Tuesday 4 July 2017

2010 में हिन्दू लड़कियों का नग्न परेड बंगाल में कराया गया

2010 की बात है.. बंगाल के देगंगा में सालों पहले हिंदुओं ने बांग्लादेश से आये भूखे, नंगे, बेघर लोगों पर आदतानुसार दया करके रोटी दी, रहने को जगह दी.. लेकिन 2010 में ऐसा समय आया जब देगंगा के हज़ारों परिवारों में कहीं भी 35 से 40 साल से कम की औरतें या लड़कियां कहीं बाहर रहने को भेज दी गयी।

घरों में थीं तो 60 साल से ऊपर की महिलाएं, जो उन तीन दिनों में हुई महिलाओं की इज्जत से खिलवाड़ को अपनी आंखों से देखने को मजबूर थीं और आज पूछ रही हैं कि क्या वे सचमुच स्वतंत्र भारत की नागरिक हैं? लाल सलाम ठोंकने वाले और ममता जिहादी को दीदी पुकारने वाले बंगालियों ने बंगाल की इज्जत नीलाम करवा दी। 2010 में देगंगा में 100 से अधिक लड़कियों से वीभत्स बलात्कार हुए थे.. घरों को जला दिए गए.. और हैरानी इस बात की थी कि मीडिया में कहीं कुछ नहीं छपा.. ना बोला गया.. सिवाय पंचञ्या पत्रिका के।।

उस 6 सितंबर की वो घटना सुनकर आपके रोंगटें खड़े हो जाएंगे...
कट्टरपंथियों द्वारा साम्प्रदायिक दंगे की शुरूआत 6 सितम्बर की शाम को की गई। देगंगा मन्दिर और कब्रिास्तान बराबर-बराबर में हैं और वहां आने-जाने के लिए एक ही रास्ता है जिसे हिन्दू-मुस्लिम दोनों इस्तेमाल करते हैं। इनसे लगा हुआ ही थाना भी है। 6 सितम्बर की दोपहर अचानक मुसलमानों ने कब्रिास्तान की दीवार बनाने के लिए खुदाई शुरू की, लेकिन जितनी उसकी जगह थी उसे आगे आकर। इस पर वहां मौजूद हिन्दुओं ने विरोध किया, थाने से पुलिस आ गई, आपस में वाद-विवाद हुआ पर संघर्ष टल गया। पर वास्तव में संघर्ष टला नहीं था, कट्टरपंथी किसी रणनीति के तहत चले गए।

रमजान का महीना था। शाम को 5.30 बजे के आस-पास सब इफ्तार के लिए इकट्ठे हुए और इफ्तार के बाद धारदार हथियार लेकर हिन्दुओं के घरों पर टूट पड़े। 15 से 60 साल आयु वर्ग के ये मुस्लिम कट्टरपंथी हिन्दुओं के घरों के सामने जाकर उनकी बहू-बेटियों के नाम ले-लेकर उन्हें पुकारने लगे, उन्हें बाहर निकालकर बलात्कार करने की घोषणा करने लगे और भद्दी-भद्दी गालियां देने लगे। पुलिस आयी लेकिन उस पर भीषण पत्थरबाजी कर पीछे हटने पर मजबूर कर दिया गया। इसमें देगंगा पुलिस चौकी के प्रभारी अरुण घोष घायल हो गए।

रात होते-होते तक लूटपाट, हिंसा और आगजनी का दौर चलता रहा। मुस्लिम कट्टरपंथियों के अलग-अलग गुट हिन्दुओं के घरों पर धावा बोलते रहे और उसमें घुसकर युवतियों को नग्न कर बेइज्जत करते रहे। इन लोगों ने किसी की हत्या नहीं की पर यहां का हिन्दू समाज इतना बेइज्जत हुआ कि वह जीते-जी मर-सा गया है। ये इस्लाम है.. ये मुसलमान है..

इसकी विकरालता इससे समझिए कि करीब 10 किलोमीटर का लंबा क्षेत्र राख का ढेर बन चुका था... लुटेरे लूट का माल गाड़ियों में भरकर ले गए। बच्चू कर्मकार, रबीन घोष, चण्डी घोष, निरंजन साहा आदि की "मोबाइल शाप" से लाखों के मोबाइल लूटे गए तो तन्मय शाहा की दुकान और श्रीकृष्ण वस्त्रालय से लाखों के कपड़े लूटे गए। कोई नहीं बचा, चाय की दुकान भी नहीं।।

काली मंदिर और शनि मन्दिर की मूर्तियां तोड़ी गर्इं और उन्हें अपवित्र किया गया। खास बात थी कि तृणमूल के चार पांच घरों को छोड़ दिया गया।।

आज फिर से बंगाल के बशीरघाट में दंगा चल रहा है.. क्योंकि ये बंगाली हिंदुओं के नकारेपन, बड़बोलेपन और अकर्मण्यता का नतीजा है कि आज बंगाल एक आतंकवादी राज्य बनने के कगार पर है..हालांकि इसमें केंद्र सरकार, राज्य सरकार और हमसब भी अप्रत्यक्ष शामिल है...  पर क्या हमलोग आज भी कुछ कर सकते हैं... ? कुछ नहीं..
#बशीरहाट #दंगा #बंगाल

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