Monday 4 July 2016

योग प्राणायाम के रहते भी मरेंगे।

मेरे एक शादीशुदा दोस्त हैं। उनकी अर्धांगिनी को आजकल की एक प्रसिद्द बीमारी हो गयी जिसका नाम है हार्ट ब्लॉकेज। इसमें फेफड़े के ब्लॉक्स अवरुद्ध हो जाते हैं। पहले लोक्अल डॉक्टर्स ने इलाज किया फिर आखिर में इसका वही इलाज का विकल्प सामने आया जो हर मरीज करवाता है याने दिल्ली कोलकाता बैंगलोर आदि जगह जाकर मशीनों के द्वारा ब्लॉकेज को खुलवाना। भाई साहब गए आज से कई साल पहले, लाखों रुपये का खर्च आया, कर्जे उधार भी खूब हुए। अब इस इलाज के लिए हर साल जाना पड़ता है। ट्रेन बुकिंग होती है, 15 -20 दिनों की छुट्टी ली जाती है।

खैर अब फिर फ्लैशबैक में चलते हैं जब पहली बार हार्ट ब्लॉकेज का पता चला था, मैं उनके घर गया हुआ था, मैंने राय दी, आप पत्नी का प्राणायाम करवाओ, ख़ास कर अनुलोम विलोम ठीक हो जाएगा। उन्होंने सुना भी और इंटरेस्ट लेकर जाना भी, मैंने करके बताया भी पर ये करना याने पत्नी से करवा पाना उनको पार ना लगा। नतीजा आजतक लाखों रुपये फूंक रहे हैं, अभी फिर बंगलौर गए हैं।

इसके बाद ऐसी कई घटनाएं हुयी जब मेरे बतायेनुसार करके कोई बीमारी दूर कर सकता था पर उसने नहीं किया तब मैंने जीवन की एक सच्चाई स्वीकार की, कि जिसकी नियति में जो है वही होता है। जिस किसी को जिस बीमारी से दुःख भोगना या मरना लिखा है वो वैसा ही होगा।

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