Tuesday 3 June 2014

क्रूरतम हत्याचारों को सहकर भी मै तुम्हे श्राप नहीं दे सकती ना ...क्योंकि मै माँ हूँ ना।

मै कत्लखानों मै कसाइयों के सम्मुख ठेल दी जाती हूँ। चार दिनों तक मुझे भूखा रखा जाता है ताकि मेरा हीमोग्लोबिन गलकर माँस से चिपक जाये। फिर मुझे घसीट कर लाया जाता है क्योंकी मै मूर्छित रहती हूँ। मुझ पर 200 डिग्री सेल्सियस वाष्प में उबलता हुआ पानी डाला जाता है। मै तडप उठती हूँ ।

हे मेरा दूध पीने वालों मै तुम्हे याद करती हूँ ।मुझे कठोरता से पीटा जाता है ताकि मेरा चमडा आसानी से उतर जाये। मेरी दौनो टाँगे बाँध कर मुझे उल्टा लटका दिया जाता है। फिर मेरे बदन से सारा चमडा निकाल लिया। जाता है। सुनों जीव धारियों अभी भी मैने प्राण नहीं त्यागे है। मै कातर निगाहों से देखती हूँ शायद इन कसाइयों के मन में मनुष्यता का जन्म हो। किन्तु इस समय मुझसे पोषित होने वाला कोई भी मानव मुझे बचाने नहीं आता। मेरे चमडे की चाहत रखने वाले दुष्ट कसाई मेरी जीवित अवस्था में ही मेरा चमडा उतार लेते है और तडप कर मै प्राण त्याग देती हूँ।

"ए हिंद देश के लोगों, सुन लो मेरी दर्द कहानी।
क्यों दया धर्म विसराया, क्यों दुनिया हुई वीरानी !!
जब सबको दूध पिलाया, मैं गौ माता कहलाई, 
क्या है अपराध हमारा, जो काटे आज कसाई।
बस भीख प्राण की दे दो, मै द्वार तिहारे आई
मैं सबसे निर्बल प्राणी, मत करो आज मनमानी॥ 
जब जाउँ कसाईखाने, चाबुक से पीटी जाती, 
उस उबले जल को तनपर, मैं सहन नहीं कर पाती।
जब यंत्र मौत का आता, मेरी रुह तककम्प जाती, मेरा कोई साथ न देता, यहाँ सब की प्रीत पहचानी॥ 
उस समदृष्टि सृष्टि नें, क्यों हमें मूक बनाया 
न हाथ दिए लड़नें को, हिन्दु भी हुआ पराया। 
कोई मोहन बन जाओ रे, जिसने मोहे कंठ लगाया, 
मैं फर्ज़ निभाउँ माँ का, दूँ जग को ममता निशानी॥
मैं माँ बन दूध पिलाती, तुम माँ का माँस बिकाते, 
क्यों जननी के चमड़े से, तुम पैसा आज कमाते। 
मेरे बछड़े अन्न उपजाते, पर तुम सब दया न लाते, 
गौ हत्या बंद करो रे, रहनेंदोवंश निशानी 
हे हिन्दु वीरों आपकी गौ माँ आपकी तरफ अश्रु पूर्ण नयनों से निहार रही है।
आपकी माँ

इस पावन और पवित्र भारत भूमी पर ऐसा कोई नहीं है क्या जो धर्म और कानून का पालन कर मेरे प्राण बचाये। तुम्हारे द्वारा किये गये क्रूरतम हत्याचारों को सहकर भी मै तुम्हे श्राप नहीं दे सकती ना

.................क्योंकि मै माँ हूँ ना 

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