Wednesday 26 October 2016

बाबा रामदेव पर राजीव दीक्षित की हत्या का इल्जाम एक षड्यंत्र

किसी को बुरा लगे तो लगे पर मैं साफ़ बोलता हूं, राजीव दीक्षित की मौत का इल्जाम लगाने का कार्य तब शुरू हुआ जब बाबा रामदेव की संपत्ति से उनको आशानुरूप करोड़ों रुपये नहीं मिले। राजीव जी के साथ एक टोली थी जो बाबा के नजदीक जाने पर बाबा जैसे साम्राज्य के सपने देखने लगे... या बाबा की संपत्ति में हाथ मारने को सोचने लगे, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। नतीजा आखिरी चाल चली गयी बाबा को ब्लैकमेल करने का।
इसके लिए कुछ कुतर्क पेश किये गए... जहर दिया गया.. पोस्टमार्टम बाबा ने नहीं करने दिया...  बाबा का धंधा चौपट हो जाता. .. मौत के बाद राजीव भाई के चेहरे पर ज्यादा लाइट देकर चमकाया गया आदि आदि.. सब बेवकूफाना तर्क।।

1.राजीव भाई की मृत्यु जब हुयी तब चेहरे पर ऐसा कुछ नहीं था।
2.जहर दिया होगा तो उसी ने दिया होगा जो आज बाबा पर इल्जाम लगा रहे हैं क्योंकि उस वक़्त वही साथ थे।
3.मृत्यु के समय राजीव जी बाबा से सैकड़ों किलोमीटर दूर दूसरे राज्य में थे।
4.बाबा को राजीव भाई से क्या खतरा? यही ना कि colgate नहीं बिकता या शैम्पू ? ये कुछ प्रोडक्ट से क्या फर्क पड़ता ? जितनी मार्किट में colgate है उससे अच्छा तो है ही, क्या सारे लोग पाउडर फॉर्म में colgate का प्रयोग करते ? कभी नहीं।।
5. उनकी लाश को सैकड़ो किलोमीटर दुरी तय करवा के हरिद्वार लाया गया, तो इतने लंबे समय के बाद क्या लाश के शरीर में चेहरे और होंठ का रंग नहीं बदलेगा ?
6. पोस्टमार्टम करने से रोका ये सिर्फ इल्जाम है। ये सब बाद में तरीके खोजे गए "शक" का पौधा लगाने के लिए।
7. बाबा रामदेव का अपना प्रभा मंडल है. . राजीव जी आगमन के पहले ही बाबा दुनिया भर में लोकप्रिय हो चुके थे, घर घर में योग हो रहा था, ये उनके अपने सामर्थ्य की बदौलत था।
8. बाबा ने पतंजलि के प्रोडक्ट राजीव जी से पूछ कर नहीं निकाले थे। प्रोडक्ट खास कर बालकृष्ण जी के निर्देशन में तैयार होता है क्योंकि बालकृष्ण जी औषधि निर्माण के महारथी हैं।
9. इनके टोली का इल्जाम की पतंजलि के प्रोडक्ट राजीव जी के वजह से हिट हुए, निहायत ही बचकाना आरोप है। ऐसा था तो राजीव जी को अपने नाम से प्रोडक्ट लांच कर देना चाहिए था।
10. आज जब राजीव जी नहीं है तो भी कई गुना तेजी से पतंजलि का कारोबार दुनिया भर में बढ़ रहा है, इसी से साबित होता है यहाँ सबकुछ रामदेवजी का नाम है।
11. राजीवजी की टोली बाबा रामदेव जी की उस वक़्त की संपत्ति देखकर भौंचक्की रह गयी होगी, इंसानों में लालच आती ही है, एक उम्मीद रही होगी कि जल्दी ही राजीव जी के दम पर व्व लोग भी ऐसा अलग साम्रज्य खड़ा करेंगे पर उनके सपने टूट गए ।
12. उनकी मृत्यु के बाद भी उस सपने को छोड़ नहीं पाए.. स्वदेशी बढ़ाने के नाम पर धन माँगा गया होगा जो बाबा ने नहीं दिया क्योंकि उनका विश्वास राजीवजी पर था उनके चेलों पर नहीं.. नतीजा यहीं से बाबा को फंसाने का षड्यंत्र शुरू हो गया।
13. सारे इल्जाम बेतुके हैं लेकिन साधारण लोग फंस जाते हैं। आस्था चैनल वाले जब कैमरा लेकर फोटो लेने आये तो क्या लाइट नहीं जलाते ? टीवी का अपना भारी भरकम लाइट होता है वो जलाया तो उसे ही कह दिया गया कि चेहरा का रंग बदलने के लिए ऐसा किया गया।
14. जब भी कुछ शूट हो जाता है तो एक एडिटर होने के नाते मुझे पता है कि आखिर में वीडियो का कलर करेक्शन किया जाता है ताकि सभी के चहेरे अच्छे दिखें। ऐसा ही आस्था वालों ने बाद में किया , इसको भी उसी से उसी तरह के आरोप से जोड़ दिया गया।
15. आज भी किसने रोक लिया है, सीबीआई जांच के लिए कोर्ट में अपील कर दो।
16. अपने लालच या अंधभक्ति की वजह से किसी को इस तरह नहीं फंसाओ... आज स्वदेशी बढ़ रहा है तो बाबा ही ये काम कर रहे हैं दूसरा कोई नहीं कर रहा। कुछ कमियां हो सकती है।
17. इससे भी ज्यादा स्वदेशी का बुखार चढ़ा हो तो राजीवजी के नाम पर नहीं खुद राजीव जी जैसा ज्ञान हासिल करो और मैदान में आओ, किसी ने रोका नहीं ह।
18. सच तो ये है कि राजीव जी ने एक तरह से झूठी शान में आत्महत्या कर ली, जब डॉक्टर के पास ले जाया गया तो वहाँ भी अड़ गए कि होम्योपैथिक दवा ही लेंगे, अब अस्पताल में रात के वक़्त कहाँ से दवाई आती? और अस्पताल में क्या होम्योपैथिक से इलाज होता है ? ऑपरेशन वाली हालात में एलोपैथिक का समर्थन हर कोई करता है, यहीं राजीव जी ने खुद मौत का रास्ता चुन लिया। बाबा ने हरिद्वार से फोन करके एलोपैथिक लेने को कहा मगर नहीं माने..
Baba Ramdev Patanjali Yogpeeth Trust

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