कश्मीरी पंड़ितों के घाटी से पलायन से पहले वहां उनके 430 मंदिर थे। अब इनमें से मात्र 260 सुरक्षित बचे हैं जिनमें से 170 मंदिर क्षतिग्रस्त है।
1.ज्वालादेवी मंदिर : जम्मू और कश्मीर के कश्मीर की राजधानी श्रीनगर के पुलवामा से करीब 17 किलोमीटर दूर खरेव में माता ज्वालादेवी का मंदिर है। दो वर्ष पहले कट्टरपंथियों ने इस मंदिर में आग लगागर इसे नष्ट कर दिया। अब यह खंडर ही है।
2.खीर भवानी मंदिर : जम्मू और कश्मीर के मध्य कश्मीर के गंदेरबल जिले के तुल्ला मुल्ला गांव में स्थित यह मंदिर कश्मीरी पंडितों की आराध्य रंगन्या देवी का मंदिर है। यहां वार्षिक खीर भवानी महोत्सव मनाया जाता है, लेकिन आतंकवाद के चलते अब यह बंद है। सतयुग में भगवान श्री राम ने अपने निर्वासन के समय इस मंदिर का इस्तेमाल पूजा के स्थान के रूप में किया था।
3.सूर्य मंदिर : कश्मीर के मार्तंड स्थित प्राचीन सूर्य मंदिर लगभग 1400 पुराना है। इस मंदिर का निर्माण महाराजा अशोक के बेटे जलुका ने 200 बीसी में करवाया था जबकि मंदिर के भीतर जो वर्तमान ढांचा है उसका निर्माण किसी अज्ञात हिन्दू श्रद्धालु ने जहांगीर के शासनकाल के दौरान करवाया था। सूर्य की पहली किरण निकलने पर राजा अपनी दिनचर्या की शुरुआत सूर्य मंदिर में पूजा कर चारों दिशाओं में देवताओं का आह्वान करने के बाद करते थे। वर्तमान में खंडहर की शक्ल अख्तियार कर चुके इस मंदिर की ऊंचाई भी अब 20 फुट ही रह गई है।
4.भवानी मंदिर : भारतीय राज्य जम्मू और कश्मीर के कश्मीर में जिला अनंतनाग के लकडिपोरा गांव में स्थित यह भवानी मंदिर की देखरेख अब स्थानीय मुसलमान करते हैं। साल 1990 में कश्मीर में हिंसक आंदोलन शुरू हुआ तो कश्मीर घाटी में रहने वाले लाखों पंडितों को अपने घर-बार छोड़कर जाना पड़ा था। इस गांव से भी हिन्दू पलायन कर गए तो यह मंदिर सूना हो गया।
5.शीतलेश्वर मंदिर : श्रीनगर के हब्बा कदल इलाके में 2000 साल पुराना शीतलेश्वर मंदिर है। लगातार हिंसा के चलते अब यह विरान पड़ा है। हालांकि समय समय पर यहां कश्मीरी पंडित जाते रहते हैं।
6.शंकराचार्य मंदिर : आदि शंकराचार्य ने देश भर में भ्रमण करके ऐसा स्थानों की खोज की जो प्राचीन भारत के गौरवपूर्ण स्थान थे। ऐसे ही प्राचीन महत्वपूर्ण देवस्थलों में शामिल है श्रीनगर का यह प्राचीनतम शिव मंदिर जिसे ज्येष्टेश्वर मंदिर कहा जाता है। अब हालात ये है कि वर्तमान में इसे तख्त-ए- सुलेमान नाम के मुस्लिम नाम से पुकारा जाने लगा है। इस मंदिर का निर्माण राजा संदीमान ने कराया था। उस समय यहां 300 स्वर्ण-रजत प्रतिमाएं थीं। सन् 426 से 365 ईसापूर्व कश्मीर पर गोपादित्या का शासन था।
7.त्रिपुरसुंदरी मंदिर : दक्षिण कश्मीर के देवसर इलाके में त्रिपुरसुंदरी मंदिर को कट्टरपंथियों ने तोड़ दिया। यह मंदिर घाटी के कुलगाम जिले के देवसर क्षेत्र में है।
8.रघुनाथ मंदिर:- जम्मू और कश्मीर के जम्मू में रघुनाथ मंदिर को महाराजा गुलाब सिंह ने 1835 में बनवाया था और बाद में उनके पुत्र महाराजा रणवीरसिंह ने 1860 में इसे पूरा करवाया था। इस मंदिर की आंतरिक सज्जा में सोने की पत्तियों तथा चद्दरों का प्रयोग किया गया है। इस मंदिर में देवी-देवताओं की कलात्मक मूर्तियां दर्शनीय हैं।
9.रणवीरेश्वर मंदिर : जम्मू और कश्मीर के जम्मू में प्रसिद्ध मंदिर ‘रणवीरेश्वर मंदिर’ है जिसकी ऊंचाई के आगे सारी इमारतें छोटी दिखाई पड़ती हैं। महाराजा रणवीर सिंह द्वारा 1883 में बनाया गया यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है तथा पत्थर की पट्टी पर बने प्रहत शिवलिंगों के कारण प्रसिद्ध है।
10.पीर खो : शहर से 3.5 किमी की दूरी पर सर्कुलर रोड पर स्थित यह स्थान एक प्राकृतिक शिवलिंग के कारण प्रसिद्ध है जिसके इतिहास की जानकारी आज भी नहीं मिल पाई है लेकिन लोककथा यह है कि इस लिंगम के सामने स्थित गुफा देश के बाहर किसी अन्य स्थान पर निकलती है।
11.सुद्धमहादेव : जम्मू से 120 किमी की दूरी पर स्थित 1225 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह मनोहारी दृश्यों वाला स्थल प्रत्येक पर्यटक तथा तीर्थयात्री को आकर्षित करता है, क्योंकि भगवान शिव-पार्वती के जीवन से जुड़ी कई कथाओं का यह प्रमुख स्थल रहा है। रहने के लिए स्थान तथा सीधी बस सेवा भी उपलब्ध है।
*लद्दाख के मठ : यदि हम लद्दाख की बात करें तो यहां बौद्ध मंदिर और मठ ही हैं। लद्दाख में लेह महल, लेह महल के पास ही स्थित यह गोम्पा भगवान बुद्ध की डबल स्टोरी मूर्ति के लिए जाना जाता है जिसमें भगवान बुद्ध को बैठी हुई मुद्रा में दिखाया गया है। यह भी शाही मठ है।
IOCL Recruitment 2017
ReplyDeleteONGC Recruitment 2017
KRCL Konkan Railway Recruitment 2017
UPSC CPF AC Recruitment 2017
Mazagon Dock Recruitment 2017