Friday 13 November 2015

बॉलीवुड में एडिटर्स के ऊपर चैनल और निर्माताओं का अत्याचार

बॉलीवुड जितना पैसे वाला इंडस्ट्री दीखता है वैसा वो सभी के लिए है नहीं .. यहां कुछ लोग ही पैसे कमाते है और कुछ ही समय में जमीन से आसमान तक पैसो की सीढ़ी बना लेते हैं..
जबकि इसमें सबसे ज्यादा मेहनत और सबसे महत्वपूर्ण कार्य करने वाले एडिटर्स की हालात सबसे ज्यादा खराब है..

शूट होने के बाद स्क्रिप्ट के अनुसार निर्देशक की सोच से भी ज्यादा बेहतर बनाने का कार्य एडिटर का होता है...

आपको आस्चर्य होगा .. या कहिये दुनिया इस बात से अनजान है कि इतना महत्वपूर्ण काम करने वाले एडिटर्स की हालात प्रोड्यूसर और चैनल वालों ने नरक से भी बदतर बना के रखी है..

अभी इंडिस्ट्री में हरेक लोगों के लिए एक संगठन है जो उनके हक़ के लिए आवाज उठाता है लेकिन एडिटर्स के जो भी संगठन है वो सिर्फ अपनी जेब भरने के लिए संगठन चलाते हैं भले ही एडिटर्स मरता रहे...
क्या ऐसा होता है कि कोई इंसान लगातार 30 घण्टो तक आँखों पर पानी मार मार के जागता रहे और काम करे ..... और वो भी हमेशा.. ?
क्या ऐसा होता है कि इतना महत्वपूर्ण और जान लगा के काम करने वाले को  मामूली रकम दिया जाए जिससे वो 1000 रुपये भी बचा पाने में असमर्थ हो ?

दो बार हाल फ़िलहाल में एडिटर्स को हड़ताल के लिए संगठन ने बुलाया जिसमे एडिटर्स ने पूरी तरह भाग लिया और सारे स्टूडियो ठप पड़ गए .. शूट होने के बावजूद सारे कार्य बंद हो गए .. तब प्रोड्यूसर और चैनल प्रोड्यूसर ने आगे आकर झूठे वादे करके हड़ताल तुड़वा दिया क्योंकि करोडो अरबों रुपये के टीवी सीरियल की इंडस्ट्री बंद होने के कगार पर आ गयी थी..

ये इसलिए भी होता है क्योंकि एडिटर्स के एसोसिएशन बहुत चालाक नहीं है या शायद बहुत ईमानदार नहीं है .. और चार पांच संगठन है उनमे आपस में सही तालमेल नहीं है.. कुछ सन्गठन है जो भीतरघात भी करते हैं जिनको एडिटर्स की समस्याओ से मतलब नहीं है ...
हालाँकि शिवसेना और मनसे जैसे दबंग संगठन भी एडिटर्स का प्रतिनिधित्व करते हैं पर बावजूद इसके ये लोग उदासीन है।

फ़िलहाल क्या होगा आगे ... पता नहीं...तबतक एडिटर्स की जिंदगी बेहाल रहने वाली है।

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