Wednesday 7 February 2018

टाइगर जिंदा है.. बॉलीवुड का इस्लामिक जिहाद.

Tiger zinda hai वाली फिल्म में जिस भेड़िए से लड़ाई वाली सीन की तारीफ सुनी थी असल मे वो सबसे घटिया सीन लगा है ... पब्लिक को ये लोग सुतिया समझते हैं... एक छोटा बच्चा एक छोटी से पतली लकड़ी लेकर आधे घण्टे तक दो दो भेड़ियों को .. हट हट हुर्रर्र करके रोके रखता है..  इसके बाद भेड़िए नकली हैं ये उसी समय पता चल जाता है जब पहली बार वो कूदता है सलमान पर... अच्छे से ग्राफ़िक्स भी नहीं करवा पाए ये नकलची बॉलीवुड के लोग...

फ़िल्म में आगे इस्लाम के ऊपर झूठ बोलने की फिर से झड़ी लग गयी.. मुख्य आतंकी बोल रहा है कि वो दिल्ली का था.. वहीं पर उसे सिर्फ इसलिए पकड़ लिया गया क्योंकि उसका नाम इस्लामिक था.. उसके बाद कुत्ते के पट्टे से बांध कर थर्ड डिग्री टॉर्चर दिया और नंगा रखा... और इसलिए वो आतंकवादी बन गया..

फ़िल्म बनाया है या आतंकियों को अच्छाई का सर्टिफिकेट बांटा है सालों ने.. सिर्फ नाम देखकर पकड़ लिया ? क्या भारत मे ऐसा अच्छा काम करने की हिम्मत पुलिस में कभी रही है ? ?  क्या ये अमरीकन एयरपोर्ट था ?

और अगर पकड़ के.. कुत्ते का पट्टा बांधकर.. नंगा करके टॉर्चर यहां की पुलिस और सेना करती तो सालों तुम लोग वंदेमातरम और भारत की जय बोलने का विरोध करते ? ISIs और पाकिस्तानी झंडे लहराते ? उस पुलिस पर पत्थर फेंकते ?

इस डायलाग से तो पुलिस भी यही सोचती होगी कि खाया पीया कुछ नहीं और गिलास तोड़ा बारह आने..

बुड्ढी कटरीना पाकिस्तानी एजेंट बनकर भारतीय एजेंटों का साथ निभाने घुसी है..
अब क्या रिव्यु दूँ आपको.. पूरी फिल्म में देशभक्ति के नाम पर मुसलमानों को और यहां तक कि पाकिस्तान को भी क्लीन चिट दे दी गयी... भारतीय एजेंट पाकिस्तानी एजेंटों के साथ गलबहियां किये पड़ा है... सबसे हास्यास्पद डायलाग दिया गया कि आतंकवाद मजहब की वजह से नहीं बल्कि एक बिजनेस की वजह से है.. आतंकवाद से ही कई लोगों का बिजनेस चलता है इसलिए ये चल रहा है... मतलब इसमें जिहाद की थ्योरी वगैरह कुछ नहीं.. इस्लामिक विचारधारा आदी का कोई हाथ नहीं..

ना जाने कितने लाख हिंदुओं के दिमाग को ये फ़िल्म ब्रेनवाश कर गया होगा.. जो अब ये कहते होंगे कि आतंकवाद इस्लाम की वजह से नहीं बल्कि कुछ देशों के बिजनेस प्रोपेगेंडा की वजह से फैल रहा है... यही तो है बॉलीवुड के तरफ से किया जा रहा सबसे बड़ा जिहाद... किसी भी बॉलीवुड के निर्माता में हिम्मत नहीं जो असल सच्चाई को प्रस्तुत कर दे... आखिर मुल्ले हीरो के मुंह से इस्लाम के खिलाफ कैसे डायलाग बोलवाया जा सकेगा ...

फ़िल्म में अगर सबसे बड़ा कोई हीरो है तो वो है अमेरिका... फ़िल्म के शुरू से अंत तक सबके हाथ पैर इसलिए कांपते रहते हैं कि अमेरिका हमला करेगा.. हर आदमी यही पूछ रहा है कि अमेरिका एयर स्ट्राइक कब करने वाला है ?

ऐसी फिल्म देखने मे मुझे बड़ी समस्या होती है.. ना कहानी पचती है ना लॉजिक ना डायलाग ना सीन... पता नहीं अब बाहुबली के निर्देशक राजामौली जी कब मेरे लिए अगली फिल्म बनाएंगे...

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