Friday 29 July 2016

मैं विश्व विधाता हूँ। मैं ही हिंदुस्तान हूँ।।

मैं हिन्दुस्तान हूं। मैं विश्व विधाता हूं। मैंने जो दिया है, उसे दुनिया ने माना है। गिनती मैंने शुरू की। शून्य का महत्व मैंने समझाया। गणित मैंने दिया। ज्योतिष मेरे दिमाग की उपज है। दुनिया को सभ्यता मैंने दी। खगोल को मैने जाना।

मैं हिमालय की तरह सिर उठाकर दुनिया में आज भी खड़ा हूं। अर्थशास्त्र मैंने दिया। कोटल्य मैं हूं। चंद्रगुप्त और अशोक मेरे ही पुत्र रहे। गौतम बुद्ध महावीर स्वामी भी मैं ही हूं और मनु भी मैं ही हूं। मैंने चार्वाक पैदा किया, तो मैंने शंकराचार्य को जन्म दिया। विश्व धर्म मैंने सिखाया। मैं चिरंतन हूं। धर्म हूं। भूतकाल मेरा ही रहा, भविष्य मेरे हाथ में होगा। मेरे पास अपार संप्रभुता है। ज्ञान है। विवेक है। भावना है। सहिष्णु भी मैं ही हूं और नटराज भी मैं ही हूं। ब्रह्म ज्ञान मेरा है। मैं ब्रह्मास्मि हूं। मेरे पुत्रों की संख्या असंख्य है। विश्व मेरा है। सभी मेरे अंश हैं। राम, कृष्ण ने मेरे हृदय स्थल पर लीलाएं कीं। महादेव मेरा है। विष्णु का मैं ही अवतार हूं। मेरे प्रिय पुत्र ऋषि, महर्षि, मुनि, ज्ञानी, संत हैं।
मैं धन धान्य से परिपूर्ण हूं। मेरी व्यवस्था को दुनिया ने माना है। मेरा लक्ष्य है चरैवेति चरैवेति। सनातन। सत्य की विजय होगी। सब कुछ ठंडा हो जाएगा। पृथ्वी आग का गोला थी। ठंडी हुई। जीव पैदा हुआ। आत्मा ने प्रवेश किया। पंचतत्व मैं ही हूं। विलीन मेरी सतत प्रक्रिया है। प्रकाश भी मैं ही हूं और अंधकार पर मेरा ही साम्राज्य है। इसीलिए गुणीजनो सुनो दुनिया और भारत की कहानी।

विष्णुगुप्त, चाणक्य, कोटल्य मेरे ही नाम हैं। मैं तुम्हें जो देकर जा रहा हूं उसी लकीर पर दुनिया चलेगी। इस धरती पर जो वेद, पुराण, उपनिषद, वेदांग, स्मृतियां समय की जनित कृतियां हैं। जनश्रुति, स्मृतियां हैं। लिखित में इतिहास हूं। मैं तुम्हारे सामने हूं। मेरे शरीर पर अनगिनत घाव हैं। फिर भी मैं निष्चल खड़ा हूं। मैं हिमालय की तरह अटल हूं।

मेरा पुत्र कोटल्य जिसका पराक्रम दुनिया ने माना है। सर्वसत्ता केलिए युद्ध अनिवार्य है। विश्व में युद्ध हुए, व्यवस्था के लिए। मानव सभ्तयता को स्थापित करने लिए मेरी नीति, कूटनीति कहलाई। मैं सहिष्णु हूं, परंतु जरूरत पर शमशीर उठाई और मैं विजयी हुआ हूं। मैंने ही हमेशा सभ्य समाज की स्थापना के प्रयत्न किए हैं।

मेरा कोई सानी नहीं। मैं भोर में जागता हूं। मेरे मंदिरों में घणियाल बजते हैं।  दुनिया को अज्ञान केघोर अंधकार से ज्ञान रूपी प्रकाश मैं ही लाया। ज्ञान, विज्ञान, मनोविज्ञान, ज्योतिष, खगोल को मैंने ही खोजा है। मैं अजेय हूं। अमर हूं। सनातन हूं। मैं हिन्दुस्तान हूं।
(03 दिसम्बर 2014 की पोस्ट)

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