Thursday 11 August 2016

एक सेक्युलर प्राणी की क्लास

एक sick-ular मिल गया आज... बोलने लगा वही रटा रटाया डायलाग....
"अरे भाईजी सारे मुसालमान ऐसे नहीं है, जो अनपढ़ है, सिर्फ वो गलत रास्तों पर चल रहे हैं..

मैने कहा...
"भाईजी.... सड़क पर कभी देखा है कि जो अनपढ़ है वो फुटपाथ पर नहीं बल्कि सड़क के बीच मोटरगाड़ियों के साथ चल रहे हो ? ?"

"हैं जी.... नहीं... ऐसा नहीं देखा...."

"तो ये सब चोंचले है, सिर्फ उनको बचाने का... जब वो किसी पर गोली चलाते हैं तो क्या अनपढ़ होने की वजह से उनको ये ज्ञान नहीं होता कि ये मर जायेगा ? इसका परिवार अनाथ हो जायेगा ? "

"लेकिन अनपढ़... को इससे क्या मतलब...."

"ठीक है कुरआन में लिखा है कि गैर मुस्लिम को मारो.... है ना ??"

"अह.... हाँ लिखा है ..."

"अगर लिखा है ... और वो अनपढ़ है तो उसने कुरआन पढ़ा कैसे ? ?"

"हैं जी.... ये तो... किसी दूसरे ने पढ़ के समझा दिया होगा.. मौलवी मौलाना...."

"तो आप तो खुद मान रहे हो कि मौलवी मौलाना पढ़ा लिखा है, अनपढ़ नहीं है और आतंकवादी तैयार करता है... फिर क्यों कहते हो कि अनपढ़ लोग ऐसा करते हैं ..."

"हाँ लगता तो है पर...

"पर क्या... मदरसे में पढ़ाई ही होती है ना ? किताब कॉपी, ब्लैकबोर्ड, सब होते हैं वहाँ.. पूरी टेक्नोलॉजी का इश्तेमाल कर रहे हैं, झंडे पर दीवाल पर वो क्या क्या लिखते है... तो क्या अनपढ़ लिखता है ये सब ? अनपढ़ का मतलब समझाओ मुझे... फिर ... सवसे पढ़ा लिखा ये लोग खुद मानते थे कि जाकिर नाइक है फिर वो भी आतंकवादी कैसे निकला ? "

"हैं जी.... हैं जी.... वो ... अच्छा चलता हूँ। "

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