Tuesday 18 July 2017

हिन्दू त्योहारों में मुसलमानो की कूटनीति और नाम सौहार्द का

दुर्गा पूजा और दीपावली आने वाली है, मीडिया में मौजूद मुस्लिम पत्रकार अब आपको बताएंगे कि ..

"यहां एक मुस्लिम तैयार करता है मूर्ति "

" सौहार्द की मिसाल: कई सालों से मुस्लिम परिवार तैयार करता आ रहा दुर्गा पूजा का पंडाल"

"इस मुस्लिम मोहल्ले में बैठती है माँ दुर्गा की प्रतिमा"

"यहां मुस्लिम करते हैं लक्ष्मी पूजा".. आदि आदि।।

खैर... एक दोस्त है, मुम्बई का.. उसने पिछले साल चार बंगला में गणेश पूजा के दौरान पंडाल लगाया था हमेशा की तरह.. (महाराष्ट्र का गणेश पूजा ही सबसे भारी त्योहार है)

उसने बताना शुरू किया कि कई सालों से हमलोग ऐसा करते आ रहे हैं.. चंदा भी जमा होता है, आसपास कुछ मुस्लिम इलाके हैं जाहां से एक रुपये चंदे नहीं आते .. ना पूरे पूजा के दौरान आते हैं लेकिन पिछले साल हमेशा की तरह विसर्जन के समय सब दारू पीकर पहुंच गए और डीजे बजाने को दवाब बनाने लगे.. 10 बज चुके थे तो हमसब सिर्फ ढोल बजा सकते थे, पर उनलोगों ने जिद पकड़ी थी.. तो ये धीरे धीरे लड़ाई में बदल गयी..

बाद में उन मुल्लों ने दूसरे इलाके के मराठी हिंदुओं को बुलाकर लाया और ईधर के मराठी हिंदुओं को पिटवाया.. किसी ने मदद नही की... (ध्यान दीजिए मुम्बई में जय शिवसेना है.. उसके बाद भी मुल्ले .. हिंदुओं को हिंदुओं से पिटवा रहे हैं और मुल्लों की बदमाशियों पर कोई मदद नही मिली)

मुम्बई में मुल्ले इस तरह हिंदुओं को अपमानित कर रहे हैं फिर Shivsena Mumbai ShivSena Shivsena कहां हैं..? पिछले साल मलाड में प्रतिमायें तक तोड़ दी गयी थी और मुल्लों के ऊपर इन संगठनों की तरफ से कोई कार्रवाई नही हुई.. उस समय तत्काल उस दिन कोई मदद नहीं मिली। वहां के लोकल हिन्दू अपमानित होकर रह गए थे.. ..

अब आते हैं.. उस बात पर जिससे इस पोस्ट की शुरुआत हुई थी..

उसने आगे बताया कि..
"यही मुल्ले लोग अपने मोहल्ले में गणेश जी की एक छोटी सी मूर्ति बिठाते हैं.. पूरे प्रांगण को ढंक कर शिविर जैसा कर दिया जाता है फिर "मटका" और "पत्तेबाजी" का खेल 15 दिनों तक उसमे चलता है जिसमे बड़े बड़े अमीर लोग आते हैं, और मुल्लों को इसमें लाखों लाख रुपयों की अवैध कमाई 10 से 15 दिनों में हो जाती है.. जो गणेश जी की मूर्ति बिठाते हैं वो सिर्फ नाम मात्र का होता है, ना उसकी सुबह शाम पूजा होती है, ना कोई हिन्दू उधर जाता है, ना कोई आरती वगैरह होती और ना कोई पंडित पूजा अर्चना के लिए जाता है.. असल मे उसके आड़ में लाखों रुपयों का धंधा चलता है...

तो दोस्तो ये तो स्वाभाविक ही था, मीडिया तो छाप देगी कि सौहार्द की मिसाल, मुस्लिम मोहल्ले में बैठाई गयी मूर्ति.. लेकिन आप बताइए.. क्या सचमुच ऐसा हुआ ? मुल्ले हिन्दू त्याहारों को अपनी कमाई का जरिया बनाते हैं और कुछ नहीं.. जब इस्लाम मे मूर्ति पूजा को अल्लाह ने हराम करार दिया तो ऐसा करने की पीछे जब तक दूसरी फायदेमंद वजह नहीं होगी , ऐसा करेंगे ही नहीं।

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