Friday 3 February 2017

मन्त्रों का प्रभाव कहाँ गया ?

एक बार किसी बच्चे ने मुझ से पूछा कि "ओम नम: शिवाय" का क्या मतलब है? तो मैने कहा कि इसका मतलब है भगवान शिव को नमस्कार करो तो वो बोला इसमे मंत्र क्या हुआ? मैं सोच मे पड़ गया कि वाकई ही इसमे मंत्र क्या हुआ?
मेरे एक क्लाइंट थे, शर्मा जी. उन्होने 3-4 दिनो तक पत्नी संग महामृत्युंज मन्त्र का जाप करवाया और उसके पूरा होने के दो दिन बाद हार्ट फेल से मृत्यु को प्राप्त हो गये! आख़िर महामृत्युंज मन्त्र ने अपना काम क्यों नही किया?
मंत्र अपना काम क्यों नही करते? हमारे ऋषि मुनि क्या ग़लत थे या मंत्र ही ग़लत है !
दरअसल ऋषि मुनियो ने बहुत समय तक ये कहा कि शास्त्र ना लिखे जाए वैसे भी शास्त्र कहा जाता था, बताया जाता था. सिखाया जाता था पर लिखा नही जाता था! लिखा हुआ शास्त्र नही होता, किताब या ग्रंथ होता है. पर बेवकूफ़ ने इसे लिख दिया और यही से इसका सारा प्रभाव खो गया! ऋषि मुनि अपने गुरुकुल मे शिष्यो को मंत्रो का उच्चारण सिखाया करते थे जो मौखिक था, लिखित नही!! कहाँ सुर लंबा करना है औरकहाँ  धीमा, सब सिखाया जाता था. बिल्कुल वैसे ही जैसे आप गायकी सीखते है, मंत्र सारा खेल ध्वनि का है और ध्वनि लिखी नही जा सकती! शब्द लिखा जा सकता है!! 

ध्वनि एक उर्जा है जो मंत्रो मे व्याप्त होती थी और असर उसी का होता था ना की शब्दो का ! मंत्रो से ही संगीत और गायकी निकली, शास्त्रीय संगीत या गायन मे जो प्रभाव है उसका बेस वही ध्वनि है जो मंत्रो मे होती है. सुबह, दोपहर, शाम और रात के मूड के हिसाब से राग बनाए गये. अब उस रागो के असर से आप मंत्र के असर को समझ सकते है.

ओम भी एक शब्द है जिसे लिखा गया है वरना इसका उच्चारण एक गूँज है बस, पेट फेफड़ो और गले से आती हुई हवा की आवाज़ पर हम इसे लिखेगें 'ओम' ! अब 'आ' पे कितना ज़ोर देना है या 'ओ' पे कितना या 'म' पे कितना, कुछ पता नही. तो सही सही उच्चारण निकलेगा कैसे? जब ओरिजनल उच्चारण ही नही निकलेगा तो मंत्र अपना काम कैसे करेगें! काम तो उन ध्वनियो ने करना था जो हमने निकाली ही नही! सो लिखे हुए मंत्र सब वेस्ट हो गये और हम आज खा मा खा के शब्दो से खेल रहे है.

हवा की सायँ सायँ, पेड़ो के पत्तो की आपस मे टकरा कर आती आवाज़, पानी का कल कल, जानवरो की आवाज़े, पंछीयो की चहचाहट, मशीनो की आवाज़, हमारे कदमो की आहट इवन हमारी हँसी, रोना, चीखना सारे भाव सिर्फ़ ध्वनि पैदा करते है. अँधा आदमी या कोई बच्चा या पागल... कोई भी हो ध्वनि सुनकर सब समझ जाएगा कि क्या हुआ है! शब्द झूठ बोल सकते है पर ध्वनि कभी झूठ नही बोलती.

आज यही हाल मंत्र का है!  ऋषियो ने जो बरसो मेहनत करके ध्वनि इज़ाद की थी जिससे वो हर चीज़ को बाँध लेते थे, उसके असर से ख़तरनाक जानवर और आधियों को भी रोक लेते थे इवन बरसात भी ले आते थे और दूसरी शक्तियो को भी बाँध लेते थे. सब खो गया!! क्योंकि दूसरो को मंत्र सीखने सिखाने मे ज़्यादा मेहनत ना करती पड़े इसके लिए इसे लिख दिया और लिखते ही सारा असर उड़ान छू!!

आपने एक शब्द सुना होगा "मंत्र मुग्ध" हो जाना यानी बँध जाना, आज ऐसा नही होता क्योंकि मंत्रो मे मौजूद मुग्ध करने वाली ध्वनि नदारद है. अपने बनाए शब्दो से खेलते रहिए. हवन करिए या शादी के मंत्र पढ़िए, कुछ शुभ लाभ नही होना!
(03 फरवरी 2014 की पोस्ट)

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