Saturday 19 August 2017

शाहजहां की बेगम का नाम मुमताजमहल था ही नहीं

शाहजहां की बेगम का नाम मुमताजमहल था ही नही।

ताजमहल शब्द के अंत में आये ‘महल’ मुस्लिम शब्द है ही नहीं, अफगानिस्तान से लेकर अल्जीरिया तक किसी भी मुस्लिम देश में एक भी ऐसी इमारत नहीं है जिसे कि महल के नाम से पुकारा जाता हो। ताज' और 'महल' दोनों ही संस्कृत मूल के शब्द हैं।

फर्जी मुमताज को यहां दफनाया ही नहीं गया था।

ताज के दक्षिण में एक पुरानी गौशाला है।

कपिल सिब्बल जैसों की ग़ुलाम सर्वोच्च न्यायालय ने जब मुसआल्मानों कि पोल खुलती देखी तो सन 2000 में पी एन ओक की याचिका रद्द ही नहीं की.. उल्टे ये भी बोल दिया कि... उनके दिमाग में ताज के लिये कोई कीड़ा है।

इन्होंने सील किये हुए कमरों को खोलने की आज्ञा ही तो मांगी थी.. लेकिन वो आजतक नहीं दी गयी है..

क्या आपको पता है कि
इनकी पुस्तको को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने प्रतिबंधित कर दिया था, फिर १०-१५ वर्षो के बाद प्रतिबन्ध हटाया गया | मक्का एक शिवमंदिर है ये पहली बार इन्होंने ही कहा था...

कार्बन डेटिंग के आधार पर 1985 में यह सिद्ध किया कि यह दरवाजा सन् 1359 के आसपास अर्थात् शाहजहाँ के काल से लगभग 300 वर्ष पुराना ह।

पुरे अरब में एक भी आलीशान मकबरा नहीं मिलेगा... तो भारत मे क्यों बनाएंगे..आलीशान मकबरा बनाना इस्लाम मे कुफ्र है। हिन्दुस्तान में मंदिरों की अस्मिता भंग करने के लिए , मंदिरों में , मरे हुओं कि कब्रें बना कर उन्हें अपवित्र करने के लिए उन्हें मकबरों में बदला गया .
(एक बार फिर से तेजो महालय के ये तर्क दुहराने के लिए)

No comments:

Post a Comment