Tuesday 17 April 2018

हिन्दू अपना बड़प्पन दिखाने के लिए हिन्दू का ही गला काट रहे

"ओहो.. क्या आदमी है यार.. जो अपराधी था वो उसका अपना परिवार था.. फिर भी उसने उसके खिलाफ आवाज उठाई"

कई तो फिल्मों में आपने देखा होगा.. एक भाई पुलिस में और दूसरा भाई डॉन... और फर्ज की खातिर पुलिस वाला भाई लड़े जा रहा है.. हॉल में तालियां.. और एक सम्मान...
ऐसे प्रेरक प्रसंगों की भरमार है हिन्दू माइथोलॉजी में... जिसे सुनकर हिंदुओं में ये भावना बलवती होती चली जाती है कि बुराई देखो तो विद्रोह कर दो.. चाहे वो अपना परिवार ही क्यों ना हो... और ऐसी हालत में समाज उसकी थोड़ी ज्यादा ही तारीफें करता है...

यही वजह है कि हिन्दू उस वक़्त विद्रोही नहीं होता जब आरोपी दूसरे धर्म का हो.. भले ही केस एक जैसा हो... लेकिन जैसे ही हिन्दू को पता चलता है कि उसके ही समाज का, धर्म का, जाति का ... आदमी कुछ ग़लती कर गया है.. अपराध किया है... उसकी आँखों मे बड़ा बनने की चाहत हिलोरें मारनी लगती है.. उसको लगता है.. अगर इस मौके को भुना लिया तो समाज़ में वो किसी फिल्मी हीरो जैसे लोकप्रिय हो जाएंगे... और फिर इस मेंटेलिटी के मारे लोग .. हिन्दू समाज को, मन्दिर को, धर्म को.. सबको कोसने लगते हैं.. ताकि खुद को एकदम निष्पक्ष, बहादुर और सच्चा हरिश्चन्द्र दिखा सकें....

अब आइए मुस्लिम पर... जो इन हिंदुओं को ऐसा करने के लिए उकसाते हैं.. लेकिन खुद लादेन, बगदादी, बुरहान वाणी, अकबरुद्दीन ओवैसी, याकूब मेनन, मोहम्मद अफरोज, यासीन मलिक, दाऊद इब्राहिम, औरंगजेब, टीपू, तैमूर, बाबर आदि के खिलाफ बोलना तो दूर ... बल्कि मजबूती के साथ खड़े होते हैं... एकदम एक दीवार बनकर... आप जितनी गाली दे लो ईनको लेकिन अपने धर्म के क्रूर, वहशी बलात्कारियों के लिए एकदम छाती ठोंककर बेकसूर बताते है... बेकसूर ना भी हो तो कुछ कारण बताते हैं... जैसे कि लादेन मजबूरी में लादेन बना.. दाऊद ने मजबूरी में बम विस्फोट किया...  बुरहान वानी आजादी की लड़ाई लड़ रहा था... हर चीज का तर्क.. चाहे वो कैसे भी हो.. अंततः उनका मकसद एक है कि मुझे अपने कौम के लोगों को बचाना है... बस।।

अब हिन्दू भाई कहेंगे.. "तो क्या हम उनके जैसे बन जाएं...?"

बनना पड़ेगा... क्योंकि इसके सिवा रास्ता नहीं है.. वो दोगलेपन के हथियार से कई निशाने साध रहे हैं... क्योंकि आप ये लड़ाई हार रहे हो.. उन्होंने आपके समाज मे फूट डालने के लिए ऐसा किया है. . आपको एक हिंदूवादी सरकार के खिलाफ विद्रोही बनाने के लिए ऐसा किया है... क्योंकि ये सबको पता है कि ऐसे मामलों पर हिन्दू आपा खो देते हैं... आज 80% हिन्दू सिर्फ बड़प्पन पाने के लिए बलात्कार मामले पर आवाज ऊंची करके चीख रहे हैं... इन हिंदुओं के पूरे लाइफ के पोस्टों को छान लीजिये इन्होंने कभी हिन्दू बच्चियों के बलात्कर के ऊपर एक शब्द नहीं बोला है.. क्योंकि उसमे ज्यादा चोंचले दिखाने को नहीं मिलते.. ज्यादा हीरोगिरी दिखाने के अवसर नहीं होते..
सोचिये.. फिर फैसला कीजिये.. इस लड़ाई को कैसे जीतेंगे हम ? ?

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