रुद्राक्ष एक वनस्पति है। इसके पेड़ पर बेर की तरह फल लगते हैं। रूद्राक्ष की शक्ति और औषधि गुणों वैज्ञानिक तौर पर भी सिद्ध हो चुके हैं।
रुद्राक्ष को रात भर पानी में भिगोकर रखने और सुबह खाली पेट यह पानी पीने से ह्दय रोग नहीं होता। यह स्वभाव से प्रभावी होता है लेकिन यदि इसे विशेष तौर से सिद्ध किया जाए तो इसका प्रभाव कई गुना अधिक महसूस होता है।
अगर जप की माल सिद्ध करनी हो तो पंचगव्य (पंचामृत) में डुबोएं, फिर साफ पानी से धो लें। ध्यान रहे कि हर मणि पर ईशानः सर्वभूतानां मंत्र 10 बार बोलें।
मेरू मणि पर स्पर्श करते हुए 'ऊं अघोरे भो त्र्यंबकम्' मंत्र का जाप करें। यदि एक ही रुद्राक्ष सिद्ध करना हो तो पहले उसे पंचगव्य से स्नान कराएं। इस के बाद गंगा स्नान कराएं। बाद में उसकी षोडशोपचार पूजा करें, फिर उसे चांदी के डिब्बे में रखें। उस पर प्रतिदिन या महीने में एक बार इत्र की दो बूंदें जरूर डालें। भगवान के चरणों का स्पर्श कराकर मनचाही मनोकामना कर सकते हैं।
रुद्राक्ष से मंगलकामना
रुद्राक्ष से आपकी मनोकामना भी पूरी हो सकती है। कहते हैं कि चतुर्मुखी रुद्राक्ष अध्ययन के लिए, पंचमुखी रुद्राक्ष नित्य जप करें, षड्मुखी रुद्राक्ष पुत्र प्राप्ति के लिए, चतुर्दश एवं पंचदशमुखी रुद्राक्ष लक्ष्मी प्राप्ति के लिए तथा इक्कीसमुखी रुद्राक्ष केवल ज्ञान प्राप्ति के लिए, धारण कर सकते हैं। दरअसल रुद्राक्ष सिद्ध करना सहज बात है पर सिद्ध रखना मुश्किल है। दुराचार, अनाचार, व्यभिचार और असत्य वचन आदि कारणों से रुद्राक्ष की सिद्धि कम हो जाती है।
रुद्राक्ष धारण पद्धति
गले में 32 रुद्राक्षों की माल, सिर 40 रुद्राक्षों की माला, कानों में 6 या 8 रुद्राक्षों की माला, चोटी की जगह 1 वक्षस्थल पर 108 रुद्राक्षों की माला धारण करने की विधि ही रुद्राक्ष धारण पद्धति कहलाती है। वर्तमान में गले में 108 या 32 रुद्राक्ष पहनने की प्रथा है। शिवपूजन के समय रुद्राक्ष धारण करने की विधि की जाती है।
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