Tuesday 25 July 2017

कश्मीरी हिंदुओं को हथियार उठाने का मौका था ?

ना जाने ये कितने लोगों से सुना हूँ.. यहां तक कि शुरू शुरु में मेरा भी यही मानना था कि अगर कश्मीरी हिंदुओं ने संगठित होकर मुकाबला किया होता और हथियार उठाये होते तो आज कश्मीर की कहानी कुछ और होती...

चलिए एक काल्पनिक कहानी का सहारा लेते हैं.. 1990 का दौर शुरू हुआ... मदन नाम के हिन्दू को भी परिवार सहित घर छोड़कर भाग जाने को कहा गया है... उसने करीब 100 हिंदुओं के साथ बैठक की..
बैठक में विचार हुआ कि वो लोग भागने की जगह इनका मुकाबला करेंगे...

ज्यादातर हिंदुओं का कहना था ..
1. हम सबने पुलिस को तो कह ही दिया है.. लिखित भी दिया है.. पुलिस और एसएसपी ने भरोसा दिलाया है.. यही नहीं.. कुछ पुलिस वाले गश्ती भी कर रहे हैं... तो डरने की क्या बात है..? क्या मुस्लिम पुलिस के रहते इतनी हिम्मत करेंगे ?

2. ठीक है पर हम भी हथियार रखेंगे.. (किसी ने तलवार, किसी ने चाकू, किसी ने डंडे रखने की बात की)

3. इतने में एक युवक ने कहा हमें पिस्तौल रखनी होगी..
दूसरे ने कहा .." अच्छा तो लाएंगे कहां से?"

"ये तो गैरकानूनी है"

"नहीं नहीँ.. भरोसा रखो.. इतना ही काफी है.. ये तो कुछ मुस्लिम है .. बाकी सारे मुसलमानों ने सहयोग का वादा किया है.."

खैर, वो दिन भी आ ही गया.. लेकिन उसके पहले एक घटना हो गयी..
"पुलिस ने छापे मारे और कुछ युवकों को पिस्तौल आदि के साथ गिरफ्तार कर लिया"

कोर्ट में उनपर गैरकानूनी हथियार रखने का आरोप पत्र दाखिल हो गया..

उधर जब इलाके में हमले हुए और हिन्दू लाठी डंडों से लैस हुए तो मुस्लिमों के हाथों में एक47 से चलती गोली देख कर भौंचक्के रह गए... उनके हाथों से लाठी छूट गयी.. दरवाजे लगा लिए..

अब तो बस एक ही उम्मीद थी कि पुलिस आएगी और बचाएगी...

थोड़ी देर में उनके घर का दरवाजा टूट चुका था.. बेटियां बहनें उन राक्षसों के चंगुल में थी.. हिन्दू भाई गिड़गिड़ा रहा था.. अपने लिए नहीं.. बहनों की अस्मत के लिए... मगर दरिंदों के तो  मजहब में ही काफिरों से बलात्कार जायज कहा है तो वो क्यों छोड़ते.. बलात्कार होने लगे.. और उसके बाद उनकी लाशें पेड़ों पर टांगी जाने लगी ताकि बाकी हिन्दू अगले दिन ये वीभत्स मंजर देख भाग जाएं...

पुलिस नहीं आयी.. ऐसे मौके पर आज तक पुलिस आई भी नही है... लाठी लेकर लड़ने की सोचने वाले के सीने में 2 गोलियां मारी गयी थी... उसके आखिरी समय में उसके अच्छे वाले मुस्लिम चचाजान वगैरह भी आये तो थे.. पर मरते हुए आखिरी बार उनींदी आंखों से देखा वो पड़ोसी मुस्लिम भी घर के जेवर आदि उठा रहे थे.... कहानी खत्म हो चुकी थी....

(अब बताइये कैसे लड़ते कश्मीरी हिन्दू..? वो हथियार नहीं रख सकते, मुसलमानों को एक47 मिला था, पाकिस्तान से आतंकियों से... इनको कौन देता.. और छुपाते कहां )

लड़ाई हो सकती थी पर तभी जब बीच मे से सरकार हट जाए..याने कानून खत्म हो जाये...  कांग्रेस का पूरा साथ उनके तरफ था.. आतंकियों का संगठन भी उनके ही साथ था.. ऐसे में कश्मीरी अकेले पड़ गए थे... क्या हो सकता था ? सरकार किसी एक साइड में झुक जाए तो पूरा खेल बदल जाता है...

Monday 24 July 2017

मुस्लिम दुकानों से खरीदारी याने अपनी बर्बादी पर हस्ताक्षर

हम कब समझेंगे कि मुसलमानों के दुकानों से तब तक कोई सामान नहीं खरीदना है जबतक कि बहुत ही आवश्यक ना हो जाये ... मैने नजदीक के कई कपड़े और जूते के दुकान वालों को देखा कि मार्च अप्रैल से ही हज़ारों लाखों रुपये का इन्वेस्टमेंट करना शुरू कर देते हैं.. गोदाम में लाखों के माल जमा करने लगते हैं.. सिर्फ इसलिए कि सितंबर से हिंदुओं का त्योहार आने वाला है...

क्या मुसलमान ईद में हिंदुओं के दुकाणों से कुर्ते टोपी खरीदते हैं.. कुर्बानी देने के लिए बकरी .. भी उन्हें मुस्लिमों से मिलता है, बकरीद में भी यही होता है, याने इन दो त्योहारों में हिंदुओं को कोई फायदा नहीं मिलता... और हिन्दू त्योहारों में ?

हिन्दू त्योहारों में सारे हिन्दू साल भर के पैसे मुसलमानो के लिए उलट देते हैं.. दुर्गा पूजा से ये मूर्खता चालू होती है जो अगले साल के मार्च में आने वाली होली तक चालू रहती है..

अरे किसको पैसे दे रहे हो ? उसको जो तुम्हारे पैसे का नमक खाकर तुम्हे ही काटने की सोच रहा है ? जो तुम्हारे पैसे लेकर अपने बहन बेटियों के जिस्म पर जेवर दे रहा है और तुम्हारी बहन बेटियों के कपड़े फाड़ बलात्कार को अंजाम दे रहा है ... तुम्हारे ही खिलाफ क्राइम करके तुम्हारे ही पैसे से वो पुलिस थाने को मैनेज करेगा और कोर्ट में भी देख लेगा।।

भाइयों, इस पोस्ट के विरोध में कृपया लाखों आतंकवादी के बीच मे एक "कलाम" का नाम ना घुसेडें.. क्योंकि कलाम जी हज़ारों दंगों में से एक भी दंगे रोकने में सफल नहीं हुए... तो मुझे मत पढ़ाओ..

चलो ठीक है अगर हिन्दू आपसे 10 रूपये ज्यादा ही ले लेता है कपड़े या जूते की दुकान में ... तो ले लो.. ना... अपनी मौत के सौदागरों को पैसे देने के मुकाबले ये फायदेमंद सौदा रहेगा...

मैन तो सोच लिया है, 2 पैसे ज्यादा देना पड़े तो दूंगा पर हिन्दू भाई के दुकान से लूंगा... बस पंचर मुस्लिम के यहां बनवाऊंगा.. क्योंकि मजबूरी है।

Tuesday 18 July 2017

हिन्दू त्योहारों में मुसलमानो की कूटनीति और नाम सौहार्द का

दुर्गा पूजा और दीपावली आने वाली है, मीडिया में मौजूद मुस्लिम पत्रकार अब आपको बताएंगे कि ..

"यहां एक मुस्लिम तैयार करता है मूर्ति "

" सौहार्द की मिसाल: कई सालों से मुस्लिम परिवार तैयार करता आ रहा दुर्गा पूजा का पंडाल"

"इस मुस्लिम मोहल्ले में बैठती है माँ दुर्गा की प्रतिमा"

"यहां मुस्लिम करते हैं लक्ष्मी पूजा".. आदि आदि।।

खैर... एक दोस्त है, मुम्बई का.. उसने पिछले साल चार बंगला में गणेश पूजा के दौरान पंडाल लगाया था हमेशा की तरह.. (महाराष्ट्र का गणेश पूजा ही सबसे भारी त्योहार है)

उसने बताना शुरू किया कि कई सालों से हमलोग ऐसा करते आ रहे हैं.. चंदा भी जमा होता है, आसपास कुछ मुस्लिम इलाके हैं जाहां से एक रुपये चंदे नहीं आते .. ना पूरे पूजा के दौरान आते हैं लेकिन पिछले साल हमेशा की तरह विसर्जन के समय सब दारू पीकर पहुंच गए और डीजे बजाने को दवाब बनाने लगे.. 10 बज चुके थे तो हमसब सिर्फ ढोल बजा सकते थे, पर उनलोगों ने जिद पकड़ी थी.. तो ये धीरे धीरे लड़ाई में बदल गयी..

बाद में उन मुल्लों ने दूसरे इलाके के मराठी हिंदुओं को बुलाकर लाया और ईधर के मराठी हिंदुओं को पिटवाया.. किसी ने मदद नही की... (ध्यान दीजिए मुम्बई में जय शिवसेना है.. उसके बाद भी मुल्ले .. हिंदुओं को हिंदुओं से पिटवा रहे हैं और मुल्लों की बदमाशियों पर कोई मदद नही मिली)

मुम्बई में मुल्ले इस तरह हिंदुओं को अपमानित कर रहे हैं फिर Shivsena Mumbai ShivSena Shivsena कहां हैं..? पिछले साल मलाड में प्रतिमायें तक तोड़ दी गयी थी और मुल्लों के ऊपर इन संगठनों की तरफ से कोई कार्रवाई नही हुई.. उस समय तत्काल उस दिन कोई मदद नहीं मिली। वहां के लोकल हिन्दू अपमानित होकर रह गए थे.. ..

अब आते हैं.. उस बात पर जिससे इस पोस्ट की शुरुआत हुई थी..

उसने आगे बताया कि..
"यही मुल्ले लोग अपने मोहल्ले में गणेश जी की एक छोटी सी मूर्ति बिठाते हैं.. पूरे प्रांगण को ढंक कर शिविर जैसा कर दिया जाता है फिर "मटका" और "पत्तेबाजी" का खेल 15 दिनों तक उसमे चलता है जिसमे बड़े बड़े अमीर लोग आते हैं, और मुल्लों को इसमें लाखों लाख रुपयों की अवैध कमाई 10 से 15 दिनों में हो जाती है.. जो गणेश जी की मूर्ति बिठाते हैं वो सिर्फ नाम मात्र का होता है, ना उसकी सुबह शाम पूजा होती है, ना कोई हिन्दू उधर जाता है, ना कोई आरती वगैरह होती और ना कोई पंडित पूजा अर्चना के लिए जाता है.. असल मे उसके आड़ में लाखों रुपयों का धंधा चलता है...

तो दोस्तो ये तो स्वाभाविक ही था, मीडिया तो छाप देगी कि सौहार्द की मिसाल, मुस्लिम मोहल्ले में बैठाई गयी मूर्ति.. लेकिन आप बताइए.. क्या सचमुच ऐसा हुआ ? मुल्ले हिन्दू त्याहारों को अपनी कमाई का जरिया बनाते हैं और कुछ नहीं.. जब इस्लाम मे मूर्ति पूजा को अल्लाह ने हराम करार दिया तो ऐसा करने की पीछे जब तक दूसरी फायदेमंद वजह नहीं होगी , ऐसा करेंगे ही नहीं।

Friday 14 July 2017

दंगो में बचने के लिए कौन से हथियार और रणनीति

लगभग हरेक हिन्दू आजकल इस बात पर सहमति बना चुका है कि हिंदुओं के घरों में हथियार होने चाहिए.. कल इसी कड़ी में Tufail Chaturvedi जी ने भी अच्छा पोस्ट किया था। अब तो संशय इस बात पर भी नहीं है कि हथियार रखने चाहिए या नही.. संशय तो यह है कि कौन सा हथियार रखा जाए जिसे रखने से हम सुरक्षित भी हों और कानूनन दंडनीय भी ना हो।।

दोस्तों, क्यों ना आप सिर्फ एक कल्पना करें कि..
"आप घर मे महिलाओं और बच्चों के साथ हैं.. अचानक शोरगुल सुनते हैं और आपको पता चलता है कि करीब 5000 मुसलमान आआपके मुहल्ले में घुस चुके हैं.. अल्लाह हु अकबर के नारों के साथ किसी के सर पर लोहे से मारा जा रहा है, किसी के सर पर ईंट पटक दी जा रही है किसी को बुरी तरह लातों घूंसों से पीटा जा रहा है.. थोड़ी ही देर में महिलाओं के कपड़े तार तार होने लगते हैं.. आप रो सकते हैं, चीख सकते हैं, गिड़गिड़ा सकते हैं.. लेकिन बचा नहीं सकते ...अंततः.. आखिरी दृश्य ये होगा..

1. आप लहूलुहान पड़े हैं.. सामने मां बहन भी जिसकी इज्जत लूटी जा चुकी है।

2. आप आखिरी सांसें गिन रहे हैं.. अंधेरा छा रहा है, आपके सारे सपने खत्म हो चुके हैं. . ये भी याद आ रहा है कि.. कुछ लोग कहते थे कि ऐसा दिन आएगा पर आपने मजाक ही समझा था...

3. आप उस समय मोहल्ले में थे ही नहीं.. जब तक पहुंचे.. पूरी दुनिया बिखर चुकी थी..

4. आप मोहल्ले में थे.. ऐसे समय मे आपने बहुतों को बुलाने की कोशिश की पर आधे एक घण्टे में जब तक हेल्प मिलती .. सब मटियामेट हो चुका था..

हर किसी के साथ  एक अलग ही परिदृश्य होगा ये स्वाभाविक है। लेकिन सबके साथ एक सामान्य बात होगी कि कोई भी विरोध में सक्षम नहीं हो पाया..

मेरे हिसाब से तैयारी कैसी करनी चाहिए..

1. आप अपने मोहल्ले की सही लोकेशन समझ कर ये तय कीजिये कि आपके मोहल्ले से मुस्लिम मोहल्ले की दूरी क्या है ..
2. डंडा, लोहे के रॉड, हॉकी स्टिक आदि तो होने ही चाहिए..
3. कुछ भी पेट्रोल जरूर रखिये.. अगर बाइक है तो बहाना भी हो जाएगा कि आपातकालीन समय के लिए पेट्रोल रखा था..
4. चाकू रखिये लेकिन शायद आपके ही परिवार वाले इसे ना रखने दें क्योंकि हिंदुओं में यही तो मूर्खता है.. तो ठीक है अच्छा उपाय बताता हूँ.. बड़े स्क्रू खोलने के लिए काफी बड़े बड़े और हैवी पेंचकस आते हैं.. वो रखिये...
5. सबसे महत्वपूर्ण बात अपने आसपास के बजरंग दल, विहिप, आरएसएस आदि सारे संगठनों से जाकर मिलिए और नम्बर लीजिये तथा कभी डिस्कस भी कीजिये कि ऐसी स्थिति के लिए क्या निर्देश है ? उनके पास अच्छे विकल्प होते हैं.. क्योंकि वो जिहादियों से बराबर निपटते रहते हैं।
6. महत्वपूर्ण बात जितने ज्यादा लोगों को अपने जैसे  कट्टर हिंदूवादी बना सकते हैं वो बनाइये.. क्योंकि जान लीजिए सिर्फ़ वही लोग आपको मदद के लिए आएंगे..
6. दोस्तों आखिरी बात ज्यादा जोश में ना आये.. फिल्मी प्रभाव में ना पड़िये.. मान लीजिये किसी ने कहा कि "अल्लाह हु अकबर" कहो.. तो कह दीजिये.. कुछ भी बोलने को कहे तो कहिये.. लेकिन आपने उन सबका चेहरा पहचान लिया है.. बड़ा प्रतिशोध लिया जा सकता है.. अगर मर गए तो खेल खत्म हो जाएगा.. जिंदा बच गए तो उसका खेल खत्म हो जाएगा.. और खेल उसका खत्म करना है , अपना नहीं... क्योंकि गलत लोग वो हैं आप नहीं।।

कुल मिलाकर आप अपने हिसाब से सोचिए जैसे मान लीजिये कि आप घेराबंदी या फूलों की क्यारियां लगाने के बहाने लोहे के इस तरह से तार बिछा सकते हैं जिसमे ठीक समय पर विद्धुत प्रवाह किया जा सके.. और घर के आंगन में घुस चुके 30 - 40 लोग जो भी हों वो निकल ही ना सकें...

अब बाकी आप सब खुद समझदार हैं. अंततः याद रखिये दुनिया मे हम हिन्दू ही हैं जिनको मुसलमानों के खिलाफ विजय मिलती आयी है. लेकिन आज जिस तरह से हमारी सोच और रहन सहन है.. उससे तो हम सिर्फ मारे जा सकते हैं.. जल्दी कीजिये.. देर ना हो जाये.. मोदी और योगी जी से उम्मीद मत रखिये... आपके मरने के बाद  आपको दो पैसे देंगे.. इससे ज्यादा कुछ नहीं।

Tuesday 4 July 2017

2010 में हिन्दू लड़कियों का नग्न परेड बंगाल में कराया गया

2010 की बात है.. बंगाल के देगंगा में सालों पहले हिंदुओं ने बांग्लादेश से आये भूखे, नंगे, बेघर लोगों पर आदतानुसार दया करके रोटी दी, रहने को जगह दी.. लेकिन 2010 में ऐसा समय आया जब देगंगा के हज़ारों परिवारों में कहीं भी 35 से 40 साल से कम की औरतें या लड़कियां कहीं बाहर रहने को भेज दी गयी।

घरों में थीं तो 60 साल से ऊपर की महिलाएं, जो उन तीन दिनों में हुई महिलाओं की इज्जत से खिलवाड़ को अपनी आंखों से देखने को मजबूर थीं और आज पूछ रही हैं कि क्या वे सचमुच स्वतंत्र भारत की नागरिक हैं? लाल सलाम ठोंकने वाले और ममता जिहादी को दीदी पुकारने वाले बंगालियों ने बंगाल की इज्जत नीलाम करवा दी। 2010 में देगंगा में 100 से अधिक लड़कियों से वीभत्स बलात्कार हुए थे.. घरों को जला दिए गए.. और हैरानी इस बात की थी कि मीडिया में कहीं कुछ नहीं छपा.. ना बोला गया.. सिवाय पंचञ्या पत्रिका के।।

उस 6 सितंबर की वो घटना सुनकर आपके रोंगटें खड़े हो जाएंगे...
कट्टरपंथियों द्वारा साम्प्रदायिक दंगे की शुरूआत 6 सितम्बर की शाम को की गई। देगंगा मन्दिर और कब्रिास्तान बराबर-बराबर में हैं और वहां आने-जाने के लिए एक ही रास्ता है जिसे हिन्दू-मुस्लिम दोनों इस्तेमाल करते हैं। इनसे लगा हुआ ही थाना भी है। 6 सितम्बर की दोपहर अचानक मुसलमानों ने कब्रिास्तान की दीवार बनाने के लिए खुदाई शुरू की, लेकिन जितनी उसकी जगह थी उसे आगे आकर। इस पर वहां मौजूद हिन्दुओं ने विरोध किया, थाने से पुलिस आ गई, आपस में वाद-विवाद हुआ पर संघर्ष टल गया। पर वास्तव में संघर्ष टला नहीं था, कट्टरपंथी किसी रणनीति के तहत चले गए।

रमजान का महीना था। शाम को 5.30 बजे के आस-पास सब इफ्तार के लिए इकट्ठे हुए और इफ्तार के बाद धारदार हथियार लेकर हिन्दुओं के घरों पर टूट पड़े। 15 से 60 साल आयु वर्ग के ये मुस्लिम कट्टरपंथी हिन्दुओं के घरों के सामने जाकर उनकी बहू-बेटियों के नाम ले-लेकर उन्हें पुकारने लगे, उन्हें बाहर निकालकर बलात्कार करने की घोषणा करने लगे और भद्दी-भद्दी गालियां देने लगे। पुलिस आयी लेकिन उस पर भीषण पत्थरबाजी कर पीछे हटने पर मजबूर कर दिया गया। इसमें देगंगा पुलिस चौकी के प्रभारी अरुण घोष घायल हो गए।

रात होते-होते तक लूटपाट, हिंसा और आगजनी का दौर चलता रहा। मुस्लिम कट्टरपंथियों के अलग-अलग गुट हिन्दुओं के घरों पर धावा बोलते रहे और उसमें घुसकर युवतियों को नग्न कर बेइज्जत करते रहे। इन लोगों ने किसी की हत्या नहीं की पर यहां का हिन्दू समाज इतना बेइज्जत हुआ कि वह जीते-जी मर-सा गया है। ये इस्लाम है.. ये मुसलमान है..

इसकी विकरालता इससे समझिए कि करीब 10 किलोमीटर का लंबा क्षेत्र राख का ढेर बन चुका था... लुटेरे लूट का माल गाड़ियों में भरकर ले गए। बच्चू कर्मकार, रबीन घोष, चण्डी घोष, निरंजन साहा आदि की "मोबाइल शाप" से लाखों के मोबाइल लूटे गए तो तन्मय शाहा की दुकान और श्रीकृष्ण वस्त्रालय से लाखों के कपड़े लूटे गए। कोई नहीं बचा, चाय की दुकान भी नहीं।।

काली मंदिर और शनि मन्दिर की मूर्तियां तोड़ी गर्इं और उन्हें अपवित्र किया गया। खास बात थी कि तृणमूल के चार पांच घरों को छोड़ दिया गया।।

आज फिर से बंगाल के बशीरघाट में दंगा चल रहा है.. क्योंकि ये बंगाली हिंदुओं के नकारेपन, बड़बोलेपन और अकर्मण्यता का नतीजा है कि आज बंगाल एक आतंकवादी राज्य बनने के कगार पर है..हालांकि इसमें केंद्र सरकार, राज्य सरकार और हमसब भी अप्रत्यक्ष शामिल है...  पर क्या हमलोग आज भी कुछ कर सकते हैं... ? कुछ नहीं..
#बशीरहाट #दंगा #बंगाल

Sunday 2 July 2017

पीएम चाहे तो देश से इस्लाम खत्म हो सकता है

अगर पीएम चाह ले तो बहुत कुछ हो सकता है.. ऐसा कायापलट हो सकता है जो सिर्फ आप सपनों में सोच सकते हो.. अगर पीएम चाह लेंगे कि भारत से मुसलमानों को मिटाना है तो मिटा सकते हैं..

क्या जिन्नाह ने पाकिस्तान से हिंदुओं को नहीं मिटा दिया ? हुआ या नहीं ? ये 100 % संभव है। इससे बड़ा मौका क्या हो सकता था कि दुनिया के सबसे ताकतवर और चालाक देशों के राष्ट्राध्यक्ष मुस्लिम- विरोधी हैं.. आप चाहते तो उनके साथ मिलकर गुप्त एजेंडे तय कर सकते थे.. इस्राएल और अमेरिका खुद भी यही चाहते हैं... बल्कि आज के समय मे इस मामले में जहां मोदीजी निष्क्रिय पड़ गए हैं वही इजराइल और अमेरिका अपने मकसद में लगे हुए हैं.. आखिरकार ट्रम्प ने मुस्लिम- बैन का वीसा पास करवा ही लिया है..

अपने देश से मुसलमानों का सफाया करने के लिए लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा.. हिन्दू संगठनों को मजबूत करना, मदरसों- मस्जिदों को अवैध जमीन पर बना बताकर धीरे धीरे करके तोड़ना, मदरसों पर इतनी ज्यादा कार्रवाई करना कि लोग बच्चों को मदरसे भेजने से घबराने लगें, इनकी उस अरबी मुग़लिया सोच को विकलांग बनाना... इनकी आबादी को रोक देना... मुस्लिम मोहल्लों को खत्म करने की पहल करना... जहां से हिन्दू पलायन किये है वहां के मुस्लिम समाज को पलायन करवा के असल हिन्दू मालिकों को व्यवस्थित करना... किताबों में मुग़लों का असली चित्रण करके मुल्लों को शर्मसार कराना, इतनी शर्मिंदगी का माहौल तैयार करना कि इज्जत पाने के लिए इस्लाम को छोड़ने जैसी सोच पनपने लगे.. . अदालत में मुल्ले मौलवियों और इमामों को घसीटना, कोर्ट के चक्कर लगवाना.. ताकि इस काम से ये लोग भाग खड़े हों।।

सरकारी तरीके से और थोड़े बहुत चालाकी और खून खराबे से ये सम्भव हो जाएगा,  लेकिन दूसरे हिंदूवादी लोग अगर ये करना चाहेंगे तो समस्या अपरंपार है लेकिन अगर पीएम जैसे पोस्ट से ये ना हो रहा हो तो हिंदूवादियों ने जो भी रास्ता अपनाया है, उसी भरोसे रहना होगा।