Saturday 18 February 2017

बच्चे की जान के लिए एक माँ ने क्या किया

30 दिसम्बर, 2016  को एक आदमी एक महिला अनीता के घर पर आया.. उसे बातों में फंसाया... अनीता के पति जीतू को अपना मोबाइल नंबर भी दिया और दोनों का ध्यान बंटा कर उनकी 3 साल की बेटी चंचल को उठा कर चलता बना... अपहरण हो चूका था।।

माँ बाप .. उत्तरप्रदेश के सपा कार्यालय याने पुलिस थाने पहुंचे.. पर पुलिस ने अखिलेश की तरह कुछ भी काम करने से मना कर दिया लेकिन एक माँ क्या हार मान जाती ?

जीतू के पास राजू(अपहरणकर्ता) का मोबाइल नम्बर था ही। माँ अनीता लगातार फोन करती रही। आठ दिन बाद मोबाइल खुला। अनीता ने बातचीत में राजू से कहा कि वह वह अपने पति और परिवार से परेशान है। टोरंट में नौकरी दिलाने की ख्वाहिश जाहिर की। उसने अपना नाम बबीता निवासी केके नगर, सिकंदरा बताया और ये जाहिर नहीं किया कि वो बच्ची चंचल की माँ है।

बातचीत चलती रही। रात में भी बात करती। यह भी कहती कि उसके बच्चे नहीं है। राजू को यकीन हो गया कि बबीता (वास्तविक नाम अनीता) प्यार करती है। अनीता ने वैलेनटाइन डे पर राजू से कहा कि अगर वह वाकई प्यार करता है तो मिलने जरूर आएगा।

अनीता 15 फरवरी को शाम चार बजे सिकंदरा स्मारक में पहुंच गई। अनीता के साथ पुलिस सादा कपड़ों में थी। राजू ने वहीं से अनीता को फोन किया और साड़ी का रंग बताने को कहा। फिर राजू जैसे ही अनीता के पास पहुंचा, अनीता ने हाथ मिलाया। इसके साथ ही पुलिस ने राजू को घेर लिया। इसके बाद भी सपा की निकम्मी पुलिस के बीच से वो भाग निकला...वो तो भला हो जो तुरंत दूसरे सड़क पर पकड़ा गया।। अनीता ने पुलिस के साथ मिलकर तय किया था कि वह जिससे हाथ मिलाए, वही अपहर्ता है। इसी आधार पर पुलिस ने राजू को पकड़ा।

बेटी चंचल माँ की गोद में फिर से आ गयी.. और सारा श्रेय उस महान माँ को मिलना चाहिए जो अपने बच्चे के लिए कुछ भी कर गुजरती है... जासूस भी बनी, गुंडों से प्यार का नाटक किया, और उससे मिलने से भी नहीं डरी.. और किसी फिल्म के हीरो की तरह बेटी को छुड़ा लिया।

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