आज जाकिर नाईक के पीस टीवी में काम कर चुके एक मुस्लिम शख्श को ज़ी न्यूज़ पर दिखाया गया। वो जाकिर नाईक की खूब बुराई कर रहा था, अच्छी बात थी लेकिन हमेशा एक बात जरूर कहता,
"धर्म के नाम पर जो लोग गलत करते हैं वो गलत है चाहे वो हिन्दू हो या मुस्लिम "
अच्छा लगता है ना सुनकर ? ?
आप सबने ये डायलाग हज़ार बार किसी ना किसी के मुंह से सुना होगा, चाहे क़ो कांग्रेसी हो या आपिया या भाजपाई या कोई भी टीवी एंकर।
इसी तरह से हमेशा अलग अलग अंदाज में यह कहा जाता है ...
कुछ दिन पहले शरद यादव या किसी कांग्रेसी ने कहा..
"आतंकवाद गलत है, धर्म के नाम पर गलत नहीं करना चाहिए चाहे वो हिन्दू हो मुस्लिम "
भाइयों सच पूछो तो मेरा खून खौलता है, ये कमीने जानबूझकर हर वाक्य में मुस्लिम के साथ 'हिन्दू' शब्द जोड़ना नहीं भूलते। अब डिबेट वो पूर्व कार्यरत प्रोड्यूसर बात करने आया है जाकिर नाईक की..... जाकिर कार्य करता है इस्लाम के लिए, उसकी सभा में आते हैं मुस्लिम... अरबों रुपये के चंदे आते है इस्लामिक राष्ट्र से... उसके भाषण से आतंकी बनते हैं वो हैं मुस्लिम........ अब इसमें हिन्दू... हिन्दू क्यों घुसेड़ रहे हो सालों..... ??
ऐसे ही टीवी एंकर या नेता बातें करेंगे बगदादी की, ओसामा की, जाकिर की, आतंकवाद की पर बात बात में 'हिन्दू' शब्द चालाकी से लगाना नहीं भूलेंगे.... आखिर क्यों ?
1. पहला तो ये कि वो इंसान सेक्युलर का तमगा पा जाता है।
2. दूसरे कि मुस्लिम को लगता है कि "ओह ये इस्लाम के खिलाफ नहीं है क्योंकि ये तो हिन्दू का भी नाम ले रहा है।
3. तीसरा बड़ी आसानी से हिंदुओं की कौम को ऐसे घृणित अपराधों में जोड़ने में सफलता मिल जाती है।
4. चौथा ऐसा सुन कर आधे से ज्यादा भोले और बेवकूफ हिंदुओं में अपनी कौम के प्रति ग्लानि और गलत भावना जमती है
5. पांचवां हिंदुओं को शामिल कर लेने से हिंदुओं का आक्रामक रवैय्या ठंडा पड़ा रहता है क्योंकि उसे लगता है कि हम किस मुंह से कुछ बोलें जबकि हमारे भी लोग ऐसे गलत कार्य करते हैं।
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