Monday 26 May 2014

ईसा मसीह १2 साल की उम्र में हिन्दुस्तान आए, १८ साल यहाँ रह कर ज्ञान प्राप्त किया Jesus lived in INDIA


ईसा मसीह के जीवन का इतिहास जब आप पढ़ेंगे तो आपको उनके जन्म से ले कर १२ साल की आयु तक की कहानी पता चलेगी .. उसके बाद वो अचानक से कहीं चले जाते हैं और फिर १८ साल के बाद ३० वर्ष की उम्र में वापिस लौट ते हैं ... ये जो १८ साल ईसा मसीह गायब होते हैं इस अज्ञातवास को इतिहासकार "ईसा के शांत वर्ष (silent years) ,खोये हुए वर्ष ( lost years) और और " लापता वर्ष (missing years) के नाम से पुकारते हैं ...
इस्राएल के राजा सुलेमान के समय से ही भारत और इजराइल के बीच व्यापार होता था . और काफिलों के द्वारा भारत के ज्ञान की प्रसिद्धि चारों तरफ फैली हुई थी . और ज्ञान प्राप्त करने के लिए ईसा बिना किसी को बताये किसी काफिले के साथ भारत चले गए थे.इस बात की खोज सन 1887 में एक रूसी शोधकर्ता "निकोलस अलेकसैंड्रोविच नोतोविच ( Nikolaj Aleksandrovič Notovič ) ने की थी .इसने यह जानकारी एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित करवायी थी , जिसमे 244 अनुच्छेद और 14 अध्यायों में ईसा की भारत यात्रा का पूरा विवरण दिया गया है पुस्तक का नाम " संत ईसा की जीवनी (The Life of Saint Issa ) है .पुस्तक में लिखा है ईसा अपना शहर गलील छोड़कर एक काफिले के साथ सिंध होते हुए स्वर्ग यानी कश्मीर गए , वह उन्होंने " हेमिस -Hemis" नामके बौद्ध मठ में कुछ महीने रह कर जैन और बौद्ध धर्म का ज्ञान प्राप्त किया और संस्कृत और पाली भाषा भी सीखी . यही नही ईसा मसीह ने संस्कृत में अपना नाम " ईशा " रख लिया था ,जो यजुर्वेद के मंत्र 40:1 से लिया गया है जबकि कुरान उनक नाम " ईसा - (عيسى " बताया गया है .नोतोविच ने अपनी किताब में ईसा के बारे में जो महत्त्वपूर्ण जानकारी दी है उसके कुछ अंश दिए जा रहे हैं ,
तब ईसा चुपचाप अपने पैतृक नगर यरूशलेम को छोड़कर एक व्यापारी दल के साथ सिंध की तरफ रवाना हो गए "4:12
उनका उद्देश्य धर्म के वास्तविक रूप के बारे में जिज्ञासा शांत करना , और खुद को परिपक्व बनाना था "4:13
फिर ईसा सिंध और पांच नदियों को पार करके राजपूताना गए ,वहाँ उनको जैन लोग मिले , जिनके साथ ईसा ने प्रार्थना में भी भाग लिया "5:2
लेकिन वहाँ इसा को समाधान नही मिला, इसलिए जैनों का साथ छोड़कर ईसा उड़ीसा के जगन्नाथ मंदिर गए , वहाँ उन्होंने भव्य मूर्ती के दर्शन किये , और काफी प्रसन्न हुए "5:3
फिर वहाँ के पंडितों ने उनका आदर से स्वागत किया , वेदों की शिक्षा देने के साथ संस्कृत भी सिखायी "5:4
पंडितों ने बताया कि वैदिक ज्ञान से सभी दुर्गुणों को दूर करके आत्मशुद्धि कैसे हो सकती है "5:5
फिर ईसा राजगृह होते हुए बनारस चले गए और वहीँ पर छह साल रह कर ज्ञान प्राप्त करते रहे " 5:6
और जब ईसा मसीह वैदिक धर्म का ज्ञान प्राप्त कर चुके थे तो उनकी आयु 29 साल हो गयी थी , इसलिए वह यह ज्ञान अपने लोगों तक देने के लिए वापिस यरूशलेम लौट गए ., जहाँ कुछ ही महीनों के बाद यहूदियों ने उनपर झूठे आरोप लगा लगा कर क्रूस पर चढ़वा दिया था , क्योंकि ईसा मनुष्य को ईश्वर का पुत्र कहते थ .

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