Thursday 27 October 2016

बाबा से जलते हैं संघर्षरत आम लोग

बाबा तो व्यापारी है, साधु संतों को पैसे का क्या काम ? जो साधु कोई सामान बेचे वो साधु कैसे ? इतने पैसे की क्या जरुरत ? ऐसा ही कुछ राजीव दीक्षित जी ने भी एक वीडियो में कह डाला बाबा के लिए .. ज्यादातर लोगों के बाबा से चिढ़ने के पीछे एकमात्र यही एक वजह है, बाबा के पास इतना पैसा क्यों ? बाबा तो व्यापारी बन गए ...

सीधा बोलूं... तो ये वो लोग है जो जिंदगी में करना बहुत कुछ चाहते थे पर अथक मेहनत के बाद भी कुछ उखाड़ नहीं पाए..... आज भी दिन रात अलग अलग व्यवसाय में शरीर गला रहे हैं पर जैसे तैसे ही जीने को मजबूर हैं....

ऐसे नवयुवक जिन्होंने लाखों खर्च किये हैं शैक्षणिक कोर्स पर... और अच्छी नौकरी मिली नहीं .. या मिल तो गयी पर उससे वो बाबा की तरह हज़ार करोड़पति नहीं बन पाए...

भारत में आम लोगों की.. सबसे ज्यादा संख्या है.. यानि ऐसे लोग जिनके पास सिर्फ खाने पीने और पहनने को कमाई आती है या ज्यादा से ज्यादा बाइक और कार मेंटेन करने को... उससे भी ज्यादा बढ़ गए तो घर ले लिया.. बस जिंदगी का end।

सपने तो थे टाटा अंबानी बनने के... बड़ी बड़ी महँगी गाड़ियां चढ़ने के, बड़ी बड़ी पार्टियों में जाने के, शहर में लोग उनके आगे सम्मान में सर झुकाएं ऐसा... हुआ कुछ नहीं... या कहिये .. इस हद तक नहीं हुआ...

हम भारतीयों की सबसे ज्यादा हो स्वभावगत एक सामान्य सी पाई जाने वाली बीमारी है वो यही है कि हम अपने से बड़े, ऊँचे लोगों को देखकर जलते जरूर हैं.. अगर बस चले तो उसको गिरा कर अपने बराबरी में ले आएं, या ये सम्भव नहीं हुआ तो गाली तो दे सकते हैं ना.. बुरा भला कहेंगे.. नए नए इल्जाम लगा देंगे.. कम से कम दिल को इससे सुकून मिलता है...

बाबा रामदेव जब कुछ नहीं थे, सिर्फ योग करते थे, स्वदेशी का प्रचार करते थे तो लोगों को स्वदेशी सामान जो बाजार में था ही नहीं वो चाहिए था.. आंवला जूस, अलोएवेरा जूस, अच्छा च्यवनप्राश, अमृतप्राश, तुलसी जूस, जड़ी बूटियों वाले colgate या पाउडर आदि...

ये सब चाहिए था लेकिन खुद बनाना नहीं चाहते थे, उस वक़्त था कि बाबा आप बोल रहे हो तो किसी तरह बना के भी दे दो। अब बाबा ने बनाना शुरू किया.. उनके लिए जो आज गाली देते हैं... अब बड़े पैमाने पर गालिबाजों को ही ये सब चाहिए था तो बाबा ने बनाया...

कहाँ बनाते.. 8*10 की कोठरी में ? हाथों से ओखली मूसल ले कर दिन भर कूटकूट के आपको देते रहते..? वो भी फ्री में ? हाँ... असल में तो ये चाहिए था जलनखोरों को... ये भारतीय मानसिकता है.. करो.. लेकिन मुझसे ज्यादा ना बढ़ो...

बाबा ने भारतियों की भलाई के लिए संसाधन बढाए, उच्च क़्वालिटी के प्रोडक्ट हो इसके लिए पैसे चाहिए थे.. हज़ारों हज़ार शायद आज लाखों लोग जुड़े कमाई करते हैं उनके लिए वेतन चाहिए... विरोधियों(कांग्रेस, मल्टी नेशनल कंपनियां) से लड़ने के लिए भी पैसे चाहिए... कहाँ से आएगा भाई ?

अब सवाल है बाबा व्यापारी बन गए ? बाबा को आपने व्यापारी बनाया ? आपने स्वदेशी सामान बना लेना था ना ... बाबा ने तो बताया था कि ये सारा जड़ी बूटी का मिश्रण बनाओ और बढ़िया टूथ पाउडर बनता है तो आपने बनाया था क्या ? या जिंदगी में कभी बनाते भी क्या ? ? आपके लिए बनाया क्योंकि आपको चाहिए बना बनाया बिना मेहनत किये सबकुछ।।।।

इसके बाद गुरुकुल शुरू करना था, सस्ता इलाज करना था... दुनिया में योग को फैलाना था... आश्रम को विस्तार देने था... अपने जैसे लाखों युवाओं को वेदों की शिक्षा देकर तैयार करना था... उसके लिए पैसे कहाँ से आएंगे ? कौन देगा ? चंदा भी क्यों मांगते रहे हमेशा?

बाबा व्यापारी बन गए.. खुद को देखो.. गहरे झांको.. ये तुम्हारी अंदर की जलन है... मैं पढ़ा लिखा.. दिन रात मेहनत किया और बाबा सिर्फ ऐसे योग करो वैसे योग करो और कुछ आयुर्वेदिक दवाई बेचकर मुझसे हज़ार गुना आगे हो गए ? नहीं नहीं नहीं... ये नहीं हो सकता... मैं तो गाली बकुंगा.. बाबा पर गंदे इल्जाम लगा दूंगा.. उनको नीचे गिरा दूंगा....

उनकी भी शिक्षा है, उनका भी ज्ञान है, उनकी भी मेहनत है, तेरे जैसे विश्वविद्यालय की डिग्री नहीं है, तेरी वाली किताब नहीं पढ़े है, नेटवर्किंग या इंजिनयेरिंग की...  बस.. उन्होंने कुछ और पढ़ा है, और जो उन्होंने पढ़ा है लोगों को उसकी जरुरत थी... इतनी सी बात है।

दिन रात हिंदुत्व हिंदुत्व करते हो कभी ध्यान से देखोगे तो पता चलेगा योग और प्राणायाम के जरिये वर्षों बाद अगर चिंगारी किसी ने लगाईं तो ये बाबा रामदेव ही थे, ये ही थे जिन्होंने वापिस ॐ का जाप भारतियों में शुरू करवा दिया। लोगों ने आयुर्वेद के बहाने धर्म ग्रंथों में रूचि लेना शुरू कर दिया या बातों में। वापिस अगर ऋषि मुनियों में थोड़ा सम्मान जगा तो ये इनकी मेहनत का नतीजा था.. वरना क्या थी इज्जत ? फिल्मों से ही पता चलता था कि क्या इज्जत रह गयी है।

यही है वो समस्या जिससे कोई बाबा साधु संत कभी सनातन धर्म को ऊपर नहीं ले जा पाता... सनातन धर्म का प्रचार साधू करें लेकिन हिमालय पर बैठे बैठे.. दूसरी तरफ जाकिर नाइक अरबो रुपये कमा के टीवी चैनल खोल के इस्लाम बढ़ाता जा रहा है, सारे मुसलमान साथ है, लेकिन उसके हिंदुओं को देखिये... बाबा के पास पैसा क्यों ? इतना पैसा क्यों ? अबे तेरे पास होता तो तू विलासिता का जीवन जीता.. तू कौन सा गुरुकुल खोल देता ? या आयुर्वेद को बढ़ाता ? तुम जलनखोर नीच लोग हो जो पैसे होते तो स्विट्ज़रलैंड में जा के मालिश करवाते, सोच तो असल में ये है, सपने तो ये थे और है। आज भी वो आदमी भारत के चप्पे चप्पे पर गुरुकुल खोल कर मैकाले और वामपंथियों की शिक्षा से आजादी दिलाना चाहता है , इसी में लगा है, कल होके कहोगे .. हमें तो इसमें एडमिशन फ्री में चाहिए.. यही फ्री तो बर्बाद कर रहा है सबकुछ।

बाबा को तो हिमालय पर तपस्या करते हुए वहीँ से जादू से प्रोडक्ट बना के पहाड़ से नीचे लुढ़का देना चाहिए था, नीचे खड़े ये जलनखोर गालीबाज लोग उसको लपक लेते और बाबा को फिर तपस्या में लीन हो जाना चाहिए था। फिर अगले दिन कुछ प्रोडक्ट लुढ़का देते और वहीँ तपस्या करते रहते। अगर साधु नीचे आ गया ... हमारी दुनिया में तो... हमारे सामने भिक्षा मांगें..  हम देंगे तो खाएं पीएं और नहीं तो अपना समझें... हमें तो तसल्ली मिलेगी कि बाबा हमसे कमतर हैं।
Baba Ramdev

No comments:

Post a Comment