Saturday 23 December 2017

आपको वंदे मातरम याद नहीं या जनेऊ नहीं तो मीडिया प्रमाणपत्र देगी

आजकल टीवी पर एक ड्रामा चला हुआ है.. कि अचानक से कोई आपको कह दे .. वंदेमातरम गाओ... या जन गण मन... या कोई श्लोक सुना दो या कोई मंत्र पढ़ दो.. और अगर आपसे ग़ालती हो गयी तो खूब नमक मिर्च के साथ आपका हिंदुत्व या राष्ट्रवाद का सर्टिफिकेट खारिज कर दिया जाएगा...

जाकिर नाइक को वेदों के भी मंत्र श्लोक याद थे तो क्या वो हिंदूवादी कहलायेगा ? दिग्विजय वंदेमातरम गा ले.. तो क्या उसे राष्ट्रवादी माना जायेगा ? ये तो शुद्ध रूप से किसी इंसान की मेमोरी पावर की बात है... कि क्या वो पूरा गीत या मंत्र याद रख सकता है ? हिंदुत्व या राष्ट्रवाद तो एक भावना है जो किसी के रोम रोम में बसा होता है... जब लाखों लोग अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराने के लिए सीने पर गोली खाते हैं तो हज़ारो लोग होंगें जिनको रामशलाका या रामायण के संस्कृत श्लोक याद नहीं होगा... लेकिन श्रीराम उनके खून के कतरे कतरे में थे... दिल मे दिमाग मे श्रीराम बसे थे.... हो सकता है कि एक बच्चा अपने पिता के बिजनेस को संभालने लायक गुणवत्ता ना रखता हो लेकिन पिता के लिए निष्ठा तो फिर भी रहती है...

हमें ऐसा ही बनना चाहिए... और हम ऐसे ही हैं... हो सकता है कि हम वंदेमातरम को सही उच्चारण के साथ ना बोल पाए लेकिन वंदेमातरम गीत किसलिए है.. क्यों है... इसके विरोध करने वाले कौन है... उनके साथ क्या सुलूक करना है... ये जरूर समझ में आना चाहिए....

लालू के पाप का घड़ा फूटा, गए जेल

लालू यादव जेल जा रहे हैं.. अब बिहार की सड़कों पर हंगामा शुरू होगा.. एक चोर के लिए भी ऐसा समर्थन आपको सिर्फ बिहार में ही देखने को मिलेगा... क्योंकि ज्यादातर बिहारियों के लिए चोर, गुंडे, डॉन, भ्रष्टाचारी रोल मॉडल होते हैं... बिहार के युवा इन गिरे हुए चारित्रिक लोगों के जैसा बनना ज्यादा पसन्द करते है... क्योंकि इनके पास अथाह धन भी होता है और अनलिमिटेड पॉवर भी...

ये लालू यादव..तो हज़ारों हज़ार लोगों का हत्यारा भी है... जंगलराज में हुई हत्याओं का सूत्रधार कौन था ? अपहरण उद्योग का बॉस कौन था ? एमसीसी जैसे नक्सलियों के हाथों हज़ारों हत्याएं किसने करवाये थे ? भ्रष्टाचार इनके खून में ऐसा बसा था कि इतने साल बाद जब राजनीति में वापिस आये तो इन्होंने सोचा कि इनको फिर से भ्रष्टाचार के लिए ही वापिस लाया गया .. इसलिए इस बार तो इन्होंने अपने पुत्र, पुत्री, दामाद सबको इस कार्य मे लगा दिया... आख़िर ये कैसा आदमी है ? ?

इसे 3 साल की जगह 30 साल की सजा होनी चाहिए और वो भी इसके लंपट और भ्रष्टाचारी बेटों, बेटियों और दामाद के साथ...

Thursday 16 November 2017

जौहर करना कायरता नहीं.. पराक्रम है..

जौहर को कायरता कहने से पहले ये पता करना चाहिए कि जौहर किन विषम परिस्थितियों में शुरू हुए ? ? रानी पद्मिनी सिर्फ रूप में ही नहीं बल्कि युद्ध मे भी अद्वितीय थीं ... जब राणा को धोखे से बंदी बनाया गया और पद्मिनी को हाजिर होने को कहा गया तो क्या रानी हाजिर हुई ?

बल्कि उन्होंने एक पुरुष की तरह रणनीति बनाई.. और खिलजी के ऊपर आक्रमण का निर्णय लिया... तभी तो डोली में बैठकर वीर सैनिकों  का काफिला खिलजी के किले में घुस गया... ये पद्मिनी के युद्ध की भावना को दर्शाता है.... उस जिगर को दर्शाता है जो राजपूतों में स्वभावतः चली आ रही है... 

जब उसके बाद फिर से महल पर हमले होते हैं... सभी राजपूत सैनिक और राणा भी बलिदान होते हैं... तब रानी पद्मिनी को ये घृणास्पद सच्चाई पता होती है कि मुस्लिम किसी भी जगह दो ही चीज के लिए जाते हैं... एक तो धन के लिए और दूसरी महिलाओं के साथ रेप करने के लिए....

भले ही दूसरे धर्मों में रेप पाप होता है लेकिन इस्लाम मे इसे पवित्र कार्य माना गया है... खासकर काफिरों के साथ... जब सारे पुरुष सैनिक मारे गए तो महिलाएं क्या वीर होने के बाद भी जीत जातीं ? ऐसे युद्ध मे जो महिलाएं मर जाती उनके भी साथ मुस्लिम रेप करते क्योंकि इस्लाम मे मुर्दा महिलाओं से रेप भी जायज है... फिर जो घायल महिलाएं होती उनके साथ भी रेप होता... यहां सिर्फ एक ही सम्मानजनक रास्ता था कि खिलजी के हाथों सिर्फ राख हाथ लगे ना कि उनके शरीर....  क्योंकि यहां तो हमला ही हुआ था रेप के लिए...

और हिन्दू वीरांगनाओं के युद्ध से तो इतिहास पटा पड़ा है... लेकिन मुझे बताओ इन मुग़लों की बहन बेटियों ने कभी युद्ध किया ? कोई मुस्लिम औरत युद्ध मैदान में आई क्या ? इनके कौम में कोई लक्षमी बाई... झलकारी बाई... मैना गुर्जर... महारानी दुर्गावती.... उदा देवी... आदि हुई क्या ? वीरांगना तो सिर्फ हिंदुओं ने पैदा किये.. और होता ही रहेगा... मुस्लिम कौम में  औरतें सिर्फ बिस्तर की शोभा बनती है जबकि हिंदुओं में ये रणक्षेत्र की भी शोभा अपनी वीरता से बढ़ाती रही हैं...

मुस्लिमों में अगर इतनी ही ताकत थी तो बाकी इस्लामिक देशों की तरह यहां क्यों इस्लामिक राज नहीं ला पाए ? ? क्योंकि बाकी देशों में जौहर करने की हिम्मत महिलाओं में नहीं थी... उन्होंने बीवी बनना स्वीकार किया पर लड़ना और मरना नहीं.... मरकर भी हिंदुओं को एक कार्य सौंप गईं कि तुम्हे मेरे इस जौहर का बदला लेना है... और हम जैसे हिन्दू इस जौहर का बदला लेकर रहेंगे... अभी तो शुरुआत है....

Thursday 5 October 2017

कोई मुझे भी मोदी विरोधी बना दो भैया..

जो भी हिन्दू होकर मोदीजी के विरोधी हैं.. वो दिमाग से विकलांग हैं... मैं हमेशा सोचता हूँ कि कोई मुस्लिम या वामपंथी अपने तर्कों से मुझे प्रभावित क्यों नहीं कर पाता  ? कोई मुझे क्यों नहीं समझा पाता कि मोदीजी का शासन खराब है ?

बात इतनी सी है कि कुछ मेरे जैसे लोग सच्चाई देख कर मुकर जाए ऐसे संस्कार नहीं हैं... दिमाग से इतने पैदल भी नही हैं कि कोई अपने दिमाग का dustbin मेरे दिमाग मे उड़ेल कर चला जाये... और फिर हम भी उस कचरे का अंश हो जाएं...

आपको बताया था कि एक मुस्लिम दोस्त बराबर मुझे मोदी विरोध या हिन्दू विरोध की पोस्ट भेजता था.. इससे मुझे समस्या नही थी क्योंकि ये सब जानना भी चाहिए कि दुश्मन क्या सोचता है... लेकिन एक दिन उसको जवाब दिया तो बेचारा इस्लाम का मारा facts को बर्दाश्त नहीं कर सका और दोस्ती खत्म हो गयी.. लेकिन उसके बाद एक दिन उसने फिर से रिप्लाई करते हुए इस्लाम को महान बताया.. जैसे 56 इस्लाममिक देश हैं.. तेजी से बढ़ता मजहब है.. आदि आदि... उसके बाद जो मैंने जवाब दिया.. फिर वो तीसरी बार रिप्लाई करने की हिम्मत भी नहीं जुटा सका...

फेसबुक ट्विटर आदि पर और न्यूज़ चैनल तक भी अब हिंदूवादियों के कब्जे में हैं.. या कहिए... ये मैदान जीत चुके हैं... पर व्हाट्सएप्प पर ये लोग अपने जैसे लोग खोजकर msg भेजते हैं और उसमें कुछ नही किया जा सकता...

वैसे जरूरत भी नहीं है... क्योंकि काम दिखता है.. भ्रष्टाचारी दिखते हैं.. सिस्टम में सुधार या बिगाड़ दिखते हैं... देश की सुरक्षा दिखती है... जब हर चीज दिखता है ... और उसके बाद भी आप के दिमाग मे कोई सत्य से परे भर कर चला जाये तो... कोई बात नहीं...

उन्हीं से निपटने के लिए तो हमलोग हैं... :)

Monday 25 September 2017

आज आखिरी मुस्लिम दोस्त भी जिंदगी से अलग हुआ

आज ऑफिशियली एक आखिरी मुस्लिम दोस्त भी जिंदगी से निकल गया.. चूंकि बचपन से दोस्त था इसलिए मैंने निभाने की हर कोशिश की... पर वो बराबर व्हाट्सएप्प पर वही इस्लाम को बड़ा दिखाने वाला और हिन्दू धर्म को छोटा दिखाने वाला msg भेजता जा रहा था...
मैं पढ़ता था पर जवाब नहीं देता था.. क्योंकि मुझे पता था कि उसके बाद कुछ बचेगा नहीं..

मेरे ही फ्रेंड सर्किल में कुछ दोस्त हैं उनको भी वो वही msg व्हाट्सएप्प पर भेजता है और लगभग उन सबका ब्रेनवाश उसने कर दिया है.. और ऐसी ही सफलता पाने की उम्मीद उसकी मेरे साथ भी होगी...

मैं जब मुम्बई से अपने शहर आया था तो उसके कहने पर उससे जाकर मिला भी.. चाय पी.. और हमने कभी उससे धर्म मज़हब की बात की ही नहीं... क्योंकि यही सोच थी कि जब तक चलता है चला लो...

पर व्हाट्सएप्प पर सबकुछ भेजते हुए उसने वो प्रसिद्ध msg भी भेजा जिसमे अशोक सिंघल की बेटी, मोदीजी की भतीजी आदि की शादी मुस्लिम लड़के से होने का दावा किया गया था.. और ये कहा गया मुल्ले तो हिंदुओं के दामाद होते है..

बस ये ऐसा पल था जब मुझे लगा पानी सर से उपर जा चुका है.. और सालों पुरानी दोस्ती .. अपने बहन बेटियों के इज्जत को दांव पर लगाकर कायम नहीं रखा जा सकता.. फिर मैंने जवाब दिया.... पहली बार... और वो पोस्ट आपने पिछले पोस्ट में देखा भी होगा... वही उसे व्हाट्सएप्प पर भेजा..

जल्दी ही उसका जवाब आ गया..
"तुम अब वो समीर नहीं रहे.. इतनी नफरत "

मैने कहा.. नफरत तो तुम्हारे अल्लाह ने भरा.. मुझे काफ़िर कह के.. और तुम उसे मानते हो या नहीं... ? तुम ने हमेशा व्हाट्सएप्प पर कुछ न कुछ गलत कहा.. मैन बर्दाश्त किया और मैन सिर्फ एक बार कहा.. तो.. मैं पहले वाला समीर नहीं रहा... ऐसे तो गुजरने वाली नहीं थी...

खैर फाइनली.. ये आखिरी मुस्लिम दोस्त था जो सेकुलरिज्म के जमाने मे बना था.. वैसे आज काफी आजाद भी महसूस कर रहा हूँ..

Sunday 20 August 2017

इजराइल ने 11 हत्याओं के बदला सैकड़ों से लिया

हम सब जानते हैं कि जब 1972 में इजराइल के  ओलिंपिक खिलाड़ियों को आतंकवादियों ने मार दिया था तब इस्राएल ने भी सबको खोज खोज कर मारा... लेकिन इसमें कई आश्चर्यजनक जानकारी भी है.. जैसे कि जिन आतंकियों ने इसरायली खिलाड़ियों के ऊपर हमला किया था.. उन सबको तो एयरपोर्ट पर ही मार दिया गया था... फिर खोज खोज कर किसको मारा गया था ? ?

कहानी तो वहीं एयरपोर्ट पर खत्म हो जानी चाहिए थी...  जब मुस्लिम आतंकियों को भागते समय इस्राएली कमांडो ने एयरपोर्ट पर घेर लिया.. उसी वक़्त खुद को घिरा देख एयरपोर्ट पर ही बंधक खिलाड़ियों को आतंकियों ने भून डाला.. इसके बाद इसरायली कमाण्डो ने 8 आआतंकवादियों को वहीं मार डाला..खेल खत्म हो चुका था... लेकिन नहीं इजराइल ने तो इसका बदला सैकड़ों को मार कर लिया..

उसने अपनी खुफिया एजेंसी मोसाद की मदद से उन सभी लोगों के कत्ल की योजना बनाई, जिनका वास्ता ऑपरेशन ब्लैक सेंप्टेंबर से था। इस मिशन को नाम दिया गया  ‘रैथ ऑफ गॉड’ यानी ईश्वर का कहर।

दो दिन के बाद इजरायली सेना ने सीरिया और लेबनान में मौजूद फलस्तीन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन के 10 ठिकानों पर बमबारी की और करीब 200 आतंकियों को तो मारा ही सैकड़ों आम नागरिकों को भी मौत के घाट उतार दिया।

मिशन शुरू होने के कुछ ही महीनों के अंदर मोसाद एजेंट्स ने वेल ज्वेटर और महमूद हमशारी का कत्ल कर सनसनी मचा दी।

हुसैन अल बशीर नाम का ये शख्स होटल में रहता था, और होटल में वो सिर्फ रात को आता था और दिन शुरू होते ही निकल जाता था। मोसाद की टीम ने उसे खत्म करने के लिए उसके बिस्तर में बम लगाने का प्लान बनाया।

बम लगाना कोई मुश्किल काम नहीं था, ये काम तो आसानी से हो गया। मुश्किल ये था कि कैसे ये पता किया जाए कि हुसैन अल बशीर बिस्तर पर है  तभी धमाका किया जा सकता है। इसके लिए एक मोसाद एजेंट ने बशीर के ठीक बगल वाला कमरा किराए पर ले लिया। वहां की बालकनी से बशीर के कमरे में देखा जा सकता था। रात को जैसे ही बशीर बिस्तर पर सोने के लिए गया। एक धमाके के साथ उसका पूरा कमरा उड़ गया।

इसके बाद फलस्तीनी आतंकियों को हथियार मुहैया कराने के शक में बेरूत के प्रोफेसर बासिल अल कुबैसी को गोली मार दी गई। मोसाद के दो एजेंट्स ने उसे 12 गोलियां मारीं।

9 अप्रैल 1973 को इजराय़ल के कुछ कमांडो लेबनान के समुद्री किनारे पर स्पीडबोट के जरिए पहुंचे। इन कमांडोज को मोसाद एजेंट्स ने कार से टार्गेट के करीब पहुंचाया। कमांडो आम लोगों की पोशाक में थे, और कुछ ने महिलाओं के कपड़े पहन रखे थे। पूरी तैयारी के साथ इजरायली कमांडोज की टीम ने इमारत पर हमला किया। इस ऑपरेशन के दौरान लेबनान के दो पुलिस अफसर, एक इटैलियन नागरिक भी मारा गया।।इनमें साइप्रस में जाइद मुचासी को एथेंस के एक होटल रूम में बम से उड़ा दिया गया।

इतने लोगों को मौत की नींद सुलाने के बाद मोसाद कुछ समय के लिए रुका क्योंकि कमांडोज में दो तीन घायल भी थे और थक गए थे.. नए कमांडोज शामिल हुए.. क्योंकि अभी मुस्लिम आतंकियों की लिस्ट में नाम बाकी थे..

28 जून 1973 को ब्लैक सेप्टेंबर से जुड़े मोहम्मद बउदिया को उसकी कार की सीट में बम लगाकर उड़ा दिया।
15 दिसंबर 1979 को दो फलस्तीनी अली सलेम अहमद और इब्राहिम अब्दुल अजीज की साइप्रस में हत्या हो गई।
-17 जून 1982 को पीएलओ के दो वरिष्ठ सदस्यों को इटली में अलग-अलग हमलों में मार दिया गया।
23 जुलाई 1982 को पेरिस में पीएलओ के दफ्तर में उप निदेशक फदल दानी को कार बम से उड़ा दिया गया।
-21 अगस्त 1983 को पीएलओ का सदस्य ममून मेराइश एथेंस में मार दिया गया।
-10 जून 1986 को ग्रीस की राजधानी एथेंस में पीएलओ के डीएफएलपी गुट का महासचिव खालिद अहमद नजल मारा गया।
-21 अक्टूबर 1986 को पीएलओ के सदस्य मुंजर अबु गजाला को काम बम से उड़ा दिया गया।
-14 फरवरी 1988 को साइप्रस के लीमासोल में कार में धमाका कर फलस्तीन के दो नागरिकों को मार दिया गया।

मोसाद के एजेंट्स दुनिया के अलग-अलग देशों में जाकर करीब 20 साल तक हत्याओं को अंजाम देते रहे।
अगली नंबर था अली हसन सालामेह का, वो शख्स जो म्यूनिख कत्ल-ए-आम का मास्टरमाइंड था लेकिन अबतक इसने अपनी सुरक्षा काफी बढ़ा ली थी...

मोसाद ने सलामेह को लेबनान की राजधानी बेरूत में ढूंढ़ निकाला। 22 जनवरी 1979 को एक कार बम धमाका कर सलामेह को भी मौत के घाट उतार दिया गया।

इन कमांडोज में एक बेंजामिन नेतन्याहू भी था।

बदले की ये भावना कि आप 20 साल तक अपना इंतकाम पूरा करते रहें.. ये सिर्फ इजराइल में हो सकता था.. भारत के सेक्युलर और डरपोक नेताओं से तो ऐसी कोई कल्पना ही नहीं कि जा सकती।।

Saturday 19 August 2017

शाहजहां की बेगम का नाम मुमताजमहल था ही नहीं

शाहजहां की बेगम का नाम मुमताजमहल था ही नही।

ताजमहल शब्द के अंत में आये ‘महल’ मुस्लिम शब्द है ही नहीं, अफगानिस्तान से लेकर अल्जीरिया तक किसी भी मुस्लिम देश में एक भी ऐसी इमारत नहीं है जिसे कि महल के नाम से पुकारा जाता हो। ताज' और 'महल' दोनों ही संस्कृत मूल के शब्द हैं।

फर्जी मुमताज को यहां दफनाया ही नहीं गया था।

ताज के दक्षिण में एक पुरानी गौशाला है।

कपिल सिब्बल जैसों की ग़ुलाम सर्वोच्च न्यायालय ने जब मुसआल्मानों कि पोल खुलती देखी तो सन 2000 में पी एन ओक की याचिका रद्द ही नहीं की.. उल्टे ये भी बोल दिया कि... उनके दिमाग में ताज के लिये कोई कीड़ा है।

इन्होंने सील किये हुए कमरों को खोलने की आज्ञा ही तो मांगी थी.. लेकिन वो आजतक नहीं दी गयी है..

क्या आपको पता है कि
इनकी पुस्तको को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने प्रतिबंधित कर दिया था, फिर १०-१५ वर्षो के बाद प्रतिबन्ध हटाया गया | मक्का एक शिवमंदिर है ये पहली बार इन्होंने ही कहा था...

कार्बन डेटिंग के आधार पर 1985 में यह सिद्ध किया कि यह दरवाजा सन् 1359 के आसपास अर्थात् शाहजहाँ के काल से लगभग 300 वर्ष पुराना ह।

पुरे अरब में एक भी आलीशान मकबरा नहीं मिलेगा... तो भारत मे क्यों बनाएंगे..आलीशान मकबरा बनाना इस्लाम मे कुफ्र है। हिन्दुस्तान में मंदिरों की अस्मिता भंग करने के लिए , मंदिरों में , मरे हुओं कि कब्रें बना कर उन्हें अपवित्र करने के लिए उन्हें मकबरों में बदला गया .
(एक बार फिर से तेजो महालय के ये तर्क दुहराने के लिए)

Thursday 17 August 2017

लव जिहाद की असली दोषी हिन्दू लड़कियाँ..

मैं तो हिन्दू लड़कियों की मूर्खता पर लिखना ही नहीं चाहता क्योंकि ये मेरे लिए ही शर्मनाक होगा पर कभी कभी लिखना चाहिए.. आज चारों तरफ फिर से लव जिहाद का डिबेट चालू है.. अब कोर्ट ने भी मान लिया कि लव जिहाद एक सच्चाई है.. अब कोई कहता है इस्लाम दोषी है तो कोई सरकार को फेलियर कहता है..

पर सच पूछो तो इसमें सबसे बड़ी दोषी हिन्दू लड़कियां है .. इनको समझाना मतलब पैदल चांद पर जाना है.. एक तो इनका जवाब सुनो तो सिर्फ फिल्मी डायलाग मारती है..
"तुमलोग आपस मे लड़वा रहे हो ... तुमलोग ही दंगा करवाते हो.. तुमलोग ही वोट के लिए ऐसे करते हो आदि आदि"

और खुद ? ? एक तरफ कृष्ण पूजा का नाटक और दूसरी तरफ गौभक्षकों के साथ घूमना ? एक तरफ शिवपूजा और दूसरी तरफ नंदी के हत्यारों के साथ ? ?

ये लड़कियों को इस्लाम की abc भी पता नहीं है.. मुसल्मानों के जिहादी चेहरे को देख नहीं पाती.. इनको सिर्फ दिखता है. .. जीन्स पेंट टीशर्ट घड़ी.. बाइक और कार.. चुपके से पानी लगा लगा के बाल सँवार के लाइन मारते लड़के..
क्योंकि हिन्दू लड़कियां बददिमाग है और लालची हैं.. इनके रोल मॉडल सिवाय बॉलीवुड के भांड हीरोइनों को छोड़कर और कोई होता ही नहीं. इनको दिन रात  बस ये बॉलीवुड गाना तो वो बॉलीवुड गाना.. बस.. इससे ज्यादा हो गया तो फिर tv सीरियल... इनके मां बाप भी कभी इस्लाम की सच्चाई नहीं बताते.. इन लड़कियों को धार्मिक संस्कारों की जगह बॉलीवुड का संस्कार मिलता है.. जितने उपदेश फिल्मों में दिये जाते है.. ये भी बहस होने पर उतना ही बोलती है।

इन तक सच्चाई नहीं जा रही है.. हिंदुओं के लिए उनके घर की लड़कियां ही धर्म की सबसे कमजोर कड़ी है।।  ये लोग धार्मिक होने की नौटंकी तो खूब करती है लेकिन धर्म मिटाने वालों के साथ दोस्ती रखती है.. आज जब हिंदुओं में जागरूकता आ रही है तब भी ये लोग अपनी ही दुनिया मे व्यस्त हैं.. कारण ये है कि माँ बाप इनसे घर के अंदर DEBATE नहीं करते.. और लड़कियों को एक उम्र के बाद समझाया नहीं जा सकता क्योंकि तबतक ये बहुत काबिल बन जाती हैं .. थोड़ी सी बड़ी हुई नहीं कि बोलेगी..
"ये मेरी जिंदगी है.. तुम कौन होते हो बोलने वाले कि मैं क्या करूँ ?"

और ऐसा तो ये आपको ही नही अपने बाप और मां को ही बोलने लगती है.. यही लड़कियां मुल्लों के घरों में सौतन के साथ गौमांस पका रही है और isis में भेजी जा रही है..

में तो एक सुझाव दूंगा जो लड़कियां बड़ी हो गयी वो तो काबिल बन चुकी है सुनेंगी नहीं इसलिए कम से कम जो आज आपके घर में छोटी बच्चियां है उसको धार्मिक जानकारी दीजिये और सेकुलरिज्म वाला कथा पाठ मत सुनाइये... इस्लाम से नफरत सिखाइये.. मुल्लों से नफरत सिखाइये.. क्योंकि गंदी चीजों से आप प्रेम करना सिखाएंगे क्या ? नहीं तो कल आपको ही शर्मिंदा होना पड़ेगा जैसे हमलोग आज हैं।।

Tuesday 15 August 2017

मुस्लिम शासन था तो हिन्दू बचे कैसे रहे ?

कभी सोचा है कि अगर भारत मे मुगलों का ही शासन था तो आप या बाकी हिन्दू जिंदा कैसे बच गए या हिन्दू कैसे रह पाए ? क्योंकि मुसल्मान की ये फितरत तो है नहीं कि किसी स्थान पर हावी होने के बाद वो गैर मुस्लिम को जिंदा छोड़ दे ? असल मे हम हमेशा तीन लोगों के लिखे इतिहास को पढ़ते हैं..
१. अंग्रेजों के.. २. मुसलमानो के.. ३. वामपंथियों के..

तीनों ठहरे हिन्दू विद्वेषी.. इन्होंने झूठ लिखा कि भारत पर मुग़लों का कब्ज़ा हो गया था.. चलिए असलियत देख लेते हैं..

हिन्दुस्थान का काफी बड़ा भूभाग ऐसा भी था जो कभी भी मुसलमान शासकों के अधीन नहीं था। शायद ही कभी जिक्र मिलता है कि गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में बघेल, चंदेल, परमार और यादव वंश राज्य करते थे। पर यहां इनका राज था।

दक्षिण भारत में चेर, पांड्य और काकतीयों का राज्य था। इनके पूर्व भारत में सेन वंश राज्य करता था।

इसी तरह से जब हम 15वीं शताब्दी के राजनीतिक मानचित्र पर नजर डालते हैं तो देखते हैं कि असम, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, राजस्थान इत्यादि क्षेत्र मुसलमानों के अधीन नहीं थे।

बंगाल और कामरूप में गौंड एवं अहोम राजवंश का शासन था।

उड़ीसा में गजपति राजवंश, मेवाड़ में राजपूत एवं राणा राजवंश। मारवाड़ में राठौर तथा दक्षिण भारत में विजयनगर साम्राज्य था।

मुगलकालीन समय के ही भारतीय मानचित्र पर नजर डालते हैं तो देखते हैं कि विजयनगर साम्राज्य आज के पूरे दक्षिण भारत को समाहित किए हुए था। 18वीं सदी तक आते-आते मुगल साम्राज्य दक्षिण में आगरा, पश्चिम में पटियाला पूर्व में मेरठ और पश्चिम में हरियाणा के जींद तक ही सिमट के रह जाता है।

इतिहासकारों ने कभी भी यह बताने की कोशिश नहीं की कि महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, उड़ीसा और आन्ध्र प्रदेश के काफी बड़े हिस्सों में मराठों का साम्राज्य फैला हुआ था।

असल मे अब इस जानकारी के बाद आपको समझ में आना चाहिए कि क्यों और किन हिन्दू बाहुबली सम्राटों की वजह से आपके पूर्वज बचे रह गए और आपका धर्म भी.. आप अपने बहादुर पूर्वजों की वजह से आज भी हिन्दू हैं... मुग़लों का विस्तार तो आज ज्यादा है क्योंकि आपने अपने पूर्वजों के उलट उनको फैलने में मदद दे दी और दे रहे हैं।।
#हिन्दू #Hindu

आजादी की लड़ाई में मुसलमानों ने स्वार्थवश भाग लिया

15 अगस्त को आजादी मिली..? मिली लेकिन सिर्फ अंग्रेजों से .. मुग़लों से नहीं ? याद रखिये अंग्रेजों के पहले आपको मुग़लों ने गुलाम बनाया हुआ था ... और हम उन्ही से आजादी के लिए लड़ते आ रहे थे .... ये सच है या नहीं है ? बीच मे अंग्रेज आ गए ... अब ये मुस्लिम समाज मरता क्या ना करता.. अंग्रेजों से लड़ना पड़ा ... क्योंकि अगर फिर से हिंदुओं पर याने हिंदुस्तान पर कब्ज़ा करना था.. तो मजबूरन सबसे पहले तो अंग्रेजों से लड़ना था ...

बाद में नाम दिया गया कि ये मुस्लिम भारत की आजादी के लिए लड़ रहे थे..

जिसने भारत को अंग्रेजों की तरह ग़ुलाम बनाया हुआ था वो भारत की आजादी के लिए क्यों लड़ने लगे ? और क्यों लड़ेंगे जबकि वो भारतीय थे ही नही ? ?

वो तो अंग्रेजों के आने के बाद खुद ही फंस गए थे.. क्योंकि हिंदुओं के साथ वो भी ग़ुलाम बन गए.. सोचा था.. भारत मे रेप करते रहेंगे..काफिरों को मारते रहेंगे... लूटते रहेंगे...  इस्लामिक राष्ट्र बनाएंगे... और ये सब होने के पहले बीच मे ये क्या हो गया ? ?

वापिस अपनी सल्तनत में लौटने के लिए अंग्रेजो से सुलह की कोशिश करते रहे और हिंदुओं की बढ़ती ताकत और सफलता को देखते हुए उनके साथ शामिल हो गए... अंग्रेज तो चले गए लेकिन दुखद ये रहा कि बहादुर शाह जफर वाली सल्तनत मुग़लों की जगह हिंदुओं के हाथों में आ गयी क्योंकि उस समय तक आजादी के नाम पर हिंदुओं की ताकत बहुत ज्यादा हो चुकी थी और राजाओं वाली प्रथा भी जा चुकी थी... चूंकि इसमें सारे हिन्दू नेताओं का ही प्रभाव था.. मुग़लों का था ही नही.. तो सत्ता की डोर इन्ही नेताओं को सौंपी गयी... या बातचीत की गई..

अंग्रेजों के हाथों से भारत का स्वामित्व हिंदुओं के हाथों में जाते देख कर सारे मुसलमान छटपटा उठे.. ये क्या हो गया ? भारत आजाद कैसे हो गया? हमें तो लगा था वापिस हम मुग़लों को सत्ता मिलेगी.. जिन्नाह को मिलेगी..

इसलिए तो कुछ ही दिनों के बाद पाकिस्तान की मांग उठी.. भारत के लिए अगर इन्होंने लड़ा होता तो भारत मे ही रहते.. इनकी लड़ाई वापिस से भारत पर कब्ज़ा करने को लेकर ही था.. जिसे बाद में इतिहासकारों  ने .."मरता क्या ना करता" के  तर्ज पर भारत की आजादी के लिए जोड़ दिया.. ताकि आगे भविष्य में ये मुसलमान हिंदुओं के बीच मे शर्मिंदा ना होते रहे।

आज भी ये भारत पर कब्जे में ही लगे हैं. ये प्रवृत्ति इनके खून में है.. उस अपमान और अधूरे कार्य को पूरा करना चाहते हैं.. इसलिए 15 अगस्त के दिन हिंदुओं को भी चाहिए कि ये प्रण लें कि आखिरी मुसलमान को भारत से भगाने तक उनकी भी आजादी अधूरी है।
सभी हिंदुओं को आजादी की शुभकामना।।