Monday 26 June 2017

जुनैद की मौत बदलते हिंदुओं का आक्रोशित रूप

हरियाणा में जुनैद की दाढ़ी खींची गई.. साम्प्रदायिक गालियां दी गयी और चार पांच मुसलमानों को इतना पीटा गया कि आखिरकार उसमे से एक जुनैद अल्लाह को प्यारा हो गया...
क्या ये बुरा हुआ ? या अच्छा हुआ ? शायद ही कोई इस तर्क को जुटा पायेगा कि ये अच्छा हुआ क्योंकि उसके भाई के अनुसार वो लोग तो ट्रेन में सिर्फ लूडो खेल रहे थे...

दोस्तों.. ये भी तो सोचिए कि इस तरह से मुस्लिमों की हत्याएं इसके पहले क़ब हुई थी ? कब गौहत्या का शक होने भर से जान ले ली जाती थी ? शायद कभी नहीं.. तो अब क्यों ? और वो भी हिंदुओं का ऐसा व्यवहार ?

दोस्तों हम सब तो इस जुनैद की तरह ना जाने कब से मार खाते और जान देते आ रहे थे... कभी कोई मुस्लिम मोहल्ले में किसी को हल्की ठोकर लग जाये तब.. या कोई मुस्लिम मोहल्ले में गया हो तब ... या किसी ने मंदिर में फेंके मांस पर या लाउड स्पीकर उतारे जाने पर प्रतिरोध किया हो तब.. कोई मेरा भाई सचिन ने अपनी बहन से होने वाली छेड़खानी का विरोध किया था तब... या जब डॉक्टर नारंग ने घर के पास हो रहे जुल्म पर आवाज उठानी चाही तब ? ? हज़ारों लाखों हिन्दू तो सिर्फ इधर के 100 साल में इनके हाथों मारे गए तब भी हिंदुओं के मन मे इतनी नफरत नही आई थी जितनी आज है... आखिर क्यों ?

दोस्तों आज जुनैद को ठीक उसी तर्क पर शायद मार दिया गया जिस तर्क पर हरेक हिन्दू को मुस्लिम मार डालना चाहते हैं... याने "ये हिन्दू है".... तो मार दो.. (ये मुस्लिम का जायज धर्म कहता है)

ये पहली बार हुआ कि ये मुस्लिम है इसलिए इसको पीटो... . ये नफरत.. जन्म लेनी ही थी.. ये एक दिन में नहीं हुआ है.. ये तो सालों से हो रहा था.. बस समझ में नहीं आ रहा था कि मेरे इस कष्ट के पीछे अपराधी कौन है ? आज लोगों को पता चल गया है..

आज कोई हिन्दू नहीं जानता कि वो कहां किस जगह मुसलमानों के झुंड में फंस जाएगा और मारा जाएगा.. इसका परिणाम ये है कि अब वो भी जहां मौका मिलेगा तो जान लेने तक मुस्लिम को जरूर पीटेगा...

ये भी गौर करने वाली बात है कि पीड़ित कह रहा है कि ट्रेन में लोग चिल्ला रहे थे कि "और मारो.. और मारो"...

मतलब यह है कि ट्रेन में बैठे जितने हिन्दू थोड़ी देर पहले तक सेक्युलर दिख रहे थे वो सब अंदर से कट्टर हिंदूवादी थे... जब 5 लोग मारने लगे तो सबके अंदर मुस्लिमो के प्रति नफरत फट पड़ी.. ये नफरत हिंदुओं ने कुरान से ... रामायण से नहीं सीखी.. ये ध्यान रहे.. ये नफरत तो खुद उन "जुनैदों" ने हमें करना सिखाया है.. हम पर अत्याचार कर कर के..

Sunday 25 June 2017

मुहम्मद के अल्लाह से मिलने की कथा

एक दिन सुबह उठकर मुहम्मद ने अपने लोगों को इकठ्ठा किया और उन्हें बताया की ''कल रात इश्वर ने मुझे बहुत ही सम्मान प्रदान किया मैं सो रहा था की जिब्रील आये और मुझे उठाकर काबा ले गए ,

यहाँ लाकर उन्होंने मेरा सीना खोलकर जम-जम के पानी से उसे धोया और फिर उसे इमान और हिकमत से भरकर बंद कर दिया , इसके बाद जिब्रील मेरे लिए सफ़ेद रंग का बुरक नाम का घोडा जो खच्चर से छोटा था लाये मैं उस पर सवार हुआ ही था की अचानक हम बेतलहम पहुँच गए यहाँ बुरक को मस्जिद के दरवाजे पर बांध दिया गया ,

इसके बाद मैं जिब्रील द्वारा मस्जिद-ए-अक्शा ले जाया गया जहाँ में दो रकात नमाज पढ़ी | इसके बाद जिब्रील मेरे सामने दो प्याले लेकर आये एक दूध से भरा था और दूसरा शराब से लबरेज......मैंने दूध वाला प्याला लिया जिब्रील ने कहा की आपने दूध वाला प्याला स्वीकार कर धर्माचार का परिचय दिया है |

इसके बाद संक्षेप में कहानी ये है कि मुहम्मद को पहले आसमान पर ले जाया गया फिर दूसरे फिर तीसरे और इस तरह से सातवें आसमान पर जब वो पहुंचते हैं तो वहां मिला अल्लाह... यहाँ मुहम्मद की अल्लाह से बातचीत हुई और अल्लाह ने 50 नमाज़ें तोहफे में दे दी... मूसा ने कहा तुम्हारे अनुयाई इस बोझ को नहीं उठा पाएंगे जाओ कुछ कम करवा आओ इस तरह पचास नमाजें घट कर पांच समय की हुई .. जो आजकल 5 बार दिन में पढ़ी जाती है।

जब मुहम्मद सुबह सुबह अपने इस सपने की बात बता रहे थे तो उसी वक़्त समझदार लोगों ने मुहम्मद को झूठा करार दे दिया था..
"तू तो बस हमारे ही जैसा एक आदमी है हम तो तुझे झूठे लोगों में से ही पाते हैं" कुरान -अश-शुअरा, आयत १८६

अब जरा सोचिए.. कि

1. क्या आसमान सात है ? तो क्या सातवें आसमान के बाद कुछ नहीं है ? कहीं ऐसा तो नहीं कि सातवें आसमान के ऊपर भी कुछ हो और अल्लाह को ही पता ना हो इसलिए अल्लाह आठवें पर ना गया हो ?

2. मुहम्मद को पहले काबा में लेजाकर जमजम के पानी से शुद्ध क्यों किया गया? जिब्रील ने मुहम्मद के सीने को खोलकर उसमे अच्छाई भर दी.. तो क्या मुहम्मद के सीने में गंदी बातें भरी थी..?

क्या उनको पता नहीं था कि अच्छाई संस्कार से आते हैं और वो आता है ज्ञान से. और ज्ञान दिल मे नहीं दिमाग मे भरा जाता है ? ? किसी को अच्छाई, सदाचार, आहार विहार उसके दिमाग मे दिया जाता है, दिल मे नहीं.. पर मुहम्मद का गलत आपरेशन क्यों कर दिया गया ? इसी गलती की वजह से कहीं मुहम्मद वैसा का वैसा तो नहीं रह गया ?

3  इसके बाद तो और भी गलत है.. अब जाकर दूध और शराब का प्याला दिया जाता है तब मुहम्मद शराब ना लेकर दूध लेते हैं? तब जिब्रील खुश हो जाता है कि yes अब तुम सही आदमी हो चुके हो...

अरे भाई जब तुमने थोड़ी ही देर पहले उसके दिल मे ईमान और सदाचार भरा था तो अब परीक्षा लेने की क्या जरूरत थी ? क्या ये जांच चल रही थी कि अगर दूध का ग्लास उठाएगा तो दिल मे भरा गया ईमान और हिकमत का बंडल सही काम कर रहा है. ये समझा जाएगा ?

4. मुहम्मद को खच्चर से भी छोटा घोड़ा दिया गया था.. तो क्या उस वक़्त अरबी घोड़े नहीं थे ?

5. जब मुहम्मद सातवें आसमान पर अल्लाह से मिले तो 50 नमाज़ें गिफ्ट कर दी.. बाद में घटा कर 5 नमाज की गई ? तो क्या अल्लाह को पता नहीं था कि कोई इंसान धरती पर 24 घण्टे में 50 बार नमाज नहीं पढ़ सकता ?  क्या अल्लाह को पता नही रहा कि 24 ही घण्टों का एक दिन होता है ? ?

एक ऐसी फंतासी की कहानी सच मान ली गयी कारोड़ों लोगों के द्वारा जो 100 प्रतिशत झूठ था.. इससे एक बात तो साबित होती है कुछ भी हिंदुओं में तार्किक शक्ति है.. वो कहानी किस्सों पर नहीं बल्कि व्यवहारिक विज्ञान पर चलना पसन्द करते हैं।
#इस्लाम #islam

Friday 16 June 2017

क्रिकेट से नफरत या पाकिस्तान से ?

मैं अपने कुछ दोस्तों को खुश रखने के लिए क्रिकेट पर पोस्ट नहीं करता वरना क्रिकेट देखता ही हूँ... दोस्तों ..... क्रिकेट ने ऐसा क्या कर दिया है कि उससे नफरत किया जाए ? क्रिकेट ज्यादा प्रसिद्ध हो गया इसके लिए ? या क्रिकेट में कुछ लोग सट्टा लगाते हैं इसके लिए ?

जिसे जितनी प्रसिद्धि मिलनी है वो तो मिलती ही है.. ये दुनिया का नियम है कि कोई प्रसिद्ध होगा तो उसी क्षेत्र के बाकी लोग या सामान उसके नीचे रह जाने को विवश होंगे।

अगर मोदीजी बुलंदी पर पहुंचेंगे तो आडवाणी जोशी जैसे कई नेता फिर जिंदगी भर PM नहीं बनेंगे.. ये सच है या नहीं ? तो क्या बाकी के नेताओं को ऊपर लाने के लिए मोदीजी को हटा दें ?

जब अमिताभ बच्चन पर टॉप पर थे तो करीब 25 तीस सालों में कई बड़े और छोटे कलाकारों का जीवन इसी उम्मीद में बीत गया कि वो भी टॉप पर आ सकते थे... पर इसका कोई हल है क्या?

आज अम्बानी की कम्पनी कई कंपनियों को बढ़ने से रोकता है.. क्या jio ने सभी को रोका या नहीं ? क्या जिओ को इसके लिए खत्म कर देना चाहिए ?

कोई किसी वजह से ही प्रसिद्ध होता है.. क्रिकेट में रोमांच है.. एक्शन हैं.. अनिश्चितता है.. लोगों को बांध कर रखता है.. इसलिए ये पॉपुलर होना ही था.. कुश्ती वही करेगा जिसको खाने पीने और कसरत करने के पैसे हों.. कबड्डी भी वैसा ही खेल है.. कोई मरियल से लड़का कबड्डी खेलेगा क्या ? हॉकी के लिए जिस तरह का घासयुक्त plain टर्फ चाहिए वो हम बच्चों को कहां से लाकर देंगे?

क्रिकेट हर कोई खेल लेता है... गरीब भी और मरियल सा लड़का भी.. यहाँ तक कि विकलांग भी.. और कहीं भी.. अपने आंगन में भी.. मोहल्ले की गलियों में भी... और खेलना तो है ना ? खेल तो होना चाहिए ना जिंदगी में ?

अब ये कहना कि क्रिकेट में जुआ है.. सट्टा है.. मैंने भी खूब क्रिकेट खेला है बल्कि जमकर खेला है.. आज भी मेडल वगैरह रखे हुए हैं.. तो क्या मैं सट्टेबाज था ? बाहर आज देखा तो 5 साल और 10 साल के बच्चे क्रिकेट खेल रहे थे तो क्या वो जुआरी थे..देश के दुश्मन थे ?

क्रिकेट के ज्यादातर आलोचक वो हैं जिन्हें क्रिकेट समझ भी नहीं आती.. जिंदगी में कभी खेला भी नहीं है.. फिर उनके लिए आलोचना करना बेहद आसान हो जाता है और गाली देना भी.. मोदीजी के प्रशंसक है और क्रिकेट के आलोचक.. जबकि मोदीजी दिनरात क्रिकेट पर ट्वीट करते रहते हैं.. पहले उनसे नफरत करो ना .. जिस सेना का हवाला देते हो वो सेना भी जम कर क्रिकेट देखती है और मैच के दिन भारत की जीत के लिए शुभकामना देते हैं... अरे भाई आखिर क्यों ? क्यों ये बेकार की दिखावे वाली नफरत ?

आपको दिक्कत होनी चाहिए कि सिर्फ पाकिस्तान से ना खेले ..  तो बंद करवाओ ना.. पाकिस्तान से मैच.. ? तुम तो क्रिकेट ही खत्म करवा देना चाहते हो ? इतने सालों से बंद था तो किसने कहा कि चालू कराओ.. लेकिन ये icc का टूर्नामेंट था तो मजबूरन खेलना ही था.. जैसे मोदीजी मजबूरी में वैश्विक स्तर के किसी कार्यक्रम में पाकिस्तानी नेताओ का प्रमुखों से मिलने को मजबूर होते हैं..

बाकी की बात ये है कि.. मुझे पाकिस्तान से नफरत है.. उसके साथ खेलना भी नहीं चाहता लेकिन क्रिकेट से कोई नफरत नहीं है क्योंकि क्रिकेट को पाकिस्तान ने या मुल्ले ने नहीं बनाया था.. इंग्लैंड ने बनाया.. लेकिन क्या इंग्लैंड और बाकी देश हमारे बनाये कुश्तियों को नहीं खेलते ? कबड्डी नहीं खेलते ? ? खेल सिर्फ एक खेल ही है... उसके अंदर अच्छे बुरे लोग होंगे क्योंकि दुनिया के हरेक क्षेत्र में अच्छे बुरे लोग हैं। बाकी आपकी नेगेटिविटी को खत्म करना मेरे बस की बात नहीं है बस आज अपनी बात कह दी।

Tuesday 13 June 2017

मुसलमानों का विश्वास ही है आतंकवाद

सबकुछ "विश्वास" पर टिका है.. मुसलमानों का ये विश्वास कि... अगर मैंने ऐसा किया तो मुझे हूर मिलेगी.. एक 'विश्वास' है.. ये विश्वास आता है.. जब उसके जन्म लेने के साथ ही वो ये belief अपने बाप से पाता है.. फिर अपने मोहल्ले के लोगों से पाता है.. और उसके बाद मदरसे से... फिर दुनिया से.. उसकी कनेक्टिविटी उसी belief syestem के लोगों से जुड़ा है...

इसके बाद जो 'विश्वास' उसने इकट्ठा किया है वही बोलता है... करता है.. याने जिहाद... उसका विश्वास पक्का है कि काफिरों की हत्या या उस कार्य में मदद... उसको हूर से मिलाएगी...

हूर सिर्फ एक लड़की है.. जो आपके साथ सिर्फ सोती है.. ना बात करेगी ना डाँटेगी ना फरमाइश करेगी.. 24 घण्टे आपके साथ सेक्स करेगी... और ये 72 हूर मिलेगी.. ये तो आजकल सभी जानते हैं।

लेकिन आप विश्वास नही करोगे क्योंकि आप हिन्दू हो और आपके समाज के लोग ऐसी काल्पनिक और झूठी बातों के लिए विश्वास पैदा नही करते क्योंकि हिन्दू समाज के लोग अंततः समझदार हैं....

ये समझदारी पढ़ने लिखने से नही आती.. समझदारी में दीमक उस "विश्वास" वाली थ्योरी से ही लगता है.. जो मुस्लिमों में लगाया जाता है। ये विश्वास इतना पक्का हो जाता है मुस्लिम इंसान का गला काटते हुए भी हंसते हैं.. क्योंकि एक पूरा बिलीफ सिस्टम काम करता है.. कि you are not wrong...  काफिरों को मारना पाप है ही नहीं.. मुसलमानों ने पाप की श्रेणी में जब इसे रखा ही नहीं तो बताइए कि वो अपराध (उनकी नजर में) हुआ कैसे ? और वो क्यों दुखी हो ?

आपकी कमजोरी ये है कि आपकी जिंदगी में ये गलत विश्वास खड़ा कर दिया गया है कि ये गला काटने वाले लोग भी अच्छे हैं.. भटक गए हैं या आपका कुछ नहीं बिगाड़ेंगे ...

सच तो ये है हरेक मुस्लिम का एक ही "belief syestem" है.. जिसका गर्दन कट रहा है वो उनकी पहुंच में था.. और आप नहीं थे... अगर आप उनकी जद में होते तो कटती गर्दन वाले वीडियो में आप होते...

जो मुस्लिम गर्दन काट रहा था वो आपके बगल के ही मुस्लिम है.. अंतर इतना ही है कि जिसको tv पर आपने देखा उसको अपने belief को पूरा करने का मंच मिल गया था.. जगह मिल गयी थी...

आपके आसपास के मुस्लिम को आप और आपके समाज ने वो मंच दिया नहीं है.. आपकी बहुसंख्यक जनसंख्या के डर ने रोक रखा है.. लेकिन... उसके अंदर का "विश्वास" वही है.. उसे जन्नत चाहिए, हूर चाहिए.. और उसका रास्ता सिर्फ आपसे होकर गुजरता है..

बस वो अपने उस काम के लिए मंच तैयार कर रहा है.. जगह बना रहा है.. और आप जगह दे रहे हो.. अगली गर्दन आपकी होगी.. आज नहीं तो कल... उसे हूरें चाहिए ही चाहिए.. जन्नत का उनका विश्वास पक्का है...

Friday 2 June 2017

हिंदुओं में कोई भी हो सकता है पंडित ब्राह्मण ऋषि मुनि

शंकराचार्य जब काशी गए तो वहां मार्ग में उनके सामने एक चांडाल (श्मशान घाट में संस्कार कर्म करने वाला) आ गया। तब हिन्दू धर्म की जाति-व्यवस्था में चांडाल का काम सबसे निम्न स्तर का माना जाता था। शंकराचार्य ने चांडाल से रास्ते से परे हटने को कहा। जवाब में वह उनके सामने हाथ जोड़कर बोला, ‘‘क्या हटाऊं, अपना शरीर या आत्मा? आकार या निराकार?’’ इन सवालों ने शंकराचार्य को  झकझोर दिया। उन्होंने उस चांडाल को ही अपना गुरु मान लिया। कहा जाता है, चांडाल के रूप में स्वयं शिव आए थे, पारम्परिक वर्ण व्यवस्था में पूरी तरह रचे-पगे शंकर को व्यावहारिक अद्वैत का मर्म समझाने।

जब आरक्षण जैसा कोढ़ नहीं था तब कई SC ST वाले ही ऋषि मुनि पंडित ब्राह्मण थे.. महर्षि मतंग शूद्र कही जाने वाली जाति के थे और चांडालों के लिए कार्य करते थे।

ऐतरेय उपनिषद के रचयिता महर्षि ऐतरेय भी निम्न जाति के थे। उनकी मां ऐतरा सेविका थीं। सत्यकाम जाबाला की तरह गणिका के बेटे थे मगर बाद में सुप्रसिद्ध ऋषि बने।

न्याय और नीति के ज्ञाता विदुर दुनियाभर में विख्यात हैं। विदुर राजा धृतराष्ट्र की दासी के बेटे थे। सारे पुराण सूत उवाच से शुरू होते हैं, क्योंकि पुराणों को सुनाने का सम्मान सूत ऋषि को दिया गया है जो निम्न जाति के थे।

खुद गीता कहने वाले कृष्ण यादव जाति के माने जाते हैं जो आज के ‘अन्य पिछड़े वर्गों’ में से एक है। हम उसी यादव कृष्ण को पूजते हैं.. पर उसी यादव समाज का हाल देखिये.. लालू यादव मुलायम अखिलेश शरद को देखिए जो पूरी तरह से हिंदुत्व याने हिन्दू विरोधी हैं. .. उसी के पीछे यादव चल कर कृष्ण को अपमानित करते हैं..

संत कबीरदास जैसे जुलाहा जाति के लोग थे तो रैदास जैसे चर्मकार भी, तुकाराम जैसे छोटे व्यापारी थे तो जनाबाई जैसी सेविका भी, ज्ञानेश्वर जैसे ब्राह्मण थे तो कनकदास जैसे चरवाहे भी थे। सबको हिन्दू समाज ने ऋषि मुनि भगवान समान दर्जा दिया.. लेकिन क्यों ? क्योंकि वो हिन्दू धर्म के मूल भावनाओं पर चल रहे थे.. ना कि इस अम्बेडकरी गलत नीतियों पर.. वहां लालच नहीं था पर यहां है... आज भी वक़्त है सारे sc st दलित यादव वापिस अपने पूर्वजों की तरह अपने कर्मों से पूज्य बनें.. हम इंसान के अंदर व्याप्त गुणों को हमेशा से ऊपर रखते आये हैं.. आज भी जरूर रखेंगे।