असीमानंद का नाम लेकर (जिसपर आरोप साबित नहीं).... या दादरी के गौभक्षक अखलाख वाली एक दो घटना का नाम लेकर अगर ....
"हिन्दू आतंकवाद"....."हिन्दू तालिबान" जैसे शब्द गढ़े जा सकते हैं...
तो....
देश विभाजन के समय के दंगे से शुरू हुए अबतक के हज़ारो हज़ार दंगे में...
मुम्बई बम ब्लास्ट के समय में...
कश्मीर..आसाम..बंगाल के भयंकर नरसंहार में...
देश के अंदर हुए कई बम ब्लास्टों में...
और लाखों लोगो के याकूब मेमन..जैसे आतंकियों के शवयात्रा में ...
भाग लेने पर.... भी हमेशा ये कुछ " भटके हुए मुसलमानो" का कार्य ही क्यों रह जाता है ? क्या याकूब मेमन के शवयात्रा में भटक भटक के लाखों लोग कब्रिस्तान तक पहुच गए थे?
आखिर इसे कब " मुस्लिम आतंकवाद" कहा जाएगा जो हर तरह से साबित हो चूका है ?
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