Sunday 25 September 2016

एक इसरायली को मारने के लिए 107 मुस्लिम

सारे मुसलमानो ने एक एक इसरायली को मारने की कसम खाई हुयी है, अगर जनसंख्या के हिसाब से टीम देखि जाए तो ... एक यहूदी की तुलना में 107 मुसलमान हैं। याने एक यहूदी को मारने के लिए 107 मुस्लमान लगे हैं पर पिट पिटा के आ जाते हैं।

आज दुनिया में तकनीक ने जो लाभ पहुंचाए हैं उनमें सबसे बड़ा योगदान यहूदियों का है। 105 सालों में यहूदियों ने 180 नोबल पुरस्कार लिए हैं जबकि मुस्लिम देशों से सिर्फ तीन ही ने ये हासिल किया है। मुसलमानों के अपने 57 देशों में एक भी ऐसा नहीं है जहां शत-प्रतिशत साक्षरता हो। अधिकतर देशों ने तो 50 प्रतिशत साक्षरता की ऊंचाई को भी नहीं छुआ है, जबकि इस्रायल में शत प्रतिशत लोग पढ़े लिखे हैं।

अमरीका के यहूदी तो इतने धनाढ्य और प्रभावशाली हैं कि अमरीका की 95 प्रतिशत उद्योग यहूदियों के हैं। कार बनाने से लगाकर खनिज तेल के उद्योग में जो रिफाइनरियां तैयार की जाती हैं उन पर यहूदियों का एकाधिकार है। दुनिया में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के 78 प्रतिशत साम्राज्य पर यहूदियों का कब्जा है। मीडिया संबंधी मशीनरी और तंत्र पर भी इन्हीं का एकाधिकार है।

इस्रायल में पानी की तंगी होने के बावजूद वे हर प्रकार के खाद्य पदार्थ तैयार कर लेते हैं। दिलचस्प बात तो यह है कि जब इस्लामी देशों के बीच सैनिक संघर्ष होता है तब इस्लामी देश चोरी छिपे इस्रायल से ही हथियार मंगवाते हैं।
प्रथम और दूसरे विश्वयुद्ध में यदि यहूदियों ने ईसाइयों की सहायता नहीं की होती तो यूरोप मिट्टी में मिल जाता। यहूदियों के सम्मान की बात बहुत देर से ईसाइयों के दिमाग में आई।

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