Sunday 5 March 2017

बैंकों में न्यूनतम रकम रखने के नियम से फायदा

बैंकों में अब 1000 से 5000 तक रखना जरुरी हो गया है.. विरोध भी बहुत हो रहा है..  होना भी चाहिए.. अपने अपने तर्क हैं.. लेकिन इसका सकारात्मक पक्ष कुछ नहीं है क्या ?
और नकारात्मक पक्ष है ही क्या ? ?

आज कदम कदम पर एटीएम है.. सबके अंदर AC लगाया जाता है.. एक गार्ड रखा जाता है... दिन में दो बार पैसे रखने लाने .. ले जाने के लिए कर्मचारी नियुक्त हैं जो हमेशा खतरों से खेलते हैं.. एटीएम में समस्या आये तो उसे ठीक करने के लिए स्थायी इंजीनयर की नौकरी रहती है.. अब आप सिर्फ एक एटीएम के लिए जुटे लोग और खर्च का हिसाब लगाइए...

कांग्रेस और लालू नितीश अखिलेश के राज में अपराधी ऐसे बेख़ौफ़ हैं कि एटीएम आने के बाद से लोगों ने एक तरीका निकाला.. जितनी जरुरत हो उतने ही पैसे निकालो.. वरना कभी भी चोर उचक्के घर से या सड़क से लूट लेंगे.. यह सोच कामयाब भी रही है...

मुझे याद है कि आज से 15 या 20 साल पहले बैंकों में न्यूनतम रकम रखने का नियम था.. शायद 500 रुपये।। अभी जो नियम आये हैं वो आपके 5000 रूपये लेकर भाग नहीं जाएंगे.. ना वो जब्त कर लेंगे... ये अच्छा ही है कि आपके पास हमेशा इमरजेंसी के लिए 5000 रूपये होंगे... कोई दण्ड शुल्क ना होने की वजह से लोग 1000 रूपये भी अकाउंट में नहीं छोड़ते... इससे बैंकों को एक ऐसे अकाउंट के पीछे समय और पैसा बरबाद करना पड़ता है जिसमे एक रूपया भी नहीं है....

मान लो अगर ये आपकी मज़बूरी है इसलिए आप 5000 रूपये हमेशा मेंटेन करते हो.. ऐसे में भगवान् ना करे कभी आपके साथ कुछ मुसीबत आये या आपने सामान खरीद लिए और पता चला कि पर्स नहीं है, या ऐसे किसी भी जरुरत के समय में आपके पास 5000 रूपये तो होंगे ही भले उसपर कुछ शुल्क  लग जाए पर आपको 5000 निकालने से सरकार मना तो नहीं कर रही है ? ? और आपात समय में 5000 की रकम अच्छी खासी होती है।

वैसे ये मेरी सोच है.. आपकी क्या है पता नहीं.. गरीबों के लिए ये 5000 नहीं बल्कि 1000 है.. याने उनके पास हमेशा 1000 का आपात समर्थन तो रहेगा ही.. इसमें मुझे तो यही सकारात्मक पक्ष दीखता है।

No comments:

Post a Comment