आज ऑफिशियली एक आखिरी मुस्लिम दोस्त भी जिंदगी से निकल गया.. चूंकि बचपन से दोस्त था इसलिए मैंने निभाने की हर कोशिश की... पर वो बराबर व्हाट्सएप्प पर वही इस्लाम को बड़ा दिखाने वाला और हिन्दू धर्म को छोटा दिखाने वाला msg भेजता जा रहा था...
मैं पढ़ता था पर जवाब नहीं देता था.. क्योंकि मुझे पता था कि उसके बाद कुछ बचेगा नहीं..
मेरे ही फ्रेंड सर्किल में कुछ दोस्त हैं उनको भी वो वही msg व्हाट्सएप्प पर भेजता है और लगभग उन सबका ब्रेनवाश उसने कर दिया है.. और ऐसी ही सफलता पाने की उम्मीद उसकी मेरे साथ भी होगी...
मैं जब मुम्बई से अपने शहर आया था तो उसके कहने पर उससे जाकर मिला भी.. चाय पी.. और हमने कभी उससे धर्म मज़हब की बात की ही नहीं... क्योंकि यही सोच थी कि जब तक चलता है चला लो...
पर व्हाट्सएप्प पर सबकुछ भेजते हुए उसने वो प्रसिद्ध msg भी भेजा जिसमे अशोक सिंघल की बेटी, मोदीजी की भतीजी आदि की शादी मुस्लिम लड़के से होने का दावा किया गया था.. और ये कहा गया मुल्ले तो हिंदुओं के दामाद होते है..
बस ये ऐसा पल था जब मुझे लगा पानी सर से उपर जा चुका है.. और सालों पुरानी दोस्ती .. अपने बहन बेटियों के इज्जत को दांव पर लगाकर कायम नहीं रखा जा सकता.. फिर मैंने जवाब दिया.... पहली बार... और वो पोस्ट आपने पिछले पोस्ट में देखा भी होगा... वही उसे व्हाट्सएप्प पर भेजा..
जल्दी ही उसका जवाब आ गया..
"तुम अब वो समीर नहीं रहे.. इतनी नफरत "
मैने कहा.. नफरत तो तुम्हारे अल्लाह ने भरा.. मुझे काफ़िर कह के.. और तुम उसे मानते हो या नहीं... ? तुम ने हमेशा व्हाट्सएप्प पर कुछ न कुछ गलत कहा.. मैन बर्दाश्त किया और मैन सिर्फ एक बार कहा.. तो.. मैं पहले वाला समीर नहीं रहा... ऐसे तो गुजरने वाली नहीं थी...
खैर फाइनली.. ये आखिरी मुस्लिम दोस्त था जो सेकुलरिज्म के जमाने मे बना था.. वैसे आज काफी आजाद भी महसूस कर रहा हूँ..
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