कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है, कि अपनी बेटी के रेपिस्टों को सजा देने के लिए क्या एक पिता हथियार नहीं उठा सकता ? क्यों ना चला जाए उस हाइवे सहित सभी हाइवे पर... जहां नेताओ और पुलिस के द्वारा संरक्षित ये गुंडे हमारे जीवन को बर्बाद करने की ताक में बैठे रहते हैं ? क्यों लगाते हैं गुहार उस गुनाहगार मुख्यमंत्री से दूसरे गुनाहगार को सजा देने के लिए ?
"गब्बर इज बैक" आज की इसी मजबूर हालात के लिए एक रास्ता दिखाने वाली फिल्म थी। कानून हाथ में लेने की इजाजत नहीं होती, पर क्या ये नियम सिर्फ आम लोगों के लिए है ? ?
जिस दिन कानून साथ ना दे, नेता पुलिस जज सब गुनाहगार के पक्ष में खड़े हो जाएं तो किसी को तो गब्बर बनना ही पड़ेगा। आपको खुद निकलना पड़ेगा, अपनी तार तार हो चुकी जिंदगी को सम्मान देने के लिए। जिंदगी दांव पर लगाना पड़ेगा। अपमान की जिंदगी से मिलेगा भी क्या ? कैसे आप उस पत्नी और बेटी से आँख मिला कर जिन्दा रहेंगे ?
जिस सड़क पर ना जाने कितनी माँ बहनों की जिंदगी बर्बाद हुई है। सभी के घरों में एक आदमी जरूर होगा, जिसे नींद नहीं आती होगी, प्रतिशोध की आग में जल रहा होगा, उन लोगों को खोजिये, एक छोटी सी टीम बनाइये, और चुन चुन कर मारिये।
उसकी लाश के पास एक सन्देश लिखा होगा.....
"सरकार के फेल होने की वजह से इस अपराधी को हम मार रहे है।"
मुझे पूरा विश्वास है गब्बर बने इन लोगों को पूरे देश के आम लोगों का समर्थन मिलेगा और इसमें मेरा समर्थन हर तरीके से होगा।
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