राहुल गांधी जी एक जगह भाषण दे रहे थे.. माइक पर चिल्ला रहे थे ..
"भाइयों.. बताइये.. जेल से अपराधी भाग जाते हैं, तो क्या उनको मार दिया जायेगा ? अगर उनको पकड़ा जा सकता है तो क्यों मारा जाये ? बताइये.. ये कैसी मोदीजी की सरकार... ?
(तभी स्टेज पर एक पुलिस वाला आ गया... राहुल जी के कान में बोला...)
"सर बगल के जेल से 8 खूंखार आतंकवादी भाग गए हैं और इधर ही आये हैं .. ऐसा अंदेशा है "
राहुल गांधी की घिग्घी बंध गयी...
"क... क्या ?... ऐसा कैसे ? जेल तो यहां से 4 किलोमीटर दूर है तो वो लोग यहाँ तक कैसे आ गये ? मार देना चाहिए था ना.... मम्मी.... "
"नहीं सर वो हमलोग जेल से ही पीछा कर रहे थे... हमलोगों ने सोचा कि मार दें ... फिर सोचा आपलोग ही तो..."
"अरे .. यार मरवाएगा तू तो.. अब जान फंस गयी ना, राजनीती अलग चीज होती है यार.. चलो जल्दी से मेरे चारों तरफ घेरा बनाओ और जल्दी से मुझे मेरे घर पहुंचा दो.... भाषण वाशन बाद में.. जान बची तो लाखों पाए... "
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