आजकल टीवी पर एक ड्रामा चला हुआ है.. कि अचानक से कोई आपको कह दे .. वंदेमातरम गाओ... या जन गण मन... या कोई श्लोक सुना दो या कोई मंत्र पढ़ दो.. और अगर आपसे ग़ालती हो गयी तो खूब नमक मिर्च के साथ आपका हिंदुत्व या राष्ट्रवाद का सर्टिफिकेट खारिज कर दिया जाएगा...
जाकिर नाइक को वेदों के भी मंत्र श्लोक याद थे तो क्या वो हिंदूवादी कहलायेगा ? दिग्विजय वंदेमातरम गा ले.. तो क्या उसे राष्ट्रवादी माना जायेगा ? ये तो शुद्ध रूप से किसी इंसान की मेमोरी पावर की बात है... कि क्या वो पूरा गीत या मंत्र याद रख सकता है ? हिंदुत्व या राष्ट्रवाद तो एक भावना है जो किसी के रोम रोम में बसा होता है... जब लाखों लोग अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराने के लिए सीने पर गोली खाते हैं तो हज़ारो लोग होंगें जिनको रामशलाका या रामायण के संस्कृत श्लोक याद नहीं होगा... लेकिन श्रीराम उनके खून के कतरे कतरे में थे... दिल मे दिमाग मे श्रीराम बसे थे.... हो सकता है कि एक बच्चा अपने पिता के बिजनेस को संभालने लायक गुणवत्ता ना रखता हो लेकिन पिता के लिए निष्ठा तो फिर भी रहती है...
हमें ऐसा ही बनना चाहिए... और हम ऐसे ही हैं... हो सकता है कि हम वंदेमातरम को सही उच्चारण के साथ ना बोल पाए लेकिन वंदेमातरम गीत किसलिए है.. क्यों है... इसके विरोध करने वाले कौन है... उनके साथ क्या सुलूक करना है... ये जरूर समझ में आना चाहिए....