Monday 24 October 2016

दुनिया की खतरनाक खुफिया एजेंसियों के बारे में

किसी देश की आंतरिक व बाह्य सुरक्षा की सामरिक रणनीति बनाने में खुफिया एजेंसियों का बड़ा हाथ होता है। एक नजर दुनिया की शीर्ष खुफिया एजेंसियों पर-
1. सीआईए, अमेरिका :
दुनिया की सबसे चर्चित और सबसे ताकतवर खुफिया एजेंसियों में शीर्ष पर। स्रोत, संसाधन व अधिकार के लिहाज से बाकी सबसे बहुत आगे। सीआईए की आलोचना इसी बात के लिए भी होती है कि वह सोवियत संघ के पतन का अनुमान नहीं लगा पाई। इसी तरह अमेरिका में 11 सितंबर 2004 के हमलों का कोई पूर्वानुमान नहीं लगा पाई।

2. एसवीआर (तत्कालीन केजीबी), रूस :
सीआईए की बात हो तो केजीबी की बात करना लाजिमी हो ही जाता है। शीतयुद्ध का पूरा दौर इन दो खुफिया एजेंसियों के बीच शह-मात, एजेंट व डबल-एजेंट के खेल के किस्मों से भरा है। ये किस्से कई जासूसी उपन्यासों, फिल्मों और किंवंदतियों के कथानक भी बने।
इसका शुरुआती दौर कामयाबियों से भरा था, चाहे वह एटम बम के बारे में पहले से जानकारी होने का हो या कम्युनिस्ट विरोधियों से पार पाने का। भारत से इसका बहुत करीबी संबंध रहा है। पूर्व राष्ट्रपति और मौजूदा प्रधानमंत्री ब्लादिमीर पुतिन भी केजीबी में काम कर चुके हैं। एसवीआर के पूर्व प्रमुख सर्गेई लेबेदेव ने एक बार कहा था कि इस ग्रह पर कोई ऐसी जगह नहीं है, जहाँ केजीबी पहुँची न हो।

3. एमआई 6, ब्रिटेन 
एमआई 6 ब्रिटेन की विदेशी मामलों की खुफिया एजेंसी है, लेकिन ब्रिटेन में एक ज्वॉइंट इंटेलिजेंस कमिटी (जेआईसी) है जिसके तहत एमआई 6, सिक्योरिटी सर्विस यानी एमआई 5, गवर्नमेंट कम्युनिकेशन हेडक्वार्टर्स (जीसीएचक्यू) और डिफेंस इंटेलिजेंस स्टाफ (डीआईएस) आते हैं। एमआई 6 को मौजूदा दौर की सबसे कुशल खुफिया एजेंसियों में से माना जाता है।
जेम्स बॉण्ड की फिल्में नकली ही सही, लेकिन ब्रिटेन में खुफिया तंत्र की कई कहानियाँ कहती रहीं।
सद्दाम हुसैन के इराक में व्यापक जनसंहार के हथियारों के भंडार होने की जानकारी एमआई 6 की सबसे शर्मनाक नाकामयाबियों में से रही।

4. मोसाद, इसराइल : 
मौजूदा दौर की सबसे कुशल खुफिया एजेंसियों में से एक मोसाद को माना जा सकता है। इसके खाते में भी कामयाबी के कई किस्से जुड़े हैं। बहुत ही क्रूरता से अपनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए मोसाद कुख्यात है।

म्युनिख में 1972 के ओलिम्पिक खेलों में इसराइली एथलीटों की हत्या के बदले में उसने पीएलओ के कई लोगों को पकड़ लिया था। इसके अलावा 1967 में छह दिन के युद्ध से ठीक पहले मिग-21 हासिल करना और फ्रांस से सौदे में खटास पैदा हो जाने के बाद मिराज 5 विमानों की योजना को चुरा लेना इसकी कामयाबियों में शुमार है।
राजनैतिक हत्याओं में उसे महारत हासिल रही है। 

5. चीन की खुफिया एजेंसी : 
पिछले दो दशकों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेजी से उभरी है। इसकी खासियत यह है कि जितनी बारीकी से यह अपने देश के नागरिकों की हर गतिविधि का रिकॉर्ड रखती है, उतना ही मजबूत तंत्र इसका विदेशों में भी है।
चीन की खुफिया एजेंसी के स्लिपर सेल (आम लोगों में अपना असली स्वरूप छिपाकर रहने वाले) दुनिया के कोने-कोने में फैले हुए हैं।

6. डीजीएसई, फ्रांस : 
फ्रांस की इस खुफिया एजेंसी का नाम व चेहरा-मोहरा बाकी चार एजेंसियों जितना प्रभावशाली नहीं रहा। दुनिया में बहुत लोग उसके बारे में इतना जानते नहीं होंगे, लेकिन उसके खाते में कामयाबियाँ कम नहीं हैं। यह वहाँ के रक्षा मंत्रालय के अधीन काम करती है। यही वह एजेंसी है जिसने 1973 के अरब-इसराइल युद्ध के बारे में पूर्व जानकारी सबसे पहले दे दी थी। 1979 में अफगानिस्तान पर सोवियत हमले की जानकारी भी सबसे पहले इसी एजेंसी ने दी थी।
भारत को 43 मिराज 2000 लड़ाकू विमान बेचने में भी इस एजेंसी का बड़ा रोल रहा। प्रशांत महासागर में 1985 में फ्रांस के परमाणु परीक्षण के खिलाफ ग्रीन पीस के विरोध को रोकने की कोशिश में इस एजेंसी ने ऑकलैंड में रैनबो वॉरियर जहाज को डुबो दिया।

7. आईएसआई, पाकिस्तान :
पाकिस्तानी इंटेलीजेंस एजेंसी आईएसआई (इंटर-सर्विसेस-इंटेलीजेंस) दुनिया की नंबर एक खुफिया एजेंसी है। अमेरिकी मीडिया क्राइम न्यूज ने 1948 में स्थापित आईएसआई को दुनिया की बेहतरीन और सबसे ताकतवर खुफिया एजेंसी माना है। इसका मुख्यालय इस्लामाबाद के शहराह ए सोहरावर्दी में है। हालांकि, आईएसआई पर आए दिन आतंकवाद को बढ़ावा देने के आरोप लगते रहे हैं। भारत में हुए कई आतंकी हमलों में आईएसआई के एजेंट्स का हाथ बताया जा रहा है। इसकी एक ताकत जिहादी आतंकी भी भी हैं और पूरे देश का इस्लाम भक्ति भी है। अब अपने मकसद को पूरा करने के लिए आतंकियों का इस्तेमाल कितना सही है और कितना गलत ये तो हम नहीं जानते।

8. रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW), भारत
भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) को दुनिया की छठवें नंबर की सबसे ताकतवर खुफिया एजेंसी माना गया है। इसकी स्थापना 1968 में की गई थी, जिसका मुख्यालय दिल्ली में है। इस एजेंसी की खासियत यह है कि भारत के प्रधानमंत्री के अलावा किसी के प्रति जवाबदेह नहीं है। रॉ विदेशी मामलों, अपराधियों, आतंकियों के बारे में पूरी जानकारी रखती है। इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) भी देश की सुरक्षा के लिए काम करती है। इन दोनों एजेंसियों ने मिलकर कई बड़े आतंकी हमलों को नाकाम किया है। मात्र तीन वर्षों में ही एजेंसी ने एक नए राष्ट्र (बांग्लादेश) के गठन में अहम भूमिका निभाई। भारत ने 1962 में हुए भारत-चीन युद्ध से कई सबक सीखे। इसी की जानकारी के आधार पर, नौसेना कमांडो ने चटगांव बंदरगाह पर मौजूद पाकिस्तान के जहाजों को उड़ा दिया था।
इधर के 30 सालों में इसे शायद कमजोर कर दिया गया।

No comments:

Post a Comment