Tuesday 4 October 2016

बॉलीवुड में 'खानों' की इज्जत नीलाम होती हुई

किसने सोचा था आज से सिर्फ 10 साल पहले कि "खान" की प्रसिद्धि इस तरह से मटियामेट हो जायेगी ? खुद भी सोचता हूँ 10 साल पहले की बात तो  मुस्लिम कलाकारों का क्या क्रेज था...  मुस्लिम से ज्यादा हिन्दू इनके तस्वीरों को अपने घरों में लगाते थे, इनके बारे में बातें करते थे, फिल्मों की चर्चा होती थी, दीवानगी थी... किसी ने कल्पना नहीं की होगी कि ऐसा भी दिन आयेगा जब इन मुस्लिम कलाकारों के खिलाफ वही जनता इस तरह आग उगलेगी, फोटो को सड़कों पर जलाएंगे, गन्दी गन्दी गालियां बकेंगे।

10 साल पहले किसी के दिमाग में था ही नहीं कि कौन सा कलाकार हिन्दू है या मुस्लिम है ? या उस की क्या सोच है ... लेकिन जब हम ऐसा नहीं सोचते थे उस वक़्त भी वो 'खान" खुद फिल्म इंडस्ट्री के इस्लामीकरण में गुप्त तरीके से जुटे थे, हमें नहीं समझ में आया ये हमारी गलती थी। हिंदीभाषी हिन्दू हीरो को फिल्में मिलनी बंद होने लगी, नए नए मुस्लिम कलाकारों का आगमन होने लगा, हिन्दू गायकों की जगह मुस्लिम गायकों का प्रवेश हुआ, जो नहीं माने निर्माता और निर्देशक उनको बैठना पड़ा, किसी को मरना भी पड़ा और कुछ विदेशों में जा बसे या इंडस्ट्री को हमेशा के लिए अलविदा कह गए, लेकिन जनता को ये सब कुछ पता नहीं चला वो तो बस फिल्म के किरदार को ही सच समझकर दीवानी बनी रही। वैसे  जनता को क्या ... इंडस्ट्री में रह रहे लोगों को ही ये सब पता नही चला। कोई बादशाह हो गया तो कोई दबंग हो गया। जिनको कुछ समझ भी आया वो चुप रहे कि "कुछ" तो काम मिलता रहे और रोजी रोटी चलता रहे।

कुछ जो चलते रहे वो अपने दम पर चलते रहे जो पहले से जमे थे। या टीवी इंडस्ट्री में घुस गए या उन्ही खान को लेकर फिल्म बनाने लग गए। ख़ास बात मैं यही मानता हूँ कि अभी भी इस बात को इसी इंडस्ट्री के लोग नहीं मानेंगे। जैसे हमारे सेक्युलर भाई आज भी लव जिहाद, या जिहाद या जनसंख्या जिहाद जैसी किसी चीज को नहीं मानते।

मेरे हिसाब से सिर्फ पांच साल पहले ये परिवर्तन आना शुरू हुआ, मेरे लिए खुद इस 'इस्लाम' की सच्चाई को पचाना मुश्किल था, पर सच से मैं भी कब तक भागता, दिल कह रहा था कि ऐसा नहीं हो सकता पर आँख कह रही थी कि सामने तो यही सच है, मानो या ना मानो। मुझे विश्वास है आज 'देश' के ऊपर बॉलीवुड दो टुकड़ों में बंटी है तो कल धर्म के नाम पर भी दो टुकड़ों में बंटेगी क्योंकि मुस्लिम का काम है विभाजन, टुकड़े करना.. वो सोचते हैं कि सारे टुकड़े उसके हो जायेंगे पर ये जो हिन्दू हैं ना .. ये थोड़ा देर से ही सही पर जागते हैं और फिर सालों से जमा जमाया तिलस्म तोड़ कर धराशायी कर देते हैं।

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