Tuesday 31 January 2017

आशु परिहार ने सच कहा तो निकला फतवा

भारत के मुस्लिमों के खिलाफ आशु परिहार ने ऐसा कुछ नहीं कहा जो सच नहीं है... उसने गलती सिर्फ यही किया कि उसने ये बात वीडियो के माध्यम से कही... जो एक पक्के सबूत के रूप में सामने save हो गयी.... उसने बंगाल में हो रहे इस्लामीकरण के बारे में कहा... ममता बनर्जी को जिहादी आतंकवादी बताया... और मुहम्मद के साथ उसकी बेटी का निकाह याने रेप बतलाया...

समस्या सिर्फ यहीं पर हुयी... मुहम्मद ने 9 साल की बेटी के साथ जब निकाह किया तो आशु जी के साथ मेरी नजरों में भी वो बलात्कार था... लेकिन मुस्लिम कह रहे हैं.. ये "रेप" वाला शब्द क्यों कहा गया ?

इसमें फतवा और जान से मारने की जगह मुस्लिम को ये साबित करना चाहिए कि 9 साल की बेटी सेक्स के लिए पूरी तरह से तैयार थी... उसने बेटी से निकाह किया .. इसपर तो खुद मुसलमानो को भी आपत्ति नहीं है... बल्कि आपत्ति है सिर्फ कि उसे रेप क्यों कहा.. ?

आपत्ति तो मैं भी कर रहा हूँ कि उसे रेप क्यों ना कहा जाए ? ? मैं संविधान के हवाले से कह रहा हूँ कि ये रेप था.. अगर ये भारत में हुआ होता तो पुलिस मुहम्मद को गिरफ्तार करके मुकदमा चलाती या नहीं चलाती ? मुहम्मद को इस देश का कानून सजा देता या नहीं देता... ? अगर कोई भी आदमी आज किसी 9 साल की बच्ची के साथ रेप करे तो रेपिस्ट है या नहीं है..? ? अगर इसी संविधान और कानून के मुताबिक आशु परिहार ने कह दिया तो वो कानूनन तो गलत हो नहीं सकती ... सरकार अगर उसपर कार्रवाई करती है मुसलमानो के दवाब में तो कोर्ट में आशु को पूछना चाहिए कि ...
"मी लार्ड 9 साल की बच्ची के साथ हमबिस्तरी... रेप कहा जाएगा या मनमर्जी से किया गया सेक्स ? ? जज साहब आपका कानून जो कहता है वही मैंने आम जीवन में कह दिया तो क्या गलत था? "

जज कहेगा... " आपने फिर भी नहीं कहना चाहिए इससे धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं... "

"लेकिन ऐसे धर्म को क्या आप धर्म मानने को राजी है ? कोई कल होकर एक मजहब खड़े कर दे.. जिसमे चोरी डकैती बलात्कार लूट दंगा सारी ऐसी बुराई शामिल हो जिसके लिए पुलिस उसको पकड़ सकती है .. गोली मार सकती है... और आप उसे कारावास दे सकते हैं... तो क्या आप मुझसे ये कहेंगे कि वो भी किसी का धर्म है इसलिए उसकी इज्जत करो... अगर मुझे इज्जत करना है तो फिर आप भी करो... जज होने के नाते आप उसे सजा मत दो.. उन सारे कामों को आप भी जायज बताओ... आपको भी दूसरे के धर्म की धार्मिक भावनाएं आहत नहीं करनी चाहिए... सिर्फ मैं ही क्यों ?.....
जज साहब जिस गलत काम को आप गलत कहते हो।। जिन हालातों में आप किसी को रेपिस्ट कहते हो उसी को मैं क्यों नहीं कह सकती ? क्या मैं कानून के खिलाफ बोलूं ?"

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