Thursday 17 November 2016

बर्मा में फिर से सैकड़ों मुसलमानों को भून दिया गया

बर्मा में फिर से 130 मुसलमानों को वहाँ की सेना ने मार दिया है। इस पर हायतौबा मचे उससे पहले नोटबंदी में फंसी सरकार को देखना चाहिए कि हमेशा की तरह वहाँ से जान बचाकर भाग रहे सारे मुस्लमान भारत में याने बंगाल में घुसने का प्रयास करेंगे।
बर्मा में बहुत पहले ही मुस्लिमों को घुसपैठिया करार दिया जा चूका है। सरकार के ही तरफ से आदेश है कि मुसलमानों को देखते ही गोली मार दो या खदेड़ कर भगाओ लेकिन देश में रहने मत दो।

शायद ही किसी को विश्वास हो या जो दुनिया में कोई देश फैसला नहीं ले सकता वो सब बर्मा में लिया जाता है क्योंकि बौद्ध सन्त विराथु ने बहुत बड़ा अभियान चलाया था जिसने सरकार को कट्टरता अपनाने पर मजबूर कर दिया। विराथु जी सरकार को ये समझाने में सफल हुए कि मुस्लिम हैं तो देश में समस्या रहेगी।

इस बात का असर हुआ और सरकार ने मुसलमानों की नागरिकता ही समाप्त कर दी। किसी मुस्लमान के बच्चे को स्कूल में पढ़ने या घुसने की इजाजत तक नहीं है। सारे मस्जिदों को तोड़ कर धूल धूसरित कर दिया गया। किसी भी मुस्लिम को वापिस उस मस्जिद की मरम्मत की इजाजत नहीं थी।

मरम्मत की बात तो दूर है उनको आदेश दिया गया कि देश छोड़ कर अपना रास्ता नाप लें। इसके लिए सरकार ने किसी और को नहीं बल्कि सेना को ही आदेश दे डाला कि मुस्लिम को देश से निकालो। नतीजा बहुत बड़े पैमाने पर मुसलमानों को मारा गया। भगाया गया। समंदर के रास्ते भागते सारे मुसलमानों की फोटो दुनिया भर में देखि गयी। आधे समंदर में ही मर गए। ना जाने कितने जंगल से भागते हुए मारे गए। और कितनो को सेना ने ही मार दिया , बाकी को कट्टर बौद्ध संगठनों ने हमला करके मार डाला।

दुनिया भर में ये शायद पहली बार हुआ कि मुस्लिम समाज पर वो तरीका अपनाया गया जो खुद मुस्लिम दूसरे धर्म के लोगों के साथ करते हैं। जब खुद पर बीती तो हाय तौबा मच गयी। यूएन से लेकर सारे मानवाधिकार संगठन खड़े हो गए पर बर्मा अपने फैसले पर कायम रहा।

इसके पीछे बड़ी लंबी कहानी है। बिलकुल वैसी ही जैसी भारत की है, जैसे यहां कश्मीर में होता है, बंगाल में होता है या जैसे देश का विभाजन करवा दिया, ये लोग पुरे बर्मा के लिए आफत बने हुए थे, देश में वहाँ भी विभाजन की बात आ गयी थी, मुस्लिम ने अराकान प्रांत जो अलग करने घोषणा ही कर दी थी लेकिन खेल पलट गया, अचानक कड़े फैसले ले लिए गए, सेना को छूट दे दी गयी... सीधी बात थी कि मार डालो।

आज बर्मा में मुस्लिम खोजे से नहीं मिलेंगे। या तो सीमा के बाहर शिविर में रुकते हैं या भाग कर बंगाल में घुसते हैं या कहीं और देश में चले जाते हैं। आज फिर न्यूज़ आ रही है कि 130 मुसलमानों को सेना ने भून डाला है। ये वो लोग है जो सीमा के बाहर से बार बार घुसने का प्रयास करते रहते हैं। अब वो भारत तो है नहीं, मारे जाते हैं।

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