Sunday 1 June 2014

फुटपाथ के दुकानदारो के लिए क्या मोदी जी कुछ ऐसा करेंगे ?

ये मैं बचपन से ही देखता आ रहा हू की जो फूटपाथी दुकानदार होते हैं उनके खिलाफ सरकार हमेशा मुहिम चलती है .. लोकल गुंडे हमेशा हफ़्ता वसूलते हैं .. पोलीस का हफ़्ता तो वेतन की तरह बँधा हुआ है ... सरकार तो अतिक्रमण हटाने के नाम पर उनके पूरे दुकान को ही तबाह कर के आ जाती है .. लेकिन एक आम आदमी की हैसियत से मैने ये पाया है की फूटपाथी दुकानदार भारत के लोगों के लिए लाइफ लाइन की तरह है .. इसके बगैर शायद जीवन की कल्पना नही हो सकती /.// आप सब्ज़ी कहाँ ख़रीदेंगे ..? आपको २ रुपये की हरी मिर्च लेनी हो तो क्या आप किसी मॉल में जाएँगे ? क्या वहाँ दो रुपये का सामान बिकेगा? जो बहुत अमीर लोग है वो तो २ रुपये के मिर्च के लिए २० रुपये भी लगा देंगे .. 

सरकार रोज़गार तो देती नही अगर लोग खुद दो पैसे कमा रहे हैं तो उनको टॉर्चर क्यूँ किया जा रहा है .. करोड़ो लोगों के घर इसी दुकान से चलते हैं . मेरा सुझाव ये है :-
*सरकार को चाहिए की फुटपाथ पर थोड़ी सी जगह इनको भी मिले ..
*ऐसे फुटपाथ से हटा दें जिस पर होने की वजह से ट्रफ़िक जाम होता हो ..
*उनकी जगह सीमित हो .. कुछ बहुत जगह लेते हैं वहीं पर चूल्हा जला कर समोसे बनाते हैं ...कहीं से बना कर भी लाए जा सकते हैं..
*जो ठेले वाले होते हैं उनको कह दिया जाए की आप किधर और कहाँ किस सड़क पर जाने की अनुमति है .. खास कर जो सड़क जाम होता है .
*गुणडो और पोलीस वालों से बचाने का तरीका है कि इनको वैध करार देते हुए नगर निगम ही इन से किराया ले लिया करें
*किराए का निर्धारण दुकान के हिसाब से हो जैसे समोसा चाय बेचने वाले के लिए दिन का २०० रुपये हो तो सिर्फ़ टोकरी में सब्ज़ी बेचने वाले के लिए ५० रुपये
*इन सब को लाइसेन्स दिया जाए और सबको पहचान पत्र देते हुए उनका पहचान पता सब रखा जाए ताकि ऐसा ना हो कि कोई कुछ बेच कर बिना किराए दिये गायब हो जाए.
*कम बिक्री की वजह से अगर कोई किराया ना भर पाए तो कररवाई में उसे ३ या चार दिन का समय दिया जाए अगर फिर भी ना दे तो उसको कहीं भी दुकान लगाने ना दिया जाए ..
**इस सारे क़ानून से बूढ़ी औरतों को अलग रखा जाए जिसकी उम्र ७० से उपर हो .. अगर उनकी दुकान छोटी से छोटी श्रेणी में आती हो
(मेरा मकसद सिर्फ़ ये नही है कि मैं सिर्फ़ आलोचना करूँ .. साथ में उसका निदान बताना भी चाहता हूँ )

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