मैं आज भी कहता हूं, लाल किले की प्राचीर से ... जबकि उस वक़्त पूरी दुनिया मोदी के भाषण को सुनने के लिए tv पर आंखें गड़ाए हुए थी... उस समय शौचालय जैसी बात नहीं करनी चाहिए थी.. इससे देश अपमानित हुआ.. सवा सौ करोड़ जनता का अपमान हुआ...
एक तरफ आप कहते थे कि दुनिया मे हमारी इमेज सांप सपेरों वाली है जो कि खराब है तो दूसरी तरफ उससे भी ज्यादा अपमानित करने वाली वजह .. आपने दुनिया को बताई.. आपने इसका जिक्र बारंबार किया.. यहां तक कि विदेशों में NRI के द्वारा आयोजित विशाल जनसमूह में भी इस बात का जिक्र किया... विदेशों में भारतीयों की क्या इज्जत रही ? ? वहां के अखबारों ने भारतीय महिलाओं में बारे में ये सब छापा.. वो NRI कहीं मुंह दिखाने के काबिल नहीं रहे..
कौन से मुद्दे , किस मंच से बोलने हैं, इसका भी ज्ञान नहीं ..? शौचालय बनाने के लिए आपने भारत के अंदर अभियान चलाया , अखबारों में वविज्ञापन के माध्यम से, TV के माध्यम से प्रचार किया होता, किसी छोटे मोटे कार्यक्रम में बोलते, मन की बात में बोलते...
लेकिन आप वहां बोलते हैं जहां बाहर वाले आपको तौलने की कोशिश में सुन रहे हैं.. जहां पर भारत की अच्छी इमेज बनाने की आपकी जिम्मेदारी थी.. वहां आपने अपने अहंकार और अज्ञान की वजह से सब गुड़गोबर करके रख दिया...