Wednesday 10 January 2018

अब स्कूल के प्रार्थना गीत पर मुस्लिमों को ऐतराज

सबकुछ होते हुए आज इस बात के लिए भी कोर्ट में याचिका डाल दी गयी कि केंद्रीय विद्यालयों में जो प्रार्थना गीत सभी बच्चों से गवाए जाते है वो गलत है और रोक लगनी चाहिए.. 
लगे हाथ इस पर सभी जगह डिबेट भी हो गए.. प्रार्थना के समर्थन में सभी ने ये समझाया कि इस ॐ को बोलने से या संस्कृत के श्लोकों से क्या फर्क पड़ता है...

लेकिन मैं इस याचिका को सही मानता हूं.. एक मुस्लिम ॐ का जाप कैसे करेगा ? या एक नास्तिक ईश्वर की स्तुति क्यों करेगा ?

याचिका तो सही है.. लेकिन सवाल है कि कोई पुत्र अपने बाप के बारे में कह दे कि मैं इसको नहीं किसी और को बाप मानना चाहता हूं ... और कोर्ट से आर्डर भी मिल जाये तो क्या वही उसका असली बाप होगा ? जिस भारत देश की जमीन में हमारे भगवानों ने जन्म लिया.. जिसकी मिट्टी में ही हिन्दू संस्कृति समाई हो.. उसको कोई ना माने ... तो असलियत बदल जाएगी क्या ?  

कोई बाहरी आदमी किसी दोस्त के घर मे जाये.. और कहे कि मैं तो अपने हिसाब से खाना खाऊंगा.. मैं बीफ खाऊंगा.. तो क्या वो घर का मालिक बनाएगा अगर वो शाकाहारी हो ? ? अब ऐसे ही भारत हिंदुओं का घर है.. इसमें मुस्लिम बाहर से आकर नित नए ड्रामे करें.. अपने मनमाफिक चीजें मांगे जो इस घर के मालिक अर्थात हिन्दू कर नहीं सकते तो दो ही विकल्प होता है...
पहला उस मुस्लिम को खुद मन की चीज ना मिलने पर चले जाने चाहिए ....
या दूसरा .... घर का मालिक लात मारकर बाहर तो कर ही देगा...

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