Thursday 29 November 2018

साला शब्द गाली नहीं था बल्कि एक पवित्र नाम था

"साला" शब्द को हमलोग गाली के रूप में लेते हैं... लेकिन वास्तव में साला उस पवित्र शंख का एक और नाम था जो पहली बार समुद्र मंथन में निकला था....
चूंकि उससे पहले मंथन में लक्ष्मी जी के रूप में अपार सोने (गोल्ड) का आगमन हुआ था... तो उसे लक्ष्मीजी के नाम से पुकारा गया...

सबने कहा लक्ष्मी जी मंथन से निकली हैं पर वास्तव में वो गोल्ड था जो लक्ष्मी का सूचक था...

इसके बाद जब साला शंख निकला तो उसे लक्ष्मी जी का भाई कहा गया... कि देखो लक्ष्मी (गोल्ड) का भाई साला (शंख) आया है...

यहीं से ये प्रचलन में आया कि नवविवाहित बहु (मतलब घर की लक्ष्मी) जब आती है तो साथ मे आने वाले भाई को बहुत ही पवित्र नाम साला कहा गया... पुकारा गया...

असल मे ये शब्द बदनाम हुआ... क्योंकि मराठी भाषा मे साला एक गाली का शब्द है...
और दूसरे ये बदनाम हुआ साला याने पत्नी के भाइयों ने जो कारनामे किये...

खैर अच्छी बात ये है कि साला शंख का नाम है और माता लक्ष्मी का भाई है।।

Tuesday 13 November 2018

राम मंदिर के इस नरसंहार को पढ़कर खून के आंसूं आएंगे

अगर आपने इसे पूरा पढ़ लिया तो आंखों में आंसू आ जाएंगे... "खून के आंसूं"।।
1527-28 में जब अयोध्या का राममंदिर तोड़ा जा रहा था तब जन्मभूमि मंदिर पर सिद्ध महात्मा श्यामनंदजी महाराज का अधिकार था। उस समय भीटी के राजा महताब सिंह बद्रीनारायण ने मंदिर को बचाने के लिए बाबर की सेना से युद्ध लड़ा। कई दिनों तक युद्ध चला और अंत में लखनऊ गजेटियर' के 66वें अंक के पृष्ठ 3 पर इतिहासकार कनिंघम लिखता है कि 1,74,000 हिन्दुओं की लाशें गिर जाने के पश्चात मीर बकी अपने मंदिर ध्वस्त करने के अभियान में सफल हुआ।

उस समय अयोध्या से 6 मील की दूरी पर सनेथू नाम के एक गांव के पं. देवीदीन पाण्डेय ने वहां के आसपास के गांवों सराय, सिसिंडा, राजेपुर आदि के सूर्यवंशीय क्षत्रियों को एकत्रित किया और फिर से युद्ध हुआ। पं. देवीदीन पाण्डेय सहित हजारों हिन्दू शहीद हो गए और बाबर की सेना जीत गई।

पाण्डेयजी की मृत्यु के 15 दिन बाद हंसवर के महाराज रणविजय सिंह ने सिर्फ हजारों सैनिकों के साथ मीरबाकी की विशाल और शस्त्रों से सुसज्जित सेना से रामलला को मुक्त कराने के लिए आक्रमण किया लेकिन महाराज सहित जन्मभूमि के रक्षार्थ सभी वीरगति को प्राप्त हो गए।

स्व. महाराज रणविजय सिंह की पत्नी रानी जयराज कुमारी हंसवर ने अपने पति की वीरगति के बाद खुद जन्मभूमि की रक्षा के कार्य को आगे बढ़ाने का बीड़ा उठाया और 3,000 नारियों की सेना लेकर उन्होंने जन्मभूमि पर हमला बोल दिया और हुमायूं के समय तक उन्होंने छापामार युद्ध जारी रखा।

स्वामी महेश्वरानंदजी ने संन्यासियों की सेना बनाई। रानी जयराज कुमारी हंसवर के नेतृत्व में यह युद्ध चलता रहा। लेकिन हुमायूं की शाही सेना से इस युद्ध में स्वामी महेश्वरानंद और रानी जयराज कुमारी लड़ते हुए अपनी बची हुई सेना के साथ शहीद हो गई और जन्मभूमि पर पुन: मुगलों का अधिकार हो गया।

मुगल शासक अकबर के काल में शाही सेना हर दिन के इन युद्धों से कमजोर हो रही थी अत: अकबर ने बीरबल और टोडरमल के कहने पर खस की टाट से उस चबूतरे पर 3 फीट का एक छोटा-सा मंदिर बनवा दिया। अकबर की इस कूटनीति से कुछ दिनों के लिए जन्मभूमि में रक्त नहीं बहा। यही क्रम शाहजहां के समय भी चलता रहा।

फिर औरंगजेब के काल में भयंकर दमनचक्र चलाकर उत्तर भारत से हिन्दुओं के संपूर्ण सफाए का संकल्प लिया गया। उसने लगभग 10 बार अयोध्या में मंदिरों को तोड़ने का अभियान चलाकर यहां के सभी प्रमुख मंदिरों और उनकी मूर्तियों को तोड़ डाला। औरंगजेब के समय में समर्थ गुरु श्रीरामदासजी महाराज के शिष्य श्रीवैष्णवदासजी ने जन्मभूमि को मुक्त कराने के लिए 30 बार आक्रमण किए।

नासिरुद्दीन हैदर के समय में मकरही के राजा के नेतृत्व में जन्मभूमि को पुन: अपने रूप में लाने के लिए हिन्दुओं के 3 आक्रमण हुए जिसमें बड़ी संख्या में हिन्दू मारे गए। इस संग्राम में भीती, हंसवर, मकरही, खजूरहट, दीयरा, अमेठी के राजा गुरुदत्त सिंह आदि सम्मिलित थे। हारती हुई हिन्दू सेना के साथ वीर चिमटाधारी साधुओं की सेना आ मिली और इस युद्ध में शाही सेना को हारना पड़ा और जन्मभूमि पर पुन: हिन्दुओं का कब्जा हो गया। लेकिन कुछ दिनों के बाद विशाल शाही सेना ने पुन: जन्मभूमि पर अधिकार कर लिया और हजारों रामभक्तों का कत्ल कर दिया गया।

नवाब वाजिद अली शाह के समय के समय में पुन: हिन्दुओं ने जन्मभूमि के उद्धारार्थ आक्रमण किया गया। 'फैजाबाद गजेटियर' में कनिंघम ने लिखा- 'इस संग्राम में बहुत ही भयंकर खून-खराबा हुआ। 2 दिन और रात होने वाले इस भयंकर युद्ध में सैकड़ों हिन्दुओं के मारे जाने के बावजूद हिन्दुओं ने श्रीराम जन्मभूमि पर कब्जा कर लिया। इतिहासकार कनिंघम लिखता है कि ये अयोध्या का सबसे बड़ा हिन्दू-मुस्लिम बलवा था। हिन्दुओं ने अपना सपना पूरा किया और औरंगजेब द्वारा विध्वंस किए गए चबूतरे को फिर वापस बनाया। चबूतरे पर 3 फीट ऊंचे खस के टाट से एक छोटा-सा मंदिर बनवा लिया जिसमें पुन: रामलला की स्थापना की गई। लेकिन बाद के मुगल राजाओं ने इस पर पुन: अधिकार कर लिया।

30 अक्टूबर 1990 को हजारों रामभक्तों ने मुख्यमंत्री मुलायमसिंह यादव द्वारा खड़ी की गईं अनेक बाधाओं को पार कर अयोध्या में प्रवेश किया और विवादित ढांचे के ऊपर भगवा ध्वज फहरा दिया। लेकिन 2 नवंबर 1990 को मुलायम सिंह यादव ने कारसेवकों पर गोली चलाने का आदेश दिया जिसमें सैकड़ों रामभक्तों ने अपने जीवन की आहुतियां दीं। सरयू तट रामभक्तों की लाशों से पट गया था।

ये संक्षिप्त इतिहास है जिसे पढ़कर समझ आ जायेगा कि राम मंदिर के लिए कैसे लाखों करोड़ों हिंदुओं ने जान दी है... और मुस्लिमों ने भी कैसे इस मंदिर को ढहाने के लिए सैकड़ों लड़ाइयां लड़ीं.. क्योंकि उनका पता था कि श्रीराम का ये मंदिर क्या महत्व रखता है... वरना क्या जरूरत थी कि मुस्लिम शासक इसे ही गिराने के पीछे पीढ़ी दर पीढ़ी लगे रहे... कुछ तो बात रही होगी...

लेकिन हिन्दू भी पीढ़ी दर पीढ़ी टक्कर देते रहे.. पूरे अयोध्या की धरती को अपने खून से सींच डाला... और  बारंबार मन्दिर को वापिस खड़ा किया।। आज उस लड़ाई की बागडोर हमारे हाथों में है... जिसे पूरा करना ही बलिदान हुए पूर्वजों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।।

Thursday 25 October 2018

हिंदुओं ने भाजपा को खून से सींचा .. मगर ..

जिस पार्टी को हिंदुओं ने अपने खून से सींच कर विशाल वटवृक्ष बनाया.. उसकी छांव में सिर्फ मुस्लिम बैठे हैं.... किसी को क्या पता था कि भाजपा इस तरह से हिंदुत्व की दुश्मन बन जाएगी..
किसे पता था कि जिस मोदी को हिंदुत्व की रक्षा के लिए सबसे उत्तम उत्तराधिकारी मान बैठे है वो जयचंद निकलेगा ?

आज जिस तरह से हरेक tv पर राम मंदिर का मुद्दा गरमाया हुआ है... वो भाजपा के चुनावी षड्यंत्र का अहम हिस्सा है... लेकिन इस बार मेरे जैसे करोड़ों हिन्दू हैं जिन्हें इस डिबेट और भाषणों से चिढ़ हो रही है... क्रोध आ रहा है...
ये वैसा ही है कि आपको पता है कि आपका कोई नजदीकी रिश्तेदार आपको बर्बाद करने पर तुला है लेकिन जब भी आपके सामने आता है तो मीठी मीठी बातें करता है और आप मन मसोस कर उल्टा चाय पानी पिलाते हैं....

इस बार भाजपा के लिए अगर कोई हिन्दू वोट देता है तो विकास के ही नाम पर देगा, राम मंदिर की सोचकर तो नहीं देगा...
और जो हिन्दू सिर्फ धर्म के नाम पर ही वोट करने वाले हैं , उनके सामने विकट समस्या रहेगी...
#भाजपा #राम_मन्दिर #श्रीराम #डिबेट #मोदी

Wednesday 10 October 2018

मोदी की गंदी राजनीति का पहली बार पर्दाफाश

मोदी की कूटनीति की गंदगी क्या है ?

पहले चरण में इसके तहत हरेक गलत काम होने दिया जाता है..

दूसरे चरण में उस गलत काम को न्यूज़ में चलवाया जाता है.. और डिबेट में प्रवक्ता भाजपा की सार्थक छवि बनाने की कोशिश करते हैं..

तीसरे चरण में मामले को बद से बदतर होने तक का इन्तेजार किया जाता है...

चौथे चरण में ये कहा जाता है कि.. आज से पहले कौन जानता था कि... ऐसे लोग हमारे देश मे हैं... कौन जानता था कि ऐसा हमारे देश मे होता है... ये सब भाजपा के आने से ही उजागर हो रहा है...

पांचवे चरण में भाजपा सोचती है कि अब वो कार्रवाई करेंगे... लेकिन इस कूटनीति के तहत चार चरण को खेलने की वजह से दुश्मन को इतना मौका मिल चुका होता है कि वो अपनी सुरक्षा के इंतजाम कर लेते हैं.. और अंत मे पांचवां चरण भाजपा कभी पुरा नहीं कर पाती...
नतीजा... भाजपा की कूटनीति उसी के लिए जानलेवा बन जाती है। आइए अब दो उदाहरण देखते हैं...

जेएनयू प्रकरण में भाजपा ने सोचा अभी गिरफ्तार नहीं करेंगे... इनके सहारे अपनी देशभक्त की छवि को मजबूत करेंगे...

नतीजा भाजपा ने देर कर दी और दुश्मन ने मौके का फायदा उठा पूरे भारत मे भाजपा को रौंद दिया... हालात ये हुए कि भाजपा को अपना पांचवां चरण जैसे तैसे नेगेटिव छवि के साथ पूरा करना पड़ा.. और उनको कोर्ट से निकलना पड़ा।।।

ताजा उदाहरण देख लेते हैं.. गुजरात मे अप्रवासी हिंदीभाषी पर हमले शुरू हुए.. भाजपा ने पहले चरण के मुताबिक इसे होने दिया... याने इनको पिटने दो.. इससे हिंदीभाषियों की सहानुभूति भाजपा से जुड़नी तय थी...

दूसरे चरण मे प्रवक्ताओं को tv पर भेज गया ताकि वो पिट रहे लोगों के कंधे पर बंदूक रख कांग्रेस को टारगेट करें.. ध्यान दीजिए.. अबतक भाजपा ने कुछ नहीं किया था।। ये हिन्दू सिर्फ एक मोहरे की तरह पिटवाये जा रहे थे..

तीसरे चरण में मामले को बद से बदतर होने दिया गया ताकि माहौल को पूरा गर्मा कर तीन राज्यों के अपने वोटर को ये समझाया जा सके कि मैं ही हूँ तुम्हारा रखवाला और कोई नहीं..

चौथे चरण में हुआ कि कौन दोषी है, क्या चाहता है.. अंधभक्तों ने भी तबतक सोशल मीडिया चोंग्रेस के अल्पेश ठाकोर से रंग दिया... इस समय तक हिंदुओं को पिटने दिया गया.. ट्रेनों में भर भर कर जाने दिया गया.. क्योंकि इस तरह के कुछ दृश्यों की जरूरत थी..

पांचवें चरण में फिर बारी आई कार्रवाई करने की तो तबतक अल्पेश ठाकोर और चोंग्रेस आदि सबने अपनी सुरक्षा के इंतजाम कर लिए थे..उसने खुद ही दावा ठोंक दिया कि अगर ऐसा है तो सबूत लाओ... नतीजा कुछ सामान्य कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी कर भाजपा ने टाइमपास कर लिया.. और वैसे भी भाजपा का काम पूरा हो चुका था.. तीन राज्यों के वोटरों में  मेसेज भेज दिया कि मैं ही हूँ रखवाला..

सवाल ये है कि भाजपा शुरू में ही हिंदुओं को बचा क्यों नहीं लेती ? देश के दुश्मनों को तुरंत गिरफ्तार करके नेस्तनाबूत क्यों नहीं करती ? डिबेट, प्रचार सब बाद में भी तो हो सकता है ? अपने छवि को बनाने के लिए हिंदुओं को बलि का बकरा क्यों बनाती है ?

Saturday 15 September 2018

मोदीजी आपने हमेशा शौचालय मुद्दे पर देश का अपमान किया

मैं आज भी कहता हूं, लाल किले की प्राचीर से ... जबकि उस वक़्त पूरी दुनिया मोदी के भाषण को सुनने के लिए tv पर आंखें गड़ाए हुए थी... उस समय शौचालय जैसी बात नहीं करनी चाहिए थी.. इससे देश अपमानित हुआ.. सवा सौ करोड़ जनता का अपमान हुआ...

एक तरफ आप कहते थे कि दुनिया मे हमारी इमेज सांप सपेरों वाली है जो कि खराब है तो दूसरी तरफ उससे भी ज्यादा अपमानित करने वाली वजह .. आपने दुनिया को बताई.. आपने इसका जिक्र बारंबार किया.. यहां तक कि विदेशों में NRI के द्वारा आयोजित विशाल जनसमूह में भी इस बात का जिक्र किया... विदेशों में भारतीयों की क्या इज्जत रही ? ? वहां के अखबारों ने भारतीय महिलाओं में बारे में ये सब छापा.. वो NRI कहीं मुंह दिखाने के काबिल नहीं रहे..

कौन से मुद्दे , किस मंच से बोलने हैं, इसका भी ज्ञान नहीं ..? शौचालय बनाने के लिए आपने भारत के अंदर अभियान चलाया , अखबारों में वविज्ञापन के माध्यम से, TV के माध्यम से प्रचार किया होता, किसी छोटे मोटे कार्यक्रम में बोलते, मन की बात में बोलते...

लेकिन आप वहां बोलते हैं जहां बाहर वाले आपको तौलने की कोशिश में सुन रहे हैं.. जहां पर भारत की अच्छी इमेज बनाने की आपकी जिम्मेदारी थी.. वहां आपने अपने अहंकार और अज्ञान की वजह से सब गुड़गोबर करके रख दिया...

Tuesday 28 August 2018

पीएम मोदी की हत्या पर गिरफ्तारी पर जवानों की हत्या पर ?

पीएम मोदीजी की हत्या के सम्बंध में कई लोग गिरफ्तार हुए हैं.. ये सारे वामपंथी याने कंम्यूनिस्ट पार्टी से जुड़े लोग हैं.. इन्हीं को नक्सली भी कहा जाता है जो आये दिन हमारे सुरक्षा जवानों को मारते रहते हैं.. और वो भी एक दो नहीं.. जवानों की लाशें बिछ जाती हैं...

लेकिन मजाल है जो कभी किसी को पकड़ा गया हो ? आज जिनकी गिरफ्तारी हो रही है वही उनकी हत्या के मुख्य अभियुक्त भी हैं... लेकिन सरकार के लिए जवानों के जान की कीमत कुछ भी नहीं हैं.. इसलिए ये सारे नक्सली नेता खुलेआम शहरों में रहते हैं, प्रदर्शन करते हैं,  tv डिबेट्स में आते हैं... पर इनको छुआ भी नहीं जाता..

इन वामपंथियों ने बंगाल में सैकड़ों भाजपाइयों और हिंदुओं को भी मारा.. केरल का नरसंहार तो अबतक चल रहा है.. बिहार में ये किसी को भी बहुत आराम से मार डालते हैं.. लेकिन आपने सुना है कि किसी कंम्यूनिस्ट नेता को गिरफ्तार किया गया हो.. जो असल मे साजिश रचने के मुख्य कलाकार होते हैं... ? ?

लेकिन आज गिरफ्तारी होगी क्योंकि अब बात खुद की हत्या पर आ गयी है, चुनाव में सहानुभूति भी चाहिए, बाकी जो आज तक मरते रहे. .. उसके लिए नहीं.. बल्कि चुनाव में जीत का ये भी एक फैक्टर हो सकता है इसके लिए...

और तो और ये सारी गिरफ्तारी एक पत्र के आधार पर हो रही है.. ठीक है.. होना चाहिए..

लेकिन जो सरकार जेएनयू के वीडियो को सही साबित नहीं कर पाई वो एक पत्र को साबित कर लेगी क्या ?
#कोरेगांव #नरेन्द्र_मोदी

Sunday 19 August 2018

मुस्लिम समाज के दुश्मनों पर ही अल्लाह मेहरबान क्यों ?

कुछ मुल्लों ने झूठी तसल्ली हेतु एक पोस्ट डाली कि जिस जिस ने बाबरी मस्जिद गिराई उसके ऊपर अजाब गिर रहा है.. वो दुनिया से रुखसत हो रहे हैं... इसमें उन्होंने वाजपेयी जी का नाम भी जोड़ दिया..

लेकिन वाजपेयी जी को तो इतनी शानदार मृत्यु नसीब हुई.. 93 साल जी कर गए .. जो आजकल कम ही देखने को मिलता है.. फिर 10 सालों से कितनी सेवा मिली.. आराम मिला जो ऐसी हालत में जाने के बाद शायद किसी बुजुर्ग को नसीब होती हो ... फिर अल्लाह ने कौन सा दंड दिया ?
बाबरी गिराने वाले में प्रमुख आडवाणी जी भी टनाटन घूम ही रहे हैं...

2002 में दंगे के समय जिस मोदी जी को अल्लाह का नाम लेकर दुनिया भर के मुस्लिम बद्दुआएं देते हैं.. उसपर तो अल्लाह इतना खुश हो गया.. कि .. सीधे प्रमोशन देते हुए प्रधानमंत्री ही बना दिया ...

कहां है अजाब ? किधर है अल्लाह का दंड ? ये तो उल्टा हो गया है.... बल्कि इस हिसाब से तो ऐसा लगता है कि जिसको मुल्ले सबसे बड़ा दुश्मन मानते हैं .. अल्लाह उसी पर मेहरबान हो जाता है..

Sunday 12 August 2018

क्या दलितों का लालच देश खत्म करने पर आमादा है ?

मुस्लिमों के लिए चाहे कुछ भी किया जाए वो भाजपा को वोट नहीं करते... इसी तरह दलितों के लिए आप कुछ भी करो.. पर उनकी प्राथमिकता में पहले लालू, अखिलेश, माया होगी.. उसके बाद ही भाजपा आती है...
उसी क्रम में देखा जाए तो सवर्ण समाज के लिए सबसे पहले भाजपा ही है.. उसके बाद ही कोई और...

भाजपा देशभक्तों की पार्टी मानी जाती है तो इसके पीछे कारण भी उचित हैं... मुस्लिम और दलित हमेशा अपने नेताओं के माध्यम से देशविरोधी एजेंडे में शामिल हो जाते हैं... भले ही वो इनकार करें... जबकि देशहित के मुद्दे पर भाजपा को सिर्फ सवर्णों का साथ मिलता है...

इसमें भी अगर अंतर करना हो तो सिर्फ इतना कह सकते हैं कि मुस्लिम को देशविरोध के लिए किसी नेता, मौलवी या किसी कारण की जरूरत नहीं पड़ती क्योंकि मुस्लिम होना ही भारतीय संस्कृति और देश का विरोध मान लेना पर्याप्त है.. इस पर कोई चाहे तो बहस कर सकता है..

वहीँ दूसरी तरफ दलितों को समझने के लिए ऐसे समझिये,  मान लीजिए कि....
"आपकी नजर किसी दुकान में रखे हीरे जड़ित जेवर पर है.. आपकी पूरी इच्छा है कि काश ये मेरा होता... अचानक एक आदमी आये और कहे कि भाई.. देखो चारों तरफ.. ना कोई गार्ड है, ना cctv, ना कोई परिंदा... तू दुकान तोड़ के ले सकता है..
किसी ने उकसाया, माहौल मिला और सारी नैतिकता को ताक पर रखकर आप दुकान से "चोरी" करने को हमला कर देते हो... "

दलित यही कर रहे हैं.. कोई आता है और कहता है.. निराश क्यों हो ? तू ये भी ले सकता है, वो भी ले सकता है, इसको भी जेल भेज सकता है. .. और उसको भी.. बस मुझे वोट दो .. मैं उस दुकान (देश) पर हमला करने का माहौल बना दूंगा..
दलित अपने कदम आगे बढ़ा देता है.. लालच बुरी बला है...

आज देश के नेता .. देश के लिए राजनीति नहीं कर रहे.. ना फैसले ले रहे हैं.. वो वोट की राजनीति कर रहे हैं... क्योंकि अगर नहीं करेंगे.. तो दलित या मुस्लिम चोरी ना करने देने के लिए उस पार्टी को वोट नहीं देंगे...
आप चोरी करने दो.. तो ही वोट देंगे... ये अलग बात है इस चोरी को वो अपना "मूल अधिकार" जैसे शब्द देते हैं..

हम भाजपा को भी दोष क्यों दें अगर आज देश की ये स्थिति है.. मान लो कि कोई ऐसी पार्टी आ जाये जो देश हित की बात करता है तो दलित और मुस्लिम वोट नहीं करेंगे, ऐसे में वो हार जाएगी..

समस्या ये भी है कि दलितों का लालच सुनामी की तरह मुंह फाड़े आगे बढ़ता जा रहा है.. वो इसके लिए मुस्लिम जैसे संस्कृति विहीन और लुटेरी कौम के साथ गलबहियां करके सबकुछ मिटा देने पर आमादा हैं... 

खास बात तो ये है, मुस्लिम ... दलितों को साथ लेकर सवर्णों से निपट रहे हैं... देश पर कब्ज़ा करने के लिए राह का रोड़ा सिर्फ सवर्ण है.. वो दलित नहीं जो आए दिन छोटी छोटी मांगों के लिए इस्लाम अपनाने की धमकी देते हैं.. या अपना भी लेते हैं.. उनके लिए धर्म मायने रखती ही नहीं.. वो बहन से भी निकाह कर लेंगे और गौमांस भी खा लेंगे...
तभी तो भीम और मीम का रिश्ता परवान चढ़ रहा है... मीम ने हिन्दू समाज के एक महत्वपूर्ण किले को अपनी ताकत बना लिया है.. हम ये भी कह सकते हैं कि अंबेडकर ने जो पौधा लगाया था वो जहरीला पेड़ बन चुका है...

क्योंकि मुस्लिम को पता है कि एक बार देश पर कब्ज़ा हो जाये तो ये दलित हमारे सामने संघर्ष कर ही नहीं पाएंगे.. आधे तो यूँही इस्लाम स्वीकार कर लेंगे.. और बाकी आधे काट दिए जाएंगे.. पाकिस्तान में कितने हिन्दू दलित हैं ?

अब इसके बाद वर्तमान की चर्चा करें तो मोदी सरकार चार साल में किसी भी मोर्चे पर सफल नहीं दिख रही... लेकिन विचारणीय ये भी तो है कि जब देश के अंदर इस तरह की जनता हो तो कौन सी सरकार सफल होगी ? ?

Thursday 2 August 2018

घुसपैठिये मुस्लिम हैं इसलिए तो खतरनाक हैं

ये जितने रोहिंग्या, बांग्लादेशी हैं .. इनके ऊपर दया की जा सकती थी, अगर ये लोग मुस्लिम ना होते.. अगर ये लोग भारतीय जमीन और संस्कृति से नफरत नहीं करते.. अगर ये लोग tmc, कांग्रेस, बसपा जैसे राष्ट्रद्रोही पार्टियों के वोटर ना होते...
ऐसी हालत में घुसपैठिया तो छोटा शब्द है, इन्हें आक्रमणकारी मानकर कार्रवाई होना चाहिए...

सब कह रहे हैं ईसमे धर्म को बीच मे नहीं लाना चाहिए.. घुसपैठिया तो सिर्फ घुसपैठिया है... tv डिबेट में सेक्युलर बनने के लिए ऐसी बातें कहनी पड़ती है.. पर सच तो ये है कि एक पाकिस्तानी हिन्दू भारत मे आ जाये तो देश का नुकसान नहीं होगा पर एक मुस्लिम किसी भी देश से घुसपैठ कर जाए तो आने वाले दिनों में वो भारत और हिंदुओं की बर्बादी हेतु चलाये गए अभियान का प्रमुख पात्र होगा...

अगर सारे बांग्लादेशी .. एक जगह जमा होकर.. अपने धर्म की किताब को जला दें... ओवैसी राहुल के खिलाफ नारेबाजी करते हुए शपथ लें कि आज के बाद से वो इन पार्टियों को वोट नहीं करेंगे और उसी दिन बाल मुंडा कर शिखा और जनेऊ धारण करते हुए .. जय श्रीराम के नारे लगाएं... तब विचार किया जा सकता है ...

Monday 23 July 2018

गाय तो दूध देती है और तुम क्या देते हो ? आतंकवाद?

अरे भैया।।। गाय तो दूध दे लेती है... पर वो क्या दे रहे हैं देश को... जिसके लिए हम उनको गाय से ऊपर रखें..?
गाय तो सेवा कर देती है... हमें दूध भी पिला जाती है ...

और वो.. दे जाते है.. लाशों के ढेर... रेपिस्टों के झुंड... जनसँख्या की महामारी... गंदे मोहल्ले, गंदी सोच.. पाकिस्तान के नारे.....

आखिर कौन सी ऐसी सामाजिक, आर्थिक या ऐसा कोई भी लाभ इस देश को हो जाता है कि हम गाय से ज्यादा महत्व उनको दे दें ... बोलो...

फिर बोलते हो कि मुस्लिम से ज्यादा इस देश मे गाय सेफ है.. तो वो तो अपने अपने योगदान के हिसाब से तय होता है ना...  हमें जो ज्यादा उपयोगी और राष्ट्रहित की चीज लगेगी उसको सेफ्टी देंगे...

Saturday 30 June 2018

रेप के बाद दरिंदगी करने वालों में सिर्फ मुस्लिम क्यों ?

ये सोचने वाली बात है कि बलात्कार होते रहे हैं.. शायद होते भी रहेंगे... लेकिन पीड़िता के साथ जब दरिंदगी और हैवानियत की बात आती है तो आरोपी सिर्फ मुस्लिम ही निकलते हैं..
इसका सबसे बड़ा कारण है मदरसों में इनको ये समझाना  कि हिन्दुओ  की लड़कियां तो तुम्हारे हरम में रहा करती थी और उनकी औक़ात क्या है ?
दूसरा ये बताना कि इस्लाम में गैर मुस्लिम की लड़कियों से बलात्कार जायज है.. और उनको पीड़ा देना अल्लाह का जिहाद है..

ये लोग जैसे जैसे बड़े होते हैं . . पूरा दिमाग जहरीला होता जाता है.. इनके दिमाग मे हिन्दू लड़कियों की ऐसी इमेज बनाई जाती है कि जिसके साथ कुछ भी करो, सबसे गंदा काम करो क्योंकि वो इसी लायक है...... उसके बाद जिस दिन ये रेप करते हैं, तो सबसे पहले हिन्दू की बेटियां खोजते हैं...

इनके दिमाग मे रहता है कि ये काफ़िर की बेटी है और काफिर को तड़पाना ,मारना सबकुछ अल्लाह ने ही जायज कह दिया तो पाप रहा कहाँ ? ?

इस देश का संविधान भले ही मुझे फांसी दे दे पर बलात्कार और तड़पा कर की गई उसकी हत्या मेरे लिए पुण्य था... पाप नहीं..
जब व्यक्ति इस मनोदशा में पहुंच जाए तो वो क्या नहीं करेगा ?

जब मैं कहता हूं मुस्लिम के बारे में तो लोग गंगा जमुनी और अब्दुल कलाम आदि की नौटँकी करने लगते हैं, हमारे अपने ही लोग हमारे विरोधी होने लगते हैं..  जबकी देश के अंदर ये लोग एक महामारी का रूप ले चुके हैं... कम से कम कुछ नहीं कर सकते तो बहन बेटियों और माओं को सावधान कीजिये, समझाइए...

Sunday 17 June 2018

भोजपुरी फिल्मों व गानों की अश्लील हकीकत

यही है भोजपुरी सिनेमा की हकीकत.. कल अपनी दूसरी आईडी से भोजपुरी सिनेमा में हद पार कर चुकी अश्लीलता की बात क्या की ... कि कुछ बिहारी भाई ताव खा गए...
दोस्तों सच तो ये है कि ये गाने बिहार का कोई भी शरीफ आदमी ना बजाता है और ना सुनना चाहता है... ये गाने सिर्फ संस्कारहीन और महाबेशर्म लोग ही सुनते हैं...
भोजपुरी की दुर्दशा में सबसे बड़ा हाथ इन भोजपुरिया कलाकारों का है...  मगर मानता कोई नहीं...

जिस वक्त भोजपुरी फिल्में बननी शुरू हुई थी और हिट हुई थी  .. उस वक़्त मराठी सिनेमा, तमिल और तेलगु आदि अपनी शुरुआत कर रहे थे... आज वो लोग आसमान पर पहुंच गए... और भोजपुरी रसातल में...

भोजपुरी गाने और फ़िल्म....  अश्लीलता, नंगई और बुराई के प्रतीक बन गए हैं .. विश्वास ना हो तो एक काम कीजिये...

बिहार के किसी ऐसे हॉल के बाहर जाकर खड़े हो जाइए और देखिए कि किस टाइप के दर्शक अंदर जा रहे हैं... या बाहर निकल रहे हैं...
मुंह मे 10 किलो गुटखा ठूंसे और 20 किलो की माँ बहन वाली गाली उगलते लोग देखकर आश्चर्य नहीं होना चाहिए...
एक खास गिरे हुए मेंटेलिटी के लोग ही आपको जाते दिखेंगे...

इससे पीड़ित सबसे ज्यादा आपको गांवों में मिलेंगे.. जहां कोई रोकटोक नहीं होता और खुलकर गाने बजाए जाते हैं...
आपने अभी हाल में जहानाबाद, वजीरगंज जैसे गांवों में देखा होगा कि कैसे 5 -6 लड़के एक अकेली लड़की पर सरेआम टूट पड़ते हैं.. इसका वीडियो भी वायरल हुआ था... उनकी मानसिकता ऐसी कैसे बनी ?

शहरों में थोड़े सभ्य लोग हैं, कानून है तो शिकायत आदि करके ये सब बजाने वालों को रोका जाता है... हमारे ही शहर 'गया' में एसएसपी से शिकायत करके सारे ऑटो वालों की गाड़ी से ऑडियो प्लेयर उतरवाया गया... क्योंकि महिलाओं को बेहद ही अश्लील गाने सुनने पड़ते थे...

भोजपुरी के बारे बारे में क्या क्या कहा जाए ? इसके हीरो को देखिए... एक भी अच्छा goodlooking नहीं दिखेगा... सब के सब लपडझंडू दिखते हैं... मगर इनके लिए सुपरस्टार शब्द प्रयोग होते हैं... एक्ट्रेस देखिए... ऐसे थुल थुल पेट और बाकी सामान हिलाती है जैसे कोठे वालियां हों... क्या आप किसी भी हीरो या हेरोइन की तुलना साउथ के हीरो से कर सकते हैं.. मराठी से ? पंजाबी से ?

भोजपुरी इंडस्ट्री को कुछ खास लोगों ने कब्जा कर लिया है... इंडस्ट्री में खास रूल हैं... कम से कम 7 से 8 गाने होंगे, इसमें से चार आइटम होंगे, 2 सामान्य होंगे, एक कोठे वाला कव्वाली या ऐसा कुछ होगा... आदि आदि... ढाई घण्टे में कितने समय तक अश्लीलता चलेगी, कितने समय तक मारधाड़ और कितने समय तक रोना धोना वो फिक्स है... यहां कहानी से कुछ लेना देना नहीं.

सबसे हैरत की बात है कि फ़िल्म के म्यूजिक ट्रैक भी फिक्स हैं.. एक बार जो आइटम सॉन्ग का ट्रैक बन गया तो सिर्फ गायक नए गाने उसी ट्रैक पर गा देता है, बस हो गया.. मैने अपनी आंखों से देखा, एक घण्टे के अंदर पूरा गाना रिकॉर्ड हो गया और म्यूजिक भी बन गए...यहां हर कोई कमाने आया है.. चाहे जैसे भी... यहां रचनात्मकता की बात करना पाप है...

आज बिहार अगर इतना बदनाम है तो इसके पीछे इस भोजपुरी इंडस्ट्री का बहुत बड़ा हाथ है... आज अगर गांवों में भी खुलेआम रेप करते नाबालिग मिल रहे हैं तो ये सब इसी से हुआ है...

मैं भी बिहार का हूँ.. और मैं नहीं चाहता कि ये गंदगी और फैलता रहे.. इसलिए मैं इसका विरोध करता रहूंगा...
#भोजपुरी #bhojpuri