तलाक़ के बाद वापसी के लिए "हलाला" के ज़रिए अजनबी के साथ सेक्स
कोई आदमी ग़ुस्से में आकर अपनी बीवी को तलाक़ दे देता है तो ये आलिम उससे ‘हलाला‘ करने के लिए कहते हैं और उसकी बीवी से निकाह कर लेते हैं। एक मौलवी ने तो बाक़ायदा हलाला के लिए पूरा सेंटर ही क़ायम कर लिया है। हलाला का यह तरीक़ा इसलामी शरीअत में ही नहीं है कि मुददत मुक़र्रर करके तलाक़ देने वाला शौहर अपनी बीवी का निकाह किसी से करवाए और फिर उससे तलाक़ दिलवाए।
सैयद अब्दुल्लाह तारिक़ साहब ने क़ुरआन का इल्म आम किया। उन्होंने बिना कोई रक़म लिए निकाह करवाने शुरू किए। उन्होंने बताया कि ग़ुस्से में आकर 3 तलाक़ एक साथ देने से बीवी पराई नहीं हुई। वह उसकी तरफ़ रूजू कर सकता है। उसे किसी से हलाला कराने और तलाक़ दिलवाने की ज़रूरत सिरे से ही नहीं है।
क़ाज़ी ए शरअ व मुफ़्ती ए ज़िला रामपुर सैयद शाहिद अली हसनी नूरी जमाली, शेख़ुल हदीस जामियातुल इस्लामिया पुराना गंज, रामपुर ने सैयद अब्दुल्लाह तारिक़ साहब पर कुफ़्र का फ़तवा लगा दिया
इतने लंबे अल्क़ाब वाला यह शख्स कौन है ?
ये वह साहब हैं जिनके एक शागिर्द ने अपनी बीवी को ग़ुस्से में आकर 3 तलाक़ दे दी और मदद के लिए इनके पास आया तो इन्होंने उससे कहा कि तुम हलाला कराओ, मुझसे करवा लो तो मैं तुम्हारी बीवी को तलाक़ दे दूंगा। इस तरह तुम अपनी बीवी से फिर से निकाह कर लेना। उनके शागिर्द ने अपना उस्ताद मानकर अपनी बीवी इन्हें दे दी। इन्होंने उससे निकाह कर लिया और फिर उसे तलाक़ नहीं दी। वह शागिर्द रो रो कर लोगों को अपनी दास्तान सुनाता रहा। इस तरह के काम दीन के नाम पर करने वाले यह साहब रामपुर ज़िले के मुफ़्ती बने हुए हैं और लोगों के पीर भी बने हुए हैं।
कोई आदमी ग़ुस्से में आकर अपनी बीवी को तलाक़ दे देता है तो ये आलिम उससे ‘हलाला‘ करने के लिए कहते हैं और उसकी बीवी से निकाह कर लेते हैं। एक मौलवी ने तो बाक़ायदा हलाला के लिए पूरा सेंटर ही क़ायम कर लिया है। हलाला का यह तरीक़ा इसलामी शरीअत में ही नहीं है कि मुददत मुक़र्रर करके तलाक़ देने वाला शौहर अपनी बीवी का निकाह किसी से करवाए और फिर उससे तलाक़ दिलवाए।
सैयद अब्दुल्लाह तारिक़ साहब ने क़ुरआन का इल्म आम किया। उन्होंने बिना कोई रक़म लिए निकाह करवाने शुरू किए। उन्होंने बताया कि ग़ुस्से में आकर 3 तलाक़ एक साथ देने से बीवी पराई नहीं हुई। वह उसकी तरफ़ रूजू कर सकता है। उसे किसी से हलाला कराने और तलाक़ दिलवाने की ज़रूरत सिरे से ही नहीं है।
क़ाज़ी ए शरअ व मुफ़्ती ए ज़िला रामपुर सैयद शाहिद अली हसनी नूरी जमाली, शेख़ुल हदीस जामियातुल इस्लामिया पुराना गंज, रामपुर ने सैयद अब्दुल्लाह तारिक़ साहब पर कुफ़्र का फ़तवा लगा दिया
इतने लंबे अल्क़ाब वाला यह शख्स कौन है ?
ये वह साहब हैं जिनके एक शागिर्द ने अपनी बीवी को ग़ुस्से में आकर 3 तलाक़ दे दी और मदद के लिए इनके पास आया तो इन्होंने उससे कहा कि तुम हलाला कराओ, मुझसे करवा लो तो मैं तुम्हारी बीवी को तलाक़ दे दूंगा। इस तरह तुम अपनी बीवी से फिर से निकाह कर लेना। उनके शागिर्द ने अपना उस्ताद मानकर अपनी बीवी इन्हें दे दी। इन्होंने उससे निकाह कर लिया और फिर उसे तलाक़ नहीं दी। वह शागिर्द रो रो कर लोगों को अपनी दास्तान सुनाता रहा। इस तरह के काम दीन के नाम पर करने वाले यह साहब रामपुर ज़िले के मुफ़्ती बने हुए हैं और लोगों के पीर भी बने हुए हैं।
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