Sunday 20 August 2017

इजराइल ने 11 हत्याओं के बदला सैकड़ों से लिया

हम सब जानते हैं कि जब 1972 में इजराइल के  ओलिंपिक खिलाड़ियों को आतंकवादियों ने मार दिया था तब इस्राएल ने भी सबको खोज खोज कर मारा... लेकिन इसमें कई आश्चर्यजनक जानकारी भी है.. जैसे कि जिन आतंकियों ने इसरायली खिलाड़ियों के ऊपर हमला किया था.. उन सबको तो एयरपोर्ट पर ही मार दिया गया था... फिर खोज खोज कर किसको मारा गया था ? ?

कहानी तो वहीं एयरपोर्ट पर खत्म हो जानी चाहिए थी...  जब मुस्लिम आतंकियों को भागते समय इस्राएली कमांडो ने एयरपोर्ट पर घेर लिया.. उसी वक़्त खुद को घिरा देख एयरपोर्ट पर ही बंधक खिलाड़ियों को आतंकियों ने भून डाला.. इसके बाद इसरायली कमाण्डो ने 8 आआतंकवादियों को वहीं मार डाला..खेल खत्म हो चुका था... लेकिन नहीं इजराइल ने तो इसका बदला सैकड़ों को मार कर लिया..

उसने अपनी खुफिया एजेंसी मोसाद की मदद से उन सभी लोगों के कत्ल की योजना बनाई, जिनका वास्ता ऑपरेशन ब्लैक सेंप्टेंबर से था। इस मिशन को नाम दिया गया  ‘रैथ ऑफ गॉड’ यानी ईश्वर का कहर।

दो दिन के बाद इजरायली सेना ने सीरिया और लेबनान में मौजूद फलस्तीन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन के 10 ठिकानों पर बमबारी की और करीब 200 आतंकियों को तो मारा ही सैकड़ों आम नागरिकों को भी मौत के घाट उतार दिया।

मिशन शुरू होने के कुछ ही महीनों के अंदर मोसाद एजेंट्स ने वेल ज्वेटर और महमूद हमशारी का कत्ल कर सनसनी मचा दी।

हुसैन अल बशीर नाम का ये शख्स होटल में रहता था, और होटल में वो सिर्फ रात को आता था और दिन शुरू होते ही निकल जाता था। मोसाद की टीम ने उसे खत्म करने के लिए उसके बिस्तर में बम लगाने का प्लान बनाया।

बम लगाना कोई मुश्किल काम नहीं था, ये काम तो आसानी से हो गया। मुश्किल ये था कि कैसे ये पता किया जाए कि हुसैन अल बशीर बिस्तर पर है  तभी धमाका किया जा सकता है। इसके लिए एक मोसाद एजेंट ने बशीर के ठीक बगल वाला कमरा किराए पर ले लिया। वहां की बालकनी से बशीर के कमरे में देखा जा सकता था। रात को जैसे ही बशीर बिस्तर पर सोने के लिए गया। एक धमाके के साथ उसका पूरा कमरा उड़ गया।

इसके बाद फलस्तीनी आतंकियों को हथियार मुहैया कराने के शक में बेरूत के प्रोफेसर बासिल अल कुबैसी को गोली मार दी गई। मोसाद के दो एजेंट्स ने उसे 12 गोलियां मारीं।

9 अप्रैल 1973 को इजराय़ल के कुछ कमांडो लेबनान के समुद्री किनारे पर स्पीडबोट के जरिए पहुंचे। इन कमांडोज को मोसाद एजेंट्स ने कार से टार्गेट के करीब पहुंचाया। कमांडो आम लोगों की पोशाक में थे, और कुछ ने महिलाओं के कपड़े पहन रखे थे। पूरी तैयारी के साथ इजरायली कमांडोज की टीम ने इमारत पर हमला किया। इस ऑपरेशन के दौरान लेबनान के दो पुलिस अफसर, एक इटैलियन नागरिक भी मारा गया।।इनमें साइप्रस में जाइद मुचासी को एथेंस के एक होटल रूम में बम से उड़ा दिया गया।

इतने लोगों को मौत की नींद सुलाने के बाद मोसाद कुछ समय के लिए रुका क्योंकि कमांडोज में दो तीन घायल भी थे और थक गए थे.. नए कमांडोज शामिल हुए.. क्योंकि अभी मुस्लिम आतंकियों की लिस्ट में नाम बाकी थे..

28 जून 1973 को ब्लैक सेप्टेंबर से जुड़े मोहम्मद बउदिया को उसकी कार की सीट में बम लगाकर उड़ा दिया।
15 दिसंबर 1979 को दो फलस्तीनी अली सलेम अहमद और इब्राहिम अब्दुल अजीज की साइप्रस में हत्या हो गई।
-17 जून 1982 को पीएलओ के दो वरिष्ठ सदस्यों को इटली में अलग-अलग हमलों में मार दिया गया।
23 जुलाई 1982 को पेरिस में पीएलओ के दफ्तर में उप निदेशक फदल दानी को कार बम से उड़ा दिया गया।
-21 अगस्त 1983 को पीएलओ का सदस्य ममून मेराइश एथेंस में मार दिया गया।
-10 जून 1986 को ग्रीस की राजधानी एथेंस में पीएलओ के डीएफएलपी गुट का महासचिव खालिद अहमद नजल मारा गया।
-21 अक्टूबर 1986 को पीएलओ के सदस्य मुंजर अबु गजाला को काम बम से उड़ा दिया गया।
-14 फरवरी 1988 को साइप्रस के लीमासोल में कार में धमाका कर फलस्तीन के दो नागरिकों को मार दिया गया।

मोसाद के एजेंट्स दुनिया के अलग-अलग देशों में जाकर करीब 20 साल तक हत्याओं को अंजाम देते रहे।
अगली नंबर था अली हसन सालामेह का, वो शख्स जो म्यूनिख कत्ल-ए-आम का मास्टरमाइंड था लेकिन अबतक इसने अपनी सुरक्षा काफी बढ़ा ली थी...

मोसाद ने सलामेह को लेबनान की राजधानी बेरूत में ढूंढ़ निकाला। 22 जनवरी 1979 को एक कार बम धमाका कर सलामेह को भी मौत के घाट उतार दिया गया।

इन कमांडोज में एक बेंजामिन नेतन्याहू भी था।

बदले की ये भावना कि आप 20 साल तक अपना इंतकाम पूरा करते रहें.. ये सिर्फ इजराइल में हो सकता था.. भारत के सेक्युलर और डरपोक नेताओं से तो ऐसी कोई कल्पना ही नहीं कि जा सकती।।

Saturday 19 August 2017

शाहजहां की बेगम का नाम मुमताजमहल था ही नहीं

शाहजहां की बेगम का नाम मुमताजमहल था ही नही।

ताजमहल शब्द के अंत में आये ‘महल’ मुस्लिम शब्द है ही नहीं, अफगानिस्तान से लेकर अल्जीरिया तक किसी भी मुस्लिम देश में एक भी ऐसी इमारत नहीं है जिसे कि महल के नाम से पुकारा जाता हो। ताज' और 'महल' दोनों ही संस्कृत मूल के शब्द हैं।

फर्जी मुमताज को यहां दफनाया ही नहीं गया था।

ताज के दक्षिण में एक पुरानी गौशाला है।

कपिल सिब्बल जैसों की ग़ुलाम सर्वोच्च न्यायालय ने जब मुसआल्मानों कि पोल खुलती देखी तो सन 2000 में पी एन ओक की याचिका रद्द ही नहीं की.. उल्टे ये भी बोल दिया कि... उनके दिमाग में ताज के लिये कोई कीड़ा है।

इन्होंने सील किये हुए कमरों को खोलने की आज्ञा ही तो मांगी थी.. लेकिन वो आजतक नहीं दी गयी है..

क्या आपको पता है कि
इनकी पुस्तको को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने प्रतिबंधित कर दिया था, फिर १०-१५ वर्षो के बाद प्रतिबन्ध हटाया गया | मक्का एक शिवमंदिर है ये पहली बार इन्होंने ही कहा था...

कार्बन डेटिंग के आधार पर 1985 में यह सिद्ध किया कि यह दरवाजा सन् 1359 के आसपास अर्थात् शाहजहाँ के काल से लगभग 300 वर्ष पुराना ह।

पुरे अरब में एक भी आलीशान मकबरा नहीं मिलेगा... तो भारत मे क्यों बनाएंगे..आलीशान मकबरा बनाना इस्लाम मे कुफ्र है। हिन्दुस्तान में मंदिरों की अस्मिता भंग करने के लिए , मंदिरों में , मरे हुओं कि कब्रें बना कर उन्हें अपवित्र करने के लिए उन्हें मकबरों में बदला गया .
(एक बार फिर से तेजो महालय के ये तर्क दुहराने के लिए)

Thursday 17 August 2017

लव जिहाद की असली दोषी हिन्दू लड़कियाँ..

मैं तो हिन्दू लड़कियों की मूर्खता पर लिखना ही नहीं चाहता क्योंकि ये मेरे लिए ही शर्मनाक होगा पर कभी कभी लिखना चाहिए.. आज चारों तरफ फिर से लव जिहाद का डिबेट चालू है.. अब कोर्ट ने भी मान लिया कि लव जिहाद एक सच्चाई है.. अब कोई कहता है इस्लाम दोषी है तो कोई सरकार को फेलियर कहता है..

पर सच पूछो तो इसमें सबसे बड़ी दोषी हिन्दू लड़कियां है .. इनको समझाना मतलब पैदल चांद पर जाना है.. एक तो इनका जवाब सुनो तो सिर्फ फिल्मी डायलाग मारती है..
"तुमलोग आपस मे लड़वा रहे हो ... तुमलोग ही दंगा करवाते हो.. तुमलोग ही वोट के लिए ऐसे करते हो आदि आदि"

और खुद ? ? एक तरफ कृष्ण पूजा का नाटक और दूसरी तरफ गौभक्षकों के साथ घूमना ? एक तरफ शिवपूजा और दूसरी तरफ नंदी के हत्यारों के साथ ? ?

ये लड़कियों को इस्लाम की abc भी पता नहीं है.. मुसल्मानों के जिहादी चेहरे को देख नहीं पाती.. इनको सिर्फ दिखता है. .. जीन्स पेंट टीशर्ट घड़ी.. बाइक और कार.. चुपके से पानी लगा लगा के बाल सँवार के लाइन मारते लड़के..
क्योंकि हिन्दू लड़कियां बददिमाग है और लालची हैं.. इनके रोल मॉडल सिवाय बॉलीवुड के भांड हीरोइनों को छोड़कर और कोई होता ही नहीं. इनको दिन रात  बस ये बॉलीवुड गाना तो वो बॉलीवुड गाना.. बस.. इससे ज्यादा हो गया तो फिर tv सीरियल... इनके मां बाप भी कभी इस्लाम की सच्चाई नहीं बताते.. इन लड़कियों को धार्मिक संस्कारों की जगह बॉलीवुड का संस्कार मिलता है.. जितने उपदेश फिल्मों में दिये जाते है.. ये भी बहस होने पर उतना ही बोलती है।

इन तक सच्चाई नहीं जा रही है.. हिंदुओं के लिए उनके घर की लड़कियां ही धर्म की सबसे कमजोर कड़ी है।।  ये लोग धार्मिक होने की नौटंकी तो खूब करती है लेकिन धर्म मिटाने वालों के साथ दोस्ती रखती है.. आज जब हिंदुओं में जागरूकता आ रही है तब भी ये लोग अपनी ही दुनिया मे व्यस्त हैं.. कारण ये है कि माँ बाप इनसे घर के अंदर DEBATE नहीं करते.. और लड़कियों को एक उम्र के बाद समझाया नहीं जा सकता क्योंकि तबतक ये बहुत काबिल बन जाती हैं .. थोड़ी सी बड़ी हुई नहीं कि बोलेगी..
"ये मेरी जिंदगी है.. तुम कौन होते हो बोलने वाले कि मैं क्या करूँ ?"

और ऐसा तो ये आपको ही नही अपने बाप और मां को ही बोलने लगती है.. यही लड़कियां मुल्लों के घरों में सौतन के साथ गौमांस पका रही है और isis में भेजी जा रही है..

में तो एक सुझाव दूंगा जो लड़कियां बड़ी हो गयी वो तो काबिल बन चुकी है सुनेंगी नहीं इसलिए कम से कम जो आज आपके घर में छोटी बच्चियां है उसको धार्मिक जानकारी दीजिये और सेकुलरिज्म वाला कथा पाठ मत सुनाइये... इस्लाम से नफरत सिखाइये.. मुल्लों से नफरत सिखाइये.. क्योंकि गंदी चीजों से आप प्रेम करना सिखाएंगे क्या ? नहीं तो कल आपको ही शर्मिंदा होना पड़ेगा जैसे हमलोग आज हैं।।

Tuesday 15 August 2017

मुस्लिम शासन था तो हिन्दू बचे कैसे रहे ?

कभी सोचा है कि अगर भारत मे मुगलों का ही शासन था तो आप या बाकी हिन्दू जिंदा कैसे बच गए या हिन्दू कैसे रह पाए ? क्योंकि मुसल्मान की ये फितरत तो है नहीं कि किसी स्थान पर हावी होने के बाद वो गैर मुस्लिम को जिंदा छोड़ दे ? असल मे हम हमेशा तीन लोगों के लिखे इतिहास को पढ़ते हैं..
१. अंग्रेजों के.. २. मुसलमानो के.. ३. वामपंथियों के..

तीनों ठहरे हिन्दू विद्वेषी.. इन्होंने झूठ लिखा कि भारत पर मुग़लों का कब्ज़ा हो गया था.. चलिए असलियत देख लेते हैं..

हिन्दुस्थान का काफी बड़ा भूभाग ऐसा भी था जो कभी भी मुसलमान शासकों के अधीन नहीं था। शायद ही कभी जिक्र मिलता है कि गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में बघेल, चंदेल, परमार और यादव वंश राज्य करते थे। पर यहां इनका राज था।

दक्षिण भारत में चेर, पांड्य और काकतीयों का राज्य था। इनके पूर्व भारत में सेन वंश राज्य करता था।

इसी तरह से जब हम 15वीं शताब्दी के राजनीतिक मानचित्र पर नजर डालते हैं तो देखते हैं कि असम, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, राजस्थान इत्यादि क्षेत्र मुसलमानों के अधीन नहीं थे।

बंगाल और कामरूप में गौंड एवं अहोम राजवंश का शासन था।

उड़ीसा में गजपति राजवंश, मेवाड़ में राजपूत एवं राणा राजवंश। मारवाड़ में राठौर तथा दक्षिण भारत में विजयनगर साम्राज्य था।

मुगलकालीन समय के ही भारतीय मानचित्र पर नजर डालते हैं तो देखते हैं कि विजयनगर साम्राज्य आज के पूरे दक्षिण भारत को समाहित किए हुए था। 18वीं सदी तक आते-आते मुगल साम्राज्य दक्षिण में आगरा, पश्चिम में पटियाला पूर्व में मेरठ और पश्चिम में हरियाणा के जींद तक ही सिमट के रह जाता है।

इतिहासकारों ने कभी भी यह बताने की कोशिश नहीं की कि महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, उड़ीसा और आन्ध्र प्रदेश के काफी बड़े हिस्सों में मराठों का साम्राज्य फैला हुआ था।

असल मे अब इस जानकारी के बाद आपको समझ में आना चाहिए कि क्यों और किन हिन्दू बाहुबली सम्राटों की वजह से आपके पूर्वज बचे रह गए और आपका धर्म भी.. आप अपने बहादुर पूर्वजों की वजह से आज भी हिन्दू हैं... मुग़लों का विस्तार तो आज ज्यादा है क्योंकि आपने अपने पूर्वजों के उलट उनको फैलने में मदद दे दी और दे रहे हैं।।
#हिन्दू #Hindu

आजादी की लड़ाई में मुसलमानों ने स्वार्थवश भाग लिया

15 अगस्त को आजादी मिली..? मिली लेकिन सिर्फ अंग्रेजों से .. मुग़लों से नहीं ? याद रखिये अंग्रेजों के पहले आपको मुग़लों ने गुलाम बनाया हुआ था ... और हम उन्ही से आजादी के लिए लड़ते आ रहे थे .... ये सच है या नहीं है ? बीच मे अंग्रेज आ गए ... अब ये मुस्लिम समाज मरता क्या ना करता.. अंग्रेजों से लड़ना पड़ा ... क्योंकि अगर फिर से हिंदुओं पर याने हिंदुस्तान पर कब्ज़ा करना था.. तो मजबूरन सबसे पहले तो अंग्रेजों से लड़ना था ...

बाद में नाम दिया गया कि ये मुस्लिम भारत की आजादी के लिए लड़ रहे थे..

जिसने भारत को अंग्रेजों की तरह ग़ुलाम बनाया हुआ था वो भारत की आजादी के लिए क्यों लड़ने लगे ? और क्यों लड़ेंगे जबकि वो भारतीय थे ही नही ? ?

वो तो अंग्रेजों के आने के बाद खुद ही फंस गए थे.. क्योंकि हिंदुओं के साथ वो भी ग़ुलाम बन गए.. सोचा था.. भारत मे रेप करते रहेंगे..काफिरों को मारते रहेंगे... लूटते रहेंगे...  इस्लामिक राष्ट्र बनाएंगे... और ये सब होने के पहले बीच मे ये क्या हो गया ? ?

वापिस अपनी सल्तनत में लौटने के लिए अंग्रेजो से सुलह की कोशिश करते रहे और हिंदुओं की बढ़ती ताकत और सफलता को देखते हुए उनके साथ शामिल हो गए... अंग्रेज तो चले गए लेकिन दुखद ये रहा कि बहादुर शाह जफर वाली सल्तनत मुग़लों की जगह हिंदुओं के हाथों में आ गयी क्योंकि उस समय तक आजादी के नाम पर हिंदुओं की ताकत बहुत ज्यादा हो चुकी थी और राजाओं वाली प्रथा भी जा चुकी थी... चूंकि इसमें सारे हिन्दू नेताओं का ही प्रभाव था.. मुग़लों का था ही नही.. तो सत्ता की डोर इन्ही नेताओं को सौंपी गयी... या बातचीत की गई..

अंग्रेजों के हाथों से भारत का स्वामित्व हिंदुओं के हाथों में जाते देख कर सारे मुसलमान छटपटा उठे.. ये क्या हो गया ? भारत आजाद कैसे हो गया? हमें तो लगा था वापिस हम मुग़लों को सत्ता मिलेगी.. जिन्नाह को मिलेगी..

इसलिए तो कुछ ही दिनों के बाद पाकिस्तान की मांग उठी.. भारत के लिए अगर इन्होंने लड़ा होता तो भारत मे ही रहते.. इनकी लड़ाई वापिस से भारत पर कब्ज़ा करने को लेकर ही था.. जिसे बाद में इतिहासकारों  ने .."मरता क्या ना करता" के  तर्ज पर भारत की आजादी के लिए जोड़ दिया.. ताकि आगे भविष्य में ये मुसलमान हिंदुओं के बीच मे शर्मिंदा ना होते रहे।

आज भी ये भारत पर कब्जे में ही लगे हैं. ये प्रवृत्ति इनके खून में है.. उस अपमान और अधूरे कार्य को पूरा करना चाहते हैं.. इसलिए 15 अगस्त के दिन हिंदुओं को भी चाहिए कि ये प्रण लें कि आखिरी मुसलमान को भारत से भगाने तक उनकी भी आजादी अधूरी है।
सभी हिंदुओं को आजादी की शुभकामना।।

Thursday 10 August 2017

अब्दुल कलाम जी ने कितने दंगे रोके ?

अरे भैया ये तो बताओ .. ये अब्दुल कलाम जी ने कितने दंगों को रुकवाया ? कितने आतंकवादी घटनाओं  को रोक लिया ? कश्मीर में जाके कभी अपील नहीं की पत्थरबाजों से..? कभी किसी अलगाववादी को मिलकर सुधार नहीं पाए ? ना कैराना अलीगढ़ बंगाल जैसे पलायन को रोक पाए ?
अरे आप बताओ ना मैं क्यों नाम जपता रहूँ हर बात में.. इनका.. एक कलाम थे.. एक कलाम थे.. एक कलाम थे..

अरे चपडगंजुओं एक कलाम थे तो क्या कर लिया.. तुम्हारे लिए.. ये बताओ ना .? किस दंगे के होते समय वहां पहुंच कर शांति की अपील की.. ? क्या कभी कश्मीर समस्या के लिए अपील की और माना किसी ने ?

इस्लामिक जिहाद बढ़ता ही गया ना.. हिन्दू मरते ही गए ना ? गौहत्या होती ही रही ना ? केरल बंगाल कश्मीर सब उनके रहते इस्लामिक स्टेट बनता ही रहा ना ? फिर भी एक आदमी के नाम पर आप करोड़ो गलत मुसलमानो को अच्छाई के प्रमाणपत्र बांटते रहे ? 100 में एक कलाम नहीं होता.. 25 करोड़ में एक होता है.. ये रेशियो अपने दिमाग में ठीक से ठूंस लो... कलाम का नाम लेकर ना पहले बच पाये थे ना अब बचोगे..
दिन रात एक ही आदमी के नाम पर झूठा बिल फाड़ते रहते हो...