Tuesday 29 May 2018

राम नाम सत्य है

सनातन धर्म में साधु और बच्चों को समाधि और सामान्यजनों का दाह संस्कार किया जाता है।
अंतिम संस्कार में शामिल होना पुण्य कर्म है। जिस घर में किसी का देहांत हुआ है, उस घर से 100 गज दूर तक के घरों के लोगों को अंतिम संस्कार में शामिल होना चाहिए। अंतिम संस्‍कार में शामिल होकर प्रत्येक सक्षम व्यक्ति को कंधा देना भी जरूरी बताया गया है।

हमेशा पार्थिव शरीर को ले जाते समय उसका सिर आगे और पैर पीछे रखे जाते हैं। फिर विश्रांत स्थल पर मृत देह को एक वेदी पर रखा जाता है इसलिए कि अंतिम बार व्यक्ति इस संसार को देख ले। इसके बाद देह की दिशा बदल दी जाती है। अंत मे उसका सर दक्षिण दिशा में रखते हैं।।

ऐसी मान्यता है कि यदि किसी व्यक्ति के प्राण निकलने में कष्ट हो तो मस्तिष्क को उत्तर दिशा की ओर रखने से गुरुत्वाकर्षण के कारण प्राण शीघ्र और कम कष्ट से निकलते हैं। वहीं मृत्यु पश्चात दक्षिण की ओर सिर रखने का कारण है कि शास्त्रानुसार दक्षिण दिशा मृत्यु के देवता यमराज की है।

आजकल बड़े शहरों में शाम के बाद भी दाह संस्कार कर दिए जाते हैं.. पर हिंदू धर्मानुसार, सूर्यास्त के बाद कभी भी दाह संस्कार नहीं किया जाता है। यदि किसी की मृत्यु सूर्यास्त के बाद हुई है तो उसे अगले दिन सुबह के समय ही दाह संस्कार किए जाने का नियम है।

मुक्तिधाम या श्मशान में कई लोग हंसी-मजाक करते या किसी प्रकार की अनुचित वार्तालाप करते हैं, क्योंकि वह यह नहीं जानते हैं कि उन पर क्षेत्रज्ञ देव की नजर होती है।  मुक्तिधाम यम का क्षेत्र होता है, जहां पर यमदेव की ओर से एक क्षेत्रज्ञ देव नियुक्त होते हैं। प्रत्येक क्षेत्र के क्षेत्रज्ञ देव होते हैं और सभी के अलग-अलग कार्य होते हैं।

जो लोग गंगा किनारे दाह संस्कार करते या करवाते हैं या जो लोग अपने मृतकों को जल दाग देते हैं, वे सभी असभ्य लोग हैं। गंगा में शव दाह मत कीजिये. ..

और आखिर में याद रखिये .. "राम नाम सत्य है"

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