. वो NRI कहीं मुंह दिखाने के काबिल नहीं रहे..

कौन से मुद्दे , किस मंच से बोलने हैं, इसका भी ज्ञान नहीं ..? शौचालय बनाने के लिए आपने भारत के अंदर अभियान चलाया , अखबारों में वविज्ञापन के माध्यम से, TV के माध्यम से प्रचार किया होता, किसी छोटे मोटे कार्यक्रम में बोलते, मन की बात में बोलते...

लेकिन आप वहां बोलते हैं जहां बाहर वाले आपको तौलने की कोशिश में सुन रहे हैं.. जहां पर भारत की अच्छी इमेज बनाने की आपकी जिम्मेदारी थी.. वहां आपने अपने अहंकार और अज्ञान की वजह से सब गुड़गोबर करके रख दिया...