एक गलत धारणा फैलाई गई कि महाभारत को घर में रखने से गृहकलह होता है। यह गलत धारणा मध्यकाल में फैलाई गई। गीता तो महाभारत का एक हिस्सा है। यदि गीता को पढ़ना है तो महाभारत में से पढ़ना चाहिए।
वेद व्यासजी ने महाभारत को लिखा था।
महाभारत में 1 लाख श्लोक हैं। इन 1 लाख श्लोकों को 100 पर्वों में बांटा गया था। इस ग्रंथ का रचना काल 3100 ईसा पूर्व के लगभग माना जाता है। वेद व्यास के कहने पर शिष्ट वैशम्पायनजी ने इस ग्रंथ को जन्मजेय के यज्ञ समारोह में सुनाया था, तब इस ग्रंथ को 'भारत' कहते थे।
वेद व्यास ने जब इस ग्रंथ को लिखा था, तब इसका नाम 'जय महाकाव्य' रखा था। वेद व्यासजी के कहने से उनके शिष्य वैशम्पायनजी द्वारा जन्मेजय यज्ञ समारोह में इस जय महाकाव्य को ऋषि-मुनियों को सुनाया गया, तब इसे 'भारत' कहा जाने लगा।
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