Monday 15 August 2016

बिहार की ट्रेन में बहन बेटियों के साथ सावधान रहे

बात  2009 की है जब मैं पटना से अपने घर 'गया' जाने के लिये ट्रेन चढ़ा.. रात के 8 बज रहे थे.. मेरे साथ साथ हज़ारो लफंगो की भीड़ उसी ट्रेन मे चढ़ी . .. जो डेली बेसिस पर काम करने वाले जवान लड़के थे...पटना से गया के बीच बहुत सारे गांव है. जहां से ये लोग हर दिन पटना आते हैं फिर वापिस रात को लौट जाते हैं।

जहां मैं बैठा था वहीं एक दादी जी अपनी पोती के साथ बैठी थी जो करीब 11 साल की होगी .. जैसे ही ट्रेन चली..दो तीन लड़के उस दादी जी के पास चले गये..खड़े हो गये.. और एक लड़के ने जिस ने मूह मे एक किलो गुटखा ठूंस के रखा था.. वो एक चाइना का मोबाइल निकाला और अश्लील भोजपुरी गीत को बजाने लगे .. सारे लड़के मजे ले रहे थे...छेडखानी का इतना घिनौना रूप आपको सिर्फ बिहार मे मिल सकता है और कहीं नही। हैरानी की बात थी की पूरी ट्रेन मे अच्छे लोग जिनको बुरा लग रहा था वो चुप थे .. उनमे एक मैं भी था .. वजह? हम अच्छे लोग कुछ की सँख्या मे थे.. और कोई भी  एक दूसरे की हेल्प करने वाले नही थे जबकि उसकी छेडखानी मे एकता थी.. पूरी बॉगी के लड़के उसके साथ थे।।

आखिर मे एक दादा जी टाइप के आदमी ने बोला "बेटा.. घर मे तुम्हारे भी माँ बहन है.. "... इसके बाद .. एक ने सीधा  बोला.. "चुप रहा चचा ना तो उठा के फेंक देवो ".. और बाकी लड़के हंसने लगे.. ट्रेन चलती रही.. वो बुढ़िया दादी  चुपचाप अपनी बच्ची की खातिर चुप हो कर सफर करती रही.. एक से बढ कर एक अश्लील भोजपुरी गाने सुनती रही.. वो सारे लड़के गाहे बगाहे लड़की को छुने का प्रयास करते रहे .. दादी बचाती रही.. कहीं railway की पुलिस नही थी.. 

 

पटना से जहानाबाद तक पूरी ट्रेन इनके क़ब्ज़े मे थी..आप बोलेंगे किसी ने कुछ किया क्यूं नही? जवाब है कि रेलवे लाइन में अगर कोई कुछ बोलता है तो तुरंत सारे लड़के पूरी ट्रेन मे एक जगह जमा हो जाते हैं और पीट ते हैं.. ट्रेन से नीचे फेंककर  मार भी डालते हैं.. यही नही अगर आप ने उसको पीट दिया तो वो लोग अपने गांव फोन कर देते हैं फिर जैसे ही 
उनका गांव का स्टेशन आता है वहा गांव के 200 - 300 लोग लाठी ले कर डब्बे मे घुस जाते हैं और फिर उस आदमी को उतार कर मारते हैं ... ये सब वहा की रोज़ की घटना है...धीरे धीरे एक के बाद एक स्टेशन आते गये ... लफंगो की भीड़ कम होती गयी और लगभग जहानाबाद आते आते 75 % भीड़ लफंगो वाली निकल चुकी थी.. अब देखिये हैरान करने वाली बातें .. अचानक से मुझे खिड़की के बाहर रेलवे पुलिस नज़र आने लगी.. एक दो टी टी ई भी नज़र आ गये..पटना से इस स्टेशन तक किसी भी माँ के लाल मे हिम्मत नही की वो टिकेट चेकिंग भी कर सके..पूरी पुलिस फोर्स मे हिम्मत नही की किसी डब्बे मे आ कर किसी को रोक सके.. . रेलवे प्रशासन को मालूम है...... जब सारे बेटिकट वाले लोफर उतर जाते हैं। तब इनकी हरकत गरीबो पर पैसे वसूल ने की शुरु होती है .. उसी वक़्त जिस दादा जी ने विरोध किया था उनके बगल के एक आदमी उनको ही डांट ने लगते हैं..
"बाबा ई उमर मे जहो तनी मणि सर पर बाल बचल हउ ना वोहू चल जैतो ... समझ ला ?"

वो एक भयानक रात थी.. और ऐसी रात हर दिन होती है मैं कई दिनो तक सोया नही.. उस बच्ची को घेर कर टॉर्चर करने वाली तस्वीर घूमती रही..
जब पुलिस टी टी ई सब ऑलरेडी जान ही रहे थे तो  मैं कहा शिकायत करता ?..खैर एक बात बोलूंगा.. बिहार मे जाओ तो बहन बेटियों के साथ सफर मत करना और रात मे तो बिल्कुल नही ...
(ये पोस्ट मैंने 2013 में NBT पर लिखा था)

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