Saturday 25 February 2017

अलग जाति धर्म में शादी के विरोध की वजह

क्या विदेशी से शादी करना उचित है ? क्या किसी भी जाति का किसी भी जाति में शादी कर लेना उचित है ? इसके पीछे क्या कारण है ?
पहली बात सामाजिक एकीकरण का अर्थ सेक्सुअल एकीकरण नहीं है। अगर आप साइबेरिया की लडक़ी से शादी कर लें तो क्या वह ढोकला बना पाएगी? .. आप कहेंगे वो सीख सकती है.. पर क्या ये इतना आसान होगा ? ?

मैं आपको बताना चाहूंगा, भारत के ही ज्यादातर गुजराती अपने ही देश के तमिल लोगों से शादी नहीं करेंगे। बंगाली से शादी नहीं करेंगे। वे आंध्र प्रदेश में शादी नहीं करेंगे।

अगर दो लोग प्यार में पड़ गए तो शादी हो सकती है, मगर आम तौर पर वे अपने ही समुदाय में शादी करना पसंद करते हैं, क्योंकि वे हजारों सालों से जीवन को उसी रूप में जानते हैं। हुनर और संस्कृति को ऐसे ही संरक्षित करते हैं।

हम उस समय की बात कर रहे हैं, जब हुनर और जानकारी बांटने के लिए विश्वविद्यालय नहीं थे। इसलिए अगर कोई लोहार होता था, तो वह सिर्फ  लोहार की बेटी से ही शादी करना चाहता था, सोनार की बेटी से नहीं। क्योंकि सोनार की बेटी अधिक शौकीन-मिजाज हो सकती है, उसका लोहार के घर में गुजारा नहीं होता, इसलिए शादी को टिकाऊ बनाने के लिए ऐसा किया जाता था। क्योंकि उनका सोचना है कि बच्चों के बड़े होने तक पति-पत्नी को साथ रहना चाहिए। वे जीवन भर के लिए सोचते हैं, कुछ सालों के लिए नहीं, इसलिए वे कई स्तर पर छंटनी करके शादी करते हैं।

गुजराती तमिल से शादी नहीं करेंगे, तमिल लोग किसी गुजराती से कभी शादी नहीं करेंगे क्योंकि सभी अपनी परंपराओं को बचाना चाहते हैं वहीँ मुस्लिम अपनी परम्पराओं को बढ़ाने और दूसरों को मिटाने के लिए इसका प्रयोग जान बूझ करते हैं क्योंकि अब वो लड़की इस्लाम का वाहक होगी ना कि अपने पिता के धर्म का।

हाँ प्यार ऐसी चीज है जो ऐसा करवा सकती है और ध्यान रखिए अगर ऐसा होता भी है तो कम से कम हिन्दू के बीच ही शादी हो.. क्योंकि इसमें फिर भी एक दूसरे के साथ एडजस्ट किया जा सकता है... लेकिन दूसरे धर्म के साथ एडजस्ट होना सिर्फ एक दिखावा है.. क्योंकि आपको हर वो काम करना है जो आपकी आत्मा कभी स्वीकार नहीं करती, बल्कि अपने ही परिवार के खिलाफ खड़ा किया जाता है उनको मिटाने के लिए।

Saturday 18 February 2017

बच्चे की जान के लिए एक माँ ने क्या किया

30 दिसम्बर, 2016  को एक आदमी एक महिला अनीता के घर पर आया.. उसे बातों में फंसाया... अनीता के पति जीतू को अपना मोबाइल नंबर भी दिया और दोनों का ध्यान बंटा कर उनकी 3 साल की बेटी चंचल को उठा कर चलता बना... अपहरण हो चूका था।।

माँ बाप .. उत्तरप्रदेश के सपा कार्यालय याने पुलिस थाने पहुंचे.. पर पुलिस ने अखिलेश की तरह कुछ भी काम करने से मना कर दिया लेकिन एक माँ क्या हार मान जाती ?

जीतू के पास राजू(अपहरणकर्ता) का मोबाइल नम्बर था ही। माँ अनीता लगातार फोन करती रही। आठ दिन बाद मोबाइल खुला। अनीता ने बातचीत में राजू से कहा कि वह वह अपने पति और परिवार से परेशान है। टोरंट में नौकरी दिलाने की ख्वाहिश जाहिर की। उसने अपना नाम बबीता निवासी केके नगर, सिकंदरा बताया और ये जाहिर नहीं किया कि वो बच्ची चंचल की माँ है।

बातचीत चलती रही। रात में भी बात करती। यह भी कहती कि उसके बच्चे नहीं है। राजू को यकीन हो गया कि बबीता (वास्तविक नाम अनीता) प्यार करती है। अनीता ने वैलेनटाइन डे पर राजू से कहा कि अगर वह वाकई प्यार करता है तो मिलने जरूर आएगा।

अनीता 15 फरवरी को शाम चार बजे सिकंदरा स्मारक में पहुंच गई। अनीता के साथ पुलिस सादा कपड़ों में थी। राजू ने वहीं से अनीता को फोन किया और साड़ी का रंग बताने को कहा। फिर राजू जैसे ही अनीता के पास पहुंचा, अनीता ने हाथ मिलाया। इसके साथ ही पुलिस ने राजू को घेर लिया। इसके बाद भी सपा की निकम्मी पुलिस के बीच से वो भाग निकला...वो तो भला हो जो तुरंत दूसरे सड़क पर पकड़ा गया।। अनीता ने पुलिस के साथ मिलकर तय किया था कि वह जिससे हाथ मिलाए, वही अपहर्ता है। इसी आधार पर पुलिस ने राजू को पकड़ा।

बेटी चंचल माँ की गोद में फिर से आ गयी.. और सारा श्रेय उस महान माँ को मिलना चाहिए जो अपने बच्चे के लिए कुछ भी कर गुजरती है... जासूस भी बनी, गुंडों से प्यार का नाटक किया, और उससे मिलने से भी नहीं डरी.. और किसी फिल्म के हीरो की तरह बेटी को छुड़ा लिया।

Friday 3 February 2017

मन्त्रों का प्रभाव कहाँ गया ?

एक बार किसी बच्चे ने मुझ से पूछा कि "ओम नम: शिवाय" का क्या मतलब है? तो मैने कहा कि इसका मतलब है भगवान शिव को नमस्कार करो तो वो बोला इसमे मंत्र क्या हुआ? मैं सोच मे पड़ गया कि वाकई ही इसमे मंत्र क्या हुआ?
मेरे एक क्लाइंट थे, शर्मा जी. उन्होने 3-4 दिनो तक पत्नी संग महामृत्युंज मन्त्र का जाप करवाया और उसके पूरा होने के दो दिन बाद हार्ट फेल से मृत्यु को प्राप्त हो गये! आख़िर महामृत्युंज मन्त्र ने अपना काम क्यों नही किया?
मंत्र अपना काम क्यों नही करते? हमारे ऋषि मुनि क्या ग़लत थे या मंत्र ही ग़लत है !
दरअसल ऋषि मुनियो ने बहुत समय तक ये कहा कि शास्त्र ना लिखे जाए वैसे भी शास्त्र कहा जाता था, बताया जाता था. सिखाया जाता था पर लिखा नही जाता था! लिखा हुआ शास्त्र नही होता, किताब या ग्रंथ होता है. पर बेवकूफ़ ने इसे लिख दिया और यही से इसका सारा प्रभाव खो गया! ऋषि मुनि अपने गुरुकुल मे शिष्यो को मंत्रो का उच्चारण सिखाया करते थे जो मौखिक था, लिखित नही!! कहाँ सुर लंबा करना है औरकहाँ  धीमा, सब सिखाया जाता था. बिल्कुल वैसे ही जैसे आप गायकी सीखते है, मंत्र सारा खेल ध्वनि का है और ध्वनि लिखी नही जा सकती! शब्द लिखा जा सकता है!! 

ध्वनि एक उर्जा है जो मंत्रो मे व्याप्त होती थी और असर उसी का होता था ना की शब्दो का ! मंत्रो से ही संगीत और गायकी निकली, शास्त्रीय संगीत या गायन मे जो प्रभाव है उसका बेस वही ध्वनि है जो मंत्रो मे होती है. सुबह, दोपहर, शाम और रात के मूड के हिसाब से राग बनाए गये. अब उस रागो के असर से आप मंत्र के असर को समझ सकते है.

ओम भी एक शब्द है जिसे लिखा गया है वरना इसका उच्चारण एक गूँज है बस, पेट फेफड़ो और गले से आती हुई हवा की आवाज़ पर हम इसे लिखेगें 'ओम' ! अब 'आ' पे कितना ज़ोर देना है या 'ओ' पे कितना या 'म' पे कितना, कुछ पता नही. तो सही सही उच्चारण निकलेगा कैसे? जब ओरिजनल उच्चारण ही नही निकलेगा तो मंत्र अपना काम कैसे करेगें! काम तो उन ध्वनियो ने करना था जो हमने निकाली ही नही! सो लिखे हुए मंत्र सब वेस्ट हो गये और हम आज खा मा खा के शब्दो से खेल रहे है.

हवा की सायँ सायँ, पेड़ो के पत्तो की आपस मे टकरा कर आती आवाज़, पानी का कल कल, जानवरो की आवाज़े, पंछीयो की चहचाहट, मशीनो की आवाज़, हमारे कदमो की आहट इवन हमारी हँसी, रोना, चीखना सारे भाव सिर्फ़ ध्वनि पैदा करते है. अँधा आदमी या कोई बच्चा या पागल... कोई भी हो ध्वनि सुनकर सब समझ जाएगा कि क्या हुआ है! शब्द झूठ बोल सकते है पर ध्वनि कभी झूठ नही बोलती.

आज यही हाल मंत्र का है!  ऋषियो ने जो बरसो मेहनत करके ध्वनि इज़ाद की थी जिससे वो हर चीज़ को बाँध लेते थे, उसके असर से ख़तरनाक जानवर और आधियों को भी रोक लेते थे इवन बरसात भी ले आते थे और दूसरी शक्तियो को भी बाँध लेते थे. सब खो गया!! क्योंकि दूसरो को मंत्र सीखने सिखाने मे ज़्यादा मेहनत ना करती पड़े इसके लिए इसे लिख दिया और लिखते ही सारा असर उड़ान छू!!

आपने एक शब्द सुना होगा "मंत्र मुग्ध" हो जाना यानी बँध जाना, आज ऐसा नही होता क्योंकि मंत्रो मे मौजूद मुग्ध करने वाली ध्वनि नदारद है. अपने बनाए शब्दो से खेलते रहिए. हवन करिए या शादी के मंत्र पढ़िए, कुछ शुभ लाभ नही होना!
(03 फरवरी 2014 की पोस्ट)