Friday 13 November 2015

क्या दलित देशद्रोही हो गए हैं ?

मुस्लिम और दलितों में क्या समानता है ?

**दुर्भाग्य से दोनों ही अपनी आबादी बढ़ाने में विश्वास रखते हैं ...

**दोनों का एक ही झूठ है कि दोनों को पूर्व में सताया गया है इसलिए हिंदुओं से बदला लेना है ..

**दोनों में देशभक्ति की जगह सिर्फ अपना फायदा देखने की प्रवृत्ति है..

**दोनों ही भारत को भ्रष्ट और सबसे ख़राब नेता देने में अपना योगदान करते रहे हैं जो आज भी जारी है...

**अगर मुस्लिम जिहाद के तहत हिंदुओं को मिटाना चाहते हैं तो दलित बुद्ध या अम्बेडकर के नाम पर हिंदुओं को मिटाना ही अपना लक्ष्य बना चुके हैं ...

**मुस्लिम आतंकी संगठन के जरिये कत्लेआम करते है तो दलित ...नक्सली सन्गठन के जरिये कत्लेआम अंजाम देते हैं।

**मुस्लिम कितना भी पढ़ लिख ले आप इनको अच्छी बातें नहीं समझा सकते और बिलकुल यही बात दलितों के साथ भी है। भैंस के आगे बीन बजाना यही है।

**दोनों ही आरक्षण और लोन आदि के माध्यम से देश को लूटना ही अपना अधिकार समझते हैं।

**दोनों ही के पास एक भी अच्छा नेता नहीं है..दोनों की तरफ से जो भी नेता पैदा लेते हैं वो भारतीय संस्कृति का और हिंदुओं का दुश्मन ही होता है।

ये भी दुर्भाग्य है कि सच्चे देशभक्त हिंदूवादी की जनसंख्या अब इतनी कम हो चुकी है कि किसी अच्छे नेता को सत्ता में लाना उनके हाथ में नहीं रह गया है।
(हो सकता है एक हज़ार में एक दलित अच्छा हो लेकिन उससे कोई फायदा नहीं इसलिए उसकी बात करना बेकार है)

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