आज एक भयंकर सेक्युलर दोस्त घर आ गया...
वो बार बार अब्दुल कलाम , अशफाकुल्ला, हमीद आदि की दुहाई दे रहा था... इसने कहा ..
"आखिर कुछ लोग जो अच्छे हैं उनको बाकी गलत मुसलमानों की वजह से तकलीफ क्यों हो ? "
मैंने कहा..
"भई तो जिसके बारे में आप कह रहे हो वो तो आलरेडी मर चुके हैं.. वर्तमान के किसी ऐसे मुस्लिम के बारे में बताओ.."
"वो.. वो.. होगा ही ।। कहीं ना कहीं होगा कोई.. लेकिन कुछ एक दो तो अच्छे हैं ना यार"
"अच्छा तो उस एक दो के चक्कर में बाकि करोडो बुरे लोगों को बर्दाश्त करें..? इस एक दो के चक्कर में बाकियों के हाथों क़त्ल हो जाएं, क्योंकि ये तो बचाएंगे नहीं.. ?
"अरे नहीं.. देखो आपकी बात ठीक है लेकिन एक दो लोग अच्छे भी हैं यार.. "
(दोस्तों इस बीच मैंने उसे अपने यहां खाने पर बुलाया था.. दाल बन चूका था.. एक डब्बे में चावल बहुत समय से रखा था.. उसको निकाला तो देखा कीड़े लगे हुए है.. रंग भी बदल गया था, सड़ गए थे.. )
मैंने वो चावल का डब्बा उतारा और उस दोस्त को दे दिया... और कहा..
"भई ये चावल है ढेर सारा.. इसका बनाओगे क्या चावल आज "?
उसने देखा तो मुझे कहा..
"पागल हो क्या.. ये क्या है सबके सब सड़े हुए, कीड़े लगे.. "
"अरे तो क्या हुआ भाई.. ध्यान से देखो ना उसमे एक दो चावल के दाने में कीड़े नहीं लगा है, साफ़ है.. चढ़ा दो सबको..."
"अबे यार.. एक दो चावल के अच्छे होने से ये चावल खाने लायक नहीं हो जाएगा ना. ये सारा ही घर से बाहर फेंकना पड़ेगा.. ये अच्छे वाले 10 दाने का चावल नहीं बन सकता... समझे..."
मैंने धीरे से कहा..
" वही तो कह रहा हूँ.. समझे .... ?"
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