Monday 31 October 2016

दुनिया के सर्वश्रेष्ठ महिला स्नाइपर

ऐसा नहीं है कि सिर्फ पुरुष ही अच्छे स्नाइपर रहे हैं, कम से कम एक नाम तो रुसी महिला सैनिक का भी है जिसका नाम है Lyudmila Pavlichenko. विश्विद्यालय में पढ़ने वाली लड़की को उस दिन काफी दुःख हुआ जब इसने अपने विश्विद्यालय को नाजियों ने अपने बमवर्षा से उड़ा दिया। ये सीधे मिलिट्री में भर्ती होने गयी।

पर ये आसान नहीं था, वहाँ कहा गया कि ये आपका काम नहीं है ये मर्दों का काम है, जब ये नहीं मानी तो मिल्ट्री अस्पताल में घायल सैनिकों की सेवा में लगा दिया गया, लेकिन एक दिन इन्होंने कमांडर के सामने जिद पकड़ ली कि इसे लड़ाई में ही हिस्सा लेना है।

ठीक है, फिर इन्हें राइफल चलाने की ट्रेनिंग दी गयी। एक दिन जब लड़ाई में शामिल थी और सामने दुश्मन थे तो उंगलियां कांपने लगी, बगल में मौजूद सैनिक गोली चलाने को कह रहे थे... पर ये हो नहीं पा रहा था... अचानक से एक गोली आयी और बगल में मौजूद उस शख्श के सर को उड़ाती चली गयी... वही जो इसे गोली चलाने को कह रहा था... बस परिस्थति बदल गयी... Lyudmila Pavlichenko, ने मरे हुए दोस्त को देखा और ट्रिगर दबा दिया... इसके बाद आगे के वर्षों में जो हुआ वो इतिहास है।

स्नाइपर के लिए सबसे जरुरी उसके कपडे भी होते हैं। ये काले लबादे में होती थी। दुश्मन का ध्यान बंटाने के लिए अपने स्कार्फ को कहीं किसी छोटे पेड़ की टहनी में बाँध देती, जहां स्कार्फ़ हवा से उड़ती रहती, जब दुश्मन वहाँ पहुँचते तो कुछ ही देर में बारी बारी से सबको उड़ा देती।
चाहे बरसात हो या तूफ़ान निशाना चुकता नहीं था।

एक बार वो पेड़ पर चढ़ कर ऊपर से निशाने लगा रही थी, विरोधी दुश्मन की गोली आयी और पेड़ की शाखा को तोड़ते निकल गयी, Lyudmila Pavlichenko ऊंचाई से नीचे गिर पड़ी, वो पड़ी रही, खून बहता रहा, वो जैसे कोमा में थी, हिल डुल नहीं सकती थी, उसे लगा वो मर चुकी है.... घंटो बीत गए, शरीर जैसे का तैसा पड़ा था, सुबह से शाम हो गयी, फिर रात आयी... और पता नहीं कहाँ से जान आयी, उसने आँखें खोली, उठी और चल पड़ी अपने कैम्प की तरफ।

एक बार की लड़ाई में एक गोली उसे भी आकर लगी, और साथ में रहे सारे कमांडर और सैनिक मारे गए, वो घायल थी, कमांडर के मरने से सैनिक भागने लगे... तब वो चीखी... "कायरों भागते कहाँ हो , देखो एक महिला सबके सामने लड़ने को खड़ी है, और तुम मर्द होकर भागते हो '"... सैनिकों के भागते पांव रुक गए।
उसके बाद उस लड़ाई की कमांडिंग उसी समय उसने ले ली। उसने घायल होकर भी कमांडर का रोल निभाया।

एक स्नाइपर को इंतज़ार करना सिखाया जाता है, सांसें रोके वो दुश्मन के निशाने पर आने का इंतज़ार करता है। इसी कड़ी में एक बार Lyudmila Pavlichenko की मुठभेड़ जर्मन स्नाइपर से हो गयी। ये खुद को एक जमीन के अंदर छुपाई हुयी थी, दुश्मन का सिर्फ हेलमेट नजर आता था, इसने इंतेजार करना बेहतर समझा, अपने चेहरे के आगे इसने झाडी, कांटे पत्ते आदि रखे हुए थे। इस बीच एक दो गोली आयी जो इसके बगल से गुजर गयी पर इसके बाद भी चुपचाप लेटी सामने देखते रही। दूसरी तरफ भी स्नाइपर ही थे। एक घंटे बीते, दो घंटे बीते, घंटो बीत गए , दोपहर हो गयी... Lyudmila Pavlichenko बिना पलक झपकाये सामने दुश्मन के हेलमेट को देखते रही। जर्मन स्नाइपर के सब्र का बाँध टूट गया... वो बाहर निकल आया... और इसी के साथ Lyudmila Pavlichenko ने ट्रिगर दबा दिया... परफेक्ट शॉट और दुश्मन ढेर। कुल मिला कर इस दिन 36 दुश्मन इनके निशाने पर आये,एक के बाद एक.. ढेर लग गए।

अब तो जर्मन सेना में Lyudmila Pavlichenko एक खौफ बन चुकी थी, पूरी जर्मन सेना इसे इसके नाम से जानने लगी थी। युद्धक्षेत्र में जर्मन इसे इसका नाम लेकर चुनौती देते ... और अगले पल उनकी आवाज खामोश हो जाती। गोली सीधे भेजे के अंदर।।

ये विश्वयुद्ध काफी लंबा चला था, इस बीच इस युद्ध ने इसके पति को भी छीन लिया, ये भी मेजर थे। शादी के लिए दोनों ने लड़ाई के बीच में ही एक दूसरे को पसंद किया था।

कहते हैं पति के जाने के बाद Lyudmila Pavlichenko काफी क्रूर हो गयी। इसकी सबसे कामयाब तरीका ये था कि ये हमेशा किसी ग्रुप के सैनिक के पैर को निशाना बनाती , वो चीख कर गिर पड़ता, ऐसे में बाकी सैनिक जब उसकी मदद के लिए आते तो वो सबको मारते जाती।

दुर्भाग्य से जर्मन सेना ने जीत हासिल की, Lyudmila Pavlichenko battle ground से नहीं जाना चाहती थी... गोलियों से घायल अवस्था में इसे जबर्दस्ती खींच कर बाहर लाया गया और कहा गया कि युद्ध खत्म हो चूका है। हालाँकि कोई गिनती नहीं होती ऐसे में किसने कितने लोगों को मारा लेकिन ऑफिशली 309  विरोधी सैनिको को मारने का रिकॉर्ड इनके नाम दर्ज है।

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