Sunday 24 July 2016

क्या सचमुच टाइम मशीन है ?

टाइम मशीन का सम्बन्ध गति से है। भारत में ऐसे कई साधु-संत हुए हैं, जो आंख बंद कर अतीत और भविष्य में झांक लेते थे। पौराणिक कथाओं अनुसार देवी-देवता एक ग्रह से दूसरे ग्रह और एक समय से दूसरे समय में चले जाते थे। इंग्लैंड के मशहूर लेखक हर्बट जार्ज वेल्स ने 1895 में 'द टाइम मशीन' नामक एक उपन्यास प्रकाशित किया, तो समूचे योरप में तहलका मच गया। इस उपन्यास में वेल्स ने 'टाइम मशीन' की अद्भुत कल्पना की। इसके बाद तो ना जाने कितने कॉमिक में और फिल्मों में ये प्रयोग किया गया। यहां भी क्रिस में ऋतिक रोशन की फ़िल्म में यह कथा लिखी गयी।

टाइम मशीन अभी एक कल्पना है। टाइम ट्रेवल और टाइम मशीन, यह एक ऐसे उपकरण की कल्पना है जिसमें बैठकर कोई भी मनुष्य भूतकाल या भविष्य के किसी भी समय में सशरीर अपनी पूरी मानसिक और शारीरिक क्षमताओं के साथ जा सकता है। अधिकतर वैज्ञानिक मानते हैं कि यह कल्पना ही रहेगी कभी हकीकत नहीं बन सकती, क्योंकि यह अतार्किक बात है कि कोई कैसे अतीत में या भविष्य में जाकर अतीत या भविष्य के सच को जान कर उसे बदल दे। जैसे कोई भविष्य में से आकर आपसे कहे कि वह आपका पोता है या अतीत में से आकर कहे कि वह आपका परदादा है, जो यह संभव नहीं है।

वैज्ञानिक कहते हैं कि दरअसल, जो घटना घट चुकी है उसका दृश्य और साउंड ब्रह्मांड में मौजूद जरूर रहेगा। जिस तरह आप एक फिल्म देखते हैं उसी तरह वह टाइम मशीन के द्वारा दिखाई देगा। आप उसमें कुछ भी बदलाव नहीं कर सकते। यदि ऐसा करने गए तो वह पार्टिकल्स बिखरकर और अस्पष्‍ट हो जाएंगे।

प्राचीनकाल में सनतकुमार, नारद, अश्‍विन कुमार आदि कई हिन्दू देवता टाइम ट्रैवल करते थे। टाइम मशीन की कल्पना भी भारतीय धर्मग्रंथों से प्रेरित है। आप सोचेंगे कैसे? वेद और पुराणों में ऐसी कई घटनाओं का जिक्र है। उदाहरणार्थ रेवत नाम का एक राजा ब्रह्मा के पास मिलने ब्रह्मलोक गया और जब वह धरती पर पुन: लौटा तो यहां एक चार युग बीत चुके थे। रेवती के पिता रेवत अपनी पुत्री को लेकर ब्रह्मा के पास योग्य वर की तलाश में गए थे। ब्रह्मा के लोक में उस समय हाहा, हूहू नामक दो गंधर्व गान प्रस्तुत कर रहे थे। गान समाप्त होने के उपरांत रेवत ने ब्रह्मा से पूछा अपनी पुत्री के वरों के बारे में।

ब्रह्मा ने कहा, 'यह गान जो तुम्हें अल्पकालिक लगा, वह चतुर्युग तक चला। जिन वरों की तुम चर्चा कर रहे हो, उनके पुत्र-पौत्र भी अब जीवित नहीं हैं। अब तुम धरती पर जाओ और शेषनाग के साथ इसका पाणिग्रहण कर दो जो वह बलराम के रूप में अवतरित हैं।' अब सवाल यह उठता है कि कोई व्यक्ति चार युग तक कैसे जी सकता है? कुछ ऋषि और मुनि सतयुग में भी थे, त्रेता में भी थे और द्वापर में भी। इसका यह मतलब कि क्या वे टाइम ट्रैवल करके पुन: धरती पर समय समय पर लौट आते थे?

इसका जवाब है कि हमारी समय की अवधारणा धरती के मान से है लेकिन जैसे ही हम अंतरिक्ष में जाते हैं, समय बदल जाता है। जो व्यक्ति ब्रह्मलोक होकर लौटा उसके लिए तो उसके मान से 1 वर्ष ही लगा। लेकिन अंतरिक्ष के उक्त 1 वर्ष में धरती पर एक युग बीत गया, बुध ग्रह पर तो 4 युग बीत गए होंगे, क्योंकि बुध ग्रह का 1 वर्ष तो 88 दिनों का ही होता है। क्रमशः ..

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