Saturday 13 May 2017

आखिर बिहारी इतने बदनाम क्यों है ?

आखिर बिहारी इतने बदनाम क्यों है ? क्यों देश मे वो एक अशिष्ट, भद्दे नागरिकों में गिने जाते हैं  ? कुछ तो वजह होगी.. आखिर दूसरे प्रदेश के नागरिकों के प्रति ऐसी सोच क्यों नही है ? बिहार में ट्रेन के एंट्री करते ही दूसरे लोग तो छोड़िए.. खुद बिहारी सावधान होकर अपने सामान , बैग्स आदि की जंजीरे, ताले चेक करने लगता है...

कहने को तो ऐसे पोस्ट पर बिहारी भाई आंधी तूफान बन कर टूट पड़ते हैं.. लेकिन इससे बिहार अच्छा नही होगा... भैंस। के चारा खाया तो तर्कसंगत भी था लेकिन चूहों ने शराब पी ली अरबों रुपये के... ये हजम होगा क्या ? कितने भी चूहे मिल जाये तो क्या वो बोतल के सील पैक ढक्कन को खोल सकते हैं ? लेकिन भैया ये बिहार है.. जांचने वाली कंपनी का तर्क देखिए.. एक ऐसी चीज पर इल्जाम लगाना था जिसपर केस चले ही नहीं...

पहले लालू के बेटे ने करोड़ों का घोटाला कर लिया.. और अब मीसा भारती ने करोड़ों की जमीन हड़प ली... दोस्तों इस यादव के खून में चोरी मक्कारी और इस्लामी संस्कृति के गिरे हुए तहजीब समाए हैं... लालू क्या नही करता ... गुंडागर्दी, अपहरण, चोरी, घोटाला हर बुरे काम मे अप्रत्यक्ष रूप से संलग्न है क्योंकि उसके अकाउंट तक इसका पैसा पहुंचता है... ये एक खालिस अपराधी है..

लेकिन लालू अपने चुटकुलों से, मसखरी से बिहारियों को धूल चटा देता है... कैसे जम कर वोट पड़ी लालू को... बिहारियों की प्रकृति ही ऐसी हो चली है कि जो सबसे बड़ा चोर, गुंडा होगा उसी को सबसे ज्यादा वोट दूंगा। बिहारी में संस्कार भी है पर एक अलग कोने में.. इनसे बड़ा सेक्युलर आपको कहीं नहीं मिलेगा...

आप बिहार जाओ अपनी जवान बेटी बहन को लेकर.. सड़क पर निकलो.. और फिर देखो...आपको असली बिहारी वाली पहचान दिखाई देगी.. लगभग हर आदमी लड़की की तरफ घूरता मिलेगा.. युवा, बुजुर्ग, बच्चे... सभी... उनकी नजरें ही आपको सब बता देंगी... आज लिख रहा हूँ क्योंकि ये जरूरी है..

अपराध का हाल ये है कि महिलाओं के गले से चेन आदि झटके में खींच ली जाती है, व्यवसायियों को गोली मारकर पैसों का थैला लूट लिया जाता है, एटीएम को उखाड़कर पैसे निकाल लिए जाते हैं.. आपके रहते हुए घरों में घुसकर दिनदहाड़े डकैती कर ली जाती है... आप थोड़े से अमीर हुए तो आपके बच्चे स्कूल जाते हुए गायब हो जातेहैं.. कहीं दुकान है तो रंगदारी देते रहिये.. जमीन है तो कोई भी यादव या मुस्लिम कब्ज़ा करके कागज बना ले सकता है... यहाँ किसी भी दफ्तर में कोई काम जिम्मेदारी से नही हो सकता, आधे कर्मचारी मिलते नहीं.. भूल जाइए कि आपकी मदद कोई विधायक या सांसद करेगा .. या मंत्री.. वो तो अपने 5 साल के अकूत कमाई का इंतजाम करने में जुटा है... बिहार एक प्रकृति से सजा धरोहर दिखता है लेकिन व्यवस्थाओं ने नरक बना दिया है.. इस्लामीकरण लगभग हो चुका है.. चारों तरफ मुल्ले ही मुल्ले.. जिसके साथ बिहारी हिन्दू सेवइयां खाते मिल जाएंगे.. यहाँआं तक कि हिन्दू लड़कियों को फंसाने में उसका साथ देते भी..

बिहारी सुनते ही किसी को गर्व का भाव उतपन्न नही होता.. कुछ तो वजह होगी.. गुजराती, पंजाबी, मुम्बईकर, सबको बोलते ही दिमाग मे एक अलग पहचान बनती है और बिहारी बोलते ही अलग...

ये खूब डींगें हांकेंगे लेकिन इनका पूरा चरित्र तब सामने आ जाता है जब लालू और उसका पूरा आपराधिक गैंग इनके ही वोटों से लबालब हो जाता है.. गलत को गलत नही कहेंगे तो क्या दिल रखने के लिए झूठ बोल दें ?

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