Tuesday 9 January 2018

कुंडलिनी जागरण के बारे में मेरे थोड़े अनुभव

कभी आपने ध्वनि को देखा है... ये आपको नजर आ सकता है... आप ध्वनि को जिस जगह पर चाहें वहां पर ले जा सकते है । हां ऐसा होता है.. ये मेरा अपना अनुभव है...
ये उन सबके साथ होता होगा जो लोग कुंडलिनी जागरण का अभ्यास ध्वनि माध्यम से करते होंगे..
वैसे मैं कभी कभी ही अभ्यास करता हूँ... परन्तु प्राणायाम हमेशा करता हूँ और इसलिए ये पता चला कि जो लोग प्राणायाम करते आये हैं उनके लिए कुंडलिनी प्राणायाम करना जल्दी फलीभूत हो सकता है...

कुल सात आवाज हैं... और योगियों ने कितना जबरदस्त विज्ञान साधा है... किस अंग पर कौन शब्द ठहरेगा ये पता लगाया... नाभि के लिए कौन सा.. ह्रदय के लिए कौन सा... कंठ के लिए... तीसरे नेत्र के पास या मस्तिष्क के पास... सबके लिए अलग अलग...

मेरे समझ से सीधे कुंडलिनी का अभ्यास से अच्छा है पहले रोजाना का प्राणायाम जो करते हैं वो कर लें और फिर बिना रुके कुंडलिनी अभ्यास में प्रवेश कर जाएं...

दूसरा है... पेट मे गैस ना हो... कब्ज़ ना हो.... क्योंकि कुंडलिनी की शक्ति भी ऊर्जा एक तरंग के रूप में नीचे से ऊपर उन्ही नस नाड़ियों से ऊपर आना चाहती है .. जो गैस आदि से अवरुद्ध है...

इसलिए तो जब योगी इसके लिए बैठते तो भूखे बैठते... और कई दिनों तक ना खाएं... ना पीए... तो इस तरंग के लिए बने रास्ते खुल जाते... अब ये सब विज्ञान है...

जब आप शब्द का उच्चारण करोगे तो आंखें बंद कर ध्वनि तरंगों को उस अंग पर केंद्रित करके रोकोगे... ये हो जाता है.. इस वक़्त उस ध्वनि को उस खास अंग पर रोकना देखना, महसूस करना ही सफलता की पहली सीढ़ी है...

अब मैं अपने अनुभव से बताऊं तो... जैसे शब्द है... " रं "
इसमें दो शब्द आएंगे...
पहला बोलिये... रम्म... और दूसरा है... ममममम...

रम्म बोलकर ध्वनि को उस नाभि के थोड़ा ऊपर उत्पन्न करिए... और मममममम... का गुंजन होते रहने दीजिए...

और भाई ये सब बस थोड़ा अनुभव बांटा है... थोड़ा कीजिये .. ज्यादा नहीं... क्योंकि इसका अभ्यास खतरनाक है... ध्यान लग गया... तो तन्द्रा भंग करने वाला भी कोई आसपास होना चाहिए... कुछ पागल भी हो जाते है... कुछ मर भी जाते हैं... बस थोड़ा आनंद प्राप्ति के लिए कर सकते हैं... #प्राणायाम #कुंडलिनी

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