ये सोचने वाली बात है कि बलात्कार होते रहे हैं.. शायद होते भी रहेंगे... लेकिन पीड़िता के साथ जब दरिंदगी और हैवानियत की बात आती है तो आरोपी सिर्फ मुस्लिम ही निकलते हैं..
इसका सबसे बड़ा कारण है मदरसों में इनको ये समझाना कि हिन्दुओ की लड़कियां तो तुम्हारे हरम में रहा करती थी और उनकी औक़ात क्या है ?
दूसरा ये बताना कि इस्लाम में गैर मुस्लिम की लड़कियों से बलात्कार जायज है.. और उनको पीड़ा देना अल्लाह का जिहाद है..
ये लोग जैसे जैसे बड़े होते हैं . . पूरा दिमाग जहरीला होता जाता है.. इनके दिमाग मे हिन्दू लड़कियों की ऐसी इमेज बनाई जाती है कि जिसके साथ कुछ भी करो, सबसे गंदा काम करो क्योंकि वो इसी लायक है...... उसके बाद जिस दिन ये रेप करते हैं, तो सबसे पहले हिन्दू की बेटियां खोजते हैं...
इनके दिमाग मे रहता है कि ये काफ़िर की बेटी है और काफिर को तड़पाना ,मारना सबकुछ अल्लाह ने ही जायज कह दिया तो पाप रहा कहाँ ? ?
इस देश का संविधान भले ही मुझे फांसी दे दे पर बलात्कार और तड़पा कर की गई उसकी हत्या मेरे लिए पुण्य था... पाप नहीं..
जब व्यक्ति इस मनोदशा में पहुंच जाए तो वो क्या नहीं करेगा ?
जब मैं कहता हूं मुस्लिम के बारे में तो लोग गंगा जमुनी और अब्दुल कलाम आदि की नौटँकी करने लगते हैं, हमारे अपने ही लोग हमारे विरोधी होने लगते हैं.. जबकी देश के अंदर ये लोग एक महामारी का रूप ले चुके हैं... कम से कम कुछ नहीं कर सकते तो बहन बेटियों और माओं को सावधान कीजिये, समझाइए...
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